Merry Christmas: काशी के प्रसिद्ध गिरजाघर! इंग्लिश चर्च और सेंट मेरीज चर्च के बारे में जानें दिलचस्प तथ्य

Merry Christmas: काशी के प्रसिद्ध गिरजाघर! इंग्लिश चर्च और सेंट मेरीज चर्च के बारे में जानें दिलचस्प तथ्य
Last Updated: 4 घंटा पहले

काशी में आस्था और विरासत का अद्भुत मेल है। यहां के ऐतिहासिक गिरजाघर जैसे सेंट मेरीज चर्च और इंग्लिश चर्च धार्मिक पर्यटन और ब्रिटिश वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण पेश करते हैं, साथ ही रानी एलिजाबेथ की यात्रा से जुड़े दिलचस्प तथ्य भी मिलते हैं।

Merry Christmas UP: काशी, जिसे आस्था और विरासत का केंद्र माना जाता है, यहां स्थित गिरजाघरों की ऐतिहासिक यात्रा आपको न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि संस्कृति और वास्तुकला के अनोखे संगम से भी परिचित कराती है। काशी के चर्चों में छुपे अद्वितीय इतिहास, ब्रिटिश वास्तुकला, और मसीही आस्था का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है।

सेंट मेरीज चर्च: बनारस का पहला प्रोटेस्टेंट चर्च

काशी का सेंट मेरीज चर्च, जो कि छावनी क्षेत्र में स्थित है, बनारस और उत्तर भारत का संभवत: सबसे पुराना प्रोटेस्टेंट चर्च है। इसकी नींव 29 अप्रैल 1810 में डेनियल कोरी द्वारा रखी गई थी और 1812 में यह पूरी तरह तैयार हुआ। इसे एंग्लिकन चर्च, गैरिसन चर्च और वेस्टेड इन क्राउन के नाम से भी जाना जाता था। यहां के नक्काशीदार डिजाइन और सैनिकों के लिए विशेष रूप से बनाए गए ब्रेंच चर्च की विशेषताओं में शामिल हैं। चर्च की भव्यता और सुंदरता को 1970 में बिशप पैट्रिक डिसूजा ने अपने कार्यकाल के दौरान बढ़ाया, और 1993 में यह चर्च कैथेड्रल के रूप में नवीनीकरण के बाद अपनी नई पहचान के साथ सामने आया।

क्वीन एलिजाबेथ और राजकुमार जॉन ड्यूक की यात्रा

1961 में काशी प्रवास के दौरान, क्वीन एलिजाबेथ ने इस गिरजाघर में प्रार्थना की थी, और स्कॉटलैंड के राजकुमार जॉन ड्यूक भी इस पवित्र स्थल पर प्रभु यीशु की आराधना करने आए थे। यह चर्च मसीही आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है, जो आज भी धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों का स्थल बन चुका है।

लाल गिरजाघर: शांति और शहादत का प्रतीक

छावनी क्षेत्र में स्थित लाल गिरजाघर की नींव 1879 में ब्रिटिश पादरी एनवर्ट फैंटीमैन ने रखी थी। चर्च का लाल रंग ईसा मसीह की शहादत का प्रतीक है, और श्वेत रंग शांति का प्रतीक है। आजादी के पहले, यह चर्च ब्रिटिश सैनिकों के लिए आराधना स्थल था, जहां सैनिक अपनी बंदूकें रखकर प्रार्थना किया करते थे। यहां की परंपरा अब भी जारी है, जहां हिदी, अंग्रेजी और उर्दू में आराधना होती है।

सेंट पाल चर्च: एक ऐतिहासिक धरोहर

सिगरा स्थित सेंट पाल चर्च का निर्माण 1841 में ब्रिटिश आर्किटेक्ट जान पाल द्वारा किया गया था। यह चर्च अपनी सादगी और वास्तुकला के कारण आज भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। यहां के तीन घड़ियां इंग्लैंड से मंगाई गई थीं, जिनका उद्देश्य चर्च में समय का ध्यान रखना था।

रामकटोरा चर्च: प्राचीन आराधना स्थल

लहुराबीर रोड स्थित रामकटोरा चर्च प्रोटेस्टेंट क्रिश्चियन समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण आराधना स्थल है। इसकी स्थापना 1835 के आसपास हुई थी, और आज यह चर्च समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है।

बेथेलफुल गास्पल चर्च: मानव सेवा का प्रतीक

महमूरगंज में स्थित बेथेलफुल गास्पल चर्च प्रोटेस्टेंट ईसाईयों का एक महत्वपूर्ण प्रार्थना स्थल है, जो पिछले कई वर्षों से मानव सेवा कार्यों में भी संलग्न है। यहां के ट्रस्ट के माध्यम से गरीबों के लिए मुफ्त शिक्षा भी प्रदान की जाती है।

तेलियाबाग चर्च: क्रिश्चियन इतिहास का दस्तावेज

तेलियाबाग का सीएनआइ चर्च 1856 में स्थापित हुआ था और यह प्राचीन क्रिश्चियन इतिहास का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है। इसके इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएं दर्ज हैं, जो इसे पूर्वांचल के सबसे पुराने गिरजाघरों में एक बनाती हैं।

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