आरबीआई गवर्नर: विश्व के कई केंद्रीय बैंक कर रहे हैं ब्याज दरों में कटौती, लेकिन हम इस जश्न में शामिल नहीं होना चाहते
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में ब्याज दरों में कटौती का सही समय नहीं आया है। उन्होंने बताया कि देश में महंगाई का स्तर बढ़ा हुआ है और इसमें जल्द सुधार की कोई संभावना नहीं दिख रही। इस वजह से आरबीआई ब्याज दरें घटाने का जोखिम नहीं उठाना चाहता। हाल ही में हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरें स्थिर रखने का निर्णय लिया था। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में कटौती की उम्मीद के बावजूद, आरबीआई ने अपने फैसले से सभी को हैरान कर दिया।
महंगाई दर पर सतर्कता: सुस्ती की उम्मीद में निगाहें रखें
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्लूमबर्ग इंडिया क्रेडिट फोरम में कहा कि ब्याज दरों में कटौती अभी संकट का कारण बन सकती है। उन्होंने महंगाई दर पर कड़ी नजर रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। यदि आर्थिक विकास दर अच्छी रहती है, तो दरों में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि अगर महंगाई दर 4 फीसदी के आसपास रहती है, तो आरबीआई ब्याज दरों को घटाने पर गंभीरता से विचार करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्यवाणियों की बजाय हमें डेटा का इंतजार करना चाहिए।
अगले 6 महीने महंगाई के लिए बेहद संवेदनशील
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा कि आने वाले छह महीने महंगाई के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि महंगाई दर 4% के स्तर पर आ जाएगी। इससे पहले, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने भी संकेत दिए थे कि वित्त वर्ष 2026 में महंगाई दर इसी स्तर पर रहने की संभावना है।
मौजूदा स्थिति में, एमपीसी ने लगातार दसवीं बार ब्याज दरें स्थिर रखने का निर्णय लिया है, जिसके बाद यह चर्चा तेज हो गई थी कि दिसंबर में होने वाली बैठक में दरों में कटौती की जा सकती है। हालांकि, शक्तिकांत दास इस समय ब्याज दरों में कमी के मूड में नहीं दिख रहे हैं।
आरबीआई का एक्सचेंज रेट प्रबंधन से दूर रहना
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि उनका केंद्रीय बैंक एक्सचेंज रेट का प्रबंधन नहीं करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती के संदर्भ में आरबीआई अभी इस दिशा में कदम नहीं उठाना चाहता। दास ने कहा कि वे "वेट एंड वॉच" की मुद्रा में हैं और सही समय पर निर्णय लेंगे।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे डॉलर की खरीद और बिक्री अपनी आवश्यकताओं के अनुसार करते हैं, न कि किसी प्रबंधन रणनीति के तहत। उनकी प्राथमिकता देश की महंगाई, आर्थिक वृद्धि और समग्र इकोनॉमी है।