Gold Loan: RBI की गड़बड़ी से गोल्ड लोन पर असर, ईएमआई और टर्म लोन की ओर बढ़ सकते हैं लेंडर्स

Gold Loan: RBI की गड़बड़ी से गोल्ड लोन पर असर, ईएमआई और टर्म लोन की ओर बढ़ सकते हैं लेंडर्स
Last Updated: 23 नवंबर 2024

30 सितंबर तक बैंकों द्वारा गोल्ड लोन के तहत जारी किए गए लोन की कुल राशि 1.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जो पिछले साल के मुकाबले 51 फीसदी की वृद्धि दर्शाती है। यह वृद्धि मुख्य रूप से सोने की बढ़ती कीमतों और असुरक्षित लोन की सीमित उपलब्धता के कारण हुई है। बैंक और वित्तीय संस्थान गोल्ड लोन की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जो ग्राहकों को आसान कर्ज देने का एक लोकप्रिय तरीका बन चुका है।

Gold Loan Rule Changed: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गोल्ड लोन प्रणाली में कुछ महत्वपूर्ण सुधारों की पहचान की है, जिसके बाद इस क्षेत्र में बड़े बदलाव हुए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अब लेंडर्स पारंपरिक बुलेट रीपेमेंट विकल्पों की बजाय EMI और टर्म लोन की ओर रुख कर रहे हैं ताकि रेगुलेटरी मुद्दों से बचा जा सके।

गोल्ड लोन में RBI की गड़बड़ी, लोन देने की प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 30 सितंबर को गोल्ड लोन देने की प्रक्रिया में कई गड़बड़ियों का खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, लोन सोर्सिंग, मूल्यांकन प्रक्रियाओं, एंड यूज फंड्स की मॉनिटरिंग, ऑक्शन ट्रांसपेरेंसी और लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेशियो मानदंडों में कई कमियां पाई गई हैं। RBI ने पार्शियल पेमेंट्स (आंशिक भुगतान) और लोन रोलओवर की प्रथा पर भी सवाल उठाए हैं और इस पर संभावित गलती की चेतावनी दी है।

एक सीनियर बैंकिंग अधिकारी के मुताबिक, RBI का यह आदेश स्पष्ट रूप से बताता है कि लेंडर्स को उधारकर्ताओं की पुनर्भुगतान क्षमता का मूल्यांकन करना चाहिए, कि सिर्फ उनके संपत्ति मूल्य पर निर्भर रहना चाहिए।

गोल्ड लोन मॉडल में बदलाव की आवश्यकता

वर्तमान में गोल्ड लोन के लिए प्रचलित बुलेट रीपेमेंट मॉडल है, जिसमें उधारकर्ता लोन की पूरी राशि और ब्याज अंत में चुकता करते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में आंशिक भुगतान भी स्वीकार किया जाता है। RBI अब इस पर जोर दे रहा है कि लेंडर्स को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए EMI-बेस्ड रीपेमेंट मॉडल को अपनाना चाहिए।

गोल्ड लोन में वृद्धि और संभावित चुनौती

गोल्ड लोन सेक्टर में पिछले कुछ समय से जबरदस्त वृद्धि देखी गई है, जिसका कारण सोने की कीमतों में इजाफा और असुरक्षित क्रेडिट तक सीमित पहुंच है। क्रिसिल के अनुसार, इस साल अप्रैल से अगस्त के बीच गोल्ड लोन में 37 फीसदी का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, गोल्ड लोन पर आधारित NBFCs ने 2024-25 की पहली तिमाही में अपने एसेट्स में 11 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है।

हालांकि, गेफियन कैपिटल के पार्टनर प्रकाश अग्रवाल का कहना है कि सोने की कीमतों में गिरावट से कोलैटरल वैल्यू प्रभावित हो सकती है, जिससे लोन रीपेमेंट और रिफाइनेंस की चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।

गोल्ड लोन का बढ़ता कारोबार

रिपोर्ट के अनुसार, 30 सितंबर तक बैंकों द्वारा गोल्ड को गिरवी रखकर जारी किए गए लोन का कुल आंकड़ा 1.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो साल दर साल 51 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। हालांकि, अगर RBI ने सख्त नियम लागू किए, तो यह वृद्धि धीमी पड़ सकती है, क्योंकि लेंडर्स जोखिम से बचने के लिए सतर्क होंगे।

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