Unified License Explained: सरकार का बड़ा कदम, बीमा कानूनों में बदलाव, यूनिफाइड लाइसेंस और एफडीआई सीमा बढ़ाने की योजना

Unified License Explained: सरकार का बड़ा कदम, बीमा कानूनों में बदलाव, यूनिफाइड लाइसेंस और एफडीआई सीमा बढ़ाने की योजना
Last Updated: 2 घंटा पहले

इंश्योरेंस सेक्टर में वर्तमान में कई नीतिगत जटिलताएँ हैं, विशेष रूप से लाइसेंस को लेकर। उदाहरण के तौर पर, लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां हेल्थ कवर बेचने की अनुमति नहीं रखतीं, जबकि जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को हेल्थ से लेकर मरीन बीमा जैसे उत्पाद बेचने की छूट प्राप्त है। अब सरकार यूनिफाइड लाइसेंस की योजना के तहत इस नीति में सुधार करने जा रही है। इस लाइसेंस के लागू होने से बीमा कंपनियों और ग्राहकों दोनों को लाभ होने की संभावना है, क्योंकि इससे कारोबार के क्षेत्र में ढील मिलेगी और ग्राहकों को अधिक विकल्प मिलेंगे।

नई दिल्ली: सरकार बीमा क्षेत्र में बड़े बदलावों की तैयारी कर रही है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण कदम इंश्योरेंस कंपनियों के लिए यूनिफाइड लाइसेंस लाना है। इसके साथ ही, सरकार बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की भी योजना बना रही है। इन सुधारों का उद्देश्य देश में बीमा कवर की पहुंच बढ़ाना है, क्योंकि फिलहाल देश की महज चार प्रतिशत आबादी के पास ही इंश्योरेंस उपलब्ध है।

यूनिफाइड लाइसेंस

भारत में बीमा के नियम अभी भी जटिल हैं। उदाहरण के तौर पर, लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां हेल्थ कवर नहीं बेच सकतीं, जबकि जनरल इंश्योरेंस कंपनियां हेल्थ से लेकर मरीन बीमा उत्पादों तक बेच सकती हैं। सरकार अब इन जटिलताओं को दूर करने के लिए यूनिफाइड लाइसेंस की योजना बना रही है। इस नए लाइसेंस के तहत, एक ही बीमा कंपनी को लाइफ, जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स ऑफर करने की अनुमति मिल सकेगी। इससे न केवल कंपनियों को लाभ होगा, बल्कि ग्राहकों को भी ज्यादा विकल्प और बेहतर सेवाएं मिलेंगी।

यूनिफाइड लाइसेंस के लाभ

यूनिफाइड लाइसेंस के लागू होने से कई महत्वपूर्ण फायदे होंगे। सबसे पहले, लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां अब हेल्थ कवर जैसे प्रोडक्ट्स भी बेच सकेंगी, वहीं जनरल इंश्योरेंस कंपनियां जीवन बीमा प्रोडक्ट्स भी ऑफर कर सकेंगी। इससे बीमा क्षेत्र में नियमों की जटिलता कम होगी, जिससे घरेलू और विदेशी कंपनियां निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित होंगी।

ग्राहकों के लिए यह बहुत सहायक होगा, क्योंकि उन्हें अब अलग-अलग बीमा प्रोडक्ट्स के लिए विभिन्न कंपनियों के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही, यूनिफाइड लाइसेंस के जरिए इंश्योरेंस कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे ग्राहकों को बेहतर उत्पाद और सेवाएं मिलेंगी।

इसके अलावा, नियामकीय ढांचे में सुधार के चलते, बीमा कंपनियों की गतिविधियों पर बेहतर निगरानी रखी जा सकेगी, जो बीमा क्षेत्र को और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाएगा।

100 फीसदी FDI से इंश्योरेंस क्षेत्र में होगा बड़ा बदलाव

इंश्योरेंस सेक्टर में 100 फीसदी FDI (Foreign Direct Investment) की सीमा बढ़ाने से कई महत्वपूर्ण लाभ होंगे। सबसे पहले, बीमा इंडस्ट्री में बड़ी पूंजी की आवश्यकता को पूरा किया जा सकेगा, जिससे नए और बेहतर उत्पादों के निर्माण के लिए वित्तीय मदद मिलेगी।

अभी बीमा क्षेत्र में घरेलू कंपनियों का दबदबा है, लेकिन FDI सीमा बढ़ने से विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में प्रवेश करना आसान होगा। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जो घरेलू कंपनियों को अपने उत्पादों और सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करेगा। इसके परिणामस्वरूप, ग्राहकों को अधिक विकल्प और बेहतर गुणवत्ता के उत्पाद मिलेंगे।

विदेशी निवेश के आने से बीमा सेक्टर में नौकरी के अवसर भी बढ़ेंगे, जिससे भारतीय युवाओं के लिए रोजगार के नए मौके खुलेंगे।

इसके अतिरिक्त, 100 फीसदी FDI के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। विदेशी कंपनियों की अधिक भागीदारी से बीमा उद्योग में वृद्धि होगी, जिससे देश के आर्थिक विकास में योगदान होगा। उदाहरण के लिए, जर्मन कंपनी एलियांज (Allianz) जैसी विदेशी कंपनियों के लिए यह भारतीय बाजार में स्वतंत्र रूप से कदम रखने का बड़ा अवसर हो सकता है। एलियांज इस कदम पर गंभीरता से विचार कर रही है और यदि यह कदम उठाती है, तो भारतीय बीमा सेक्टर में और भी नए बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

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