Chauth Mata Mandir: चौथ माता मंदिर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देने वाला प्राचीन स्थल

Chauth Mata Mandir: चौथ माता मंदिर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देने वाला प्राचीन स्थल
Last Updated: 28 सितंबर 2024

भारत में कई चमत्कारी मंदिर हैं, जिनकी मान्यताओं के कारण उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली है। आज हम चौथ माता के मंदिर के बारे में चर्चा करेंगे। इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, जिनमें से एक यह है कि यहां करवा चौथ की पूजा करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है।

नई दिल्ली: करवा चौथ का पर्व हिंदुओं के प्रमुख व्रत त्योहारों में से एक होता है, जिसे विशेष रूप से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए मनाती हैं। इस दिन महिलाएं चौथ माता की तस्वीर बनाकर उनकी पूजा-अर्चना करती हैं। चौथ माता को वास्तव में देवी पार्वती का एक स्वरूप माना जाता है। इस अवसर पर हम आपको देश के एक प्राचीन करवा चौथ माता मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जहाँ दर्शन मात्र से साधक को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

चौथ माता मंदिर कहां है इसका अद्भुत स्थान?

चौथ माता का मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा गांव में स्थित है। यह भव्य मंदिर अरावली पर्वत की लगभग एक हजार फीट ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ चौथ माता के साथ भगवान गणेश और भैरव की भी मूर्तियाँ स्थापित हैं। यह मंदिर केवल जन आस्था का प्रमुख केन्द्र है, बल्कि यहाँ पर्यटकों का भी बड़ा आकर्षण है।

चौथ माता मंदिर की विशिष्टताएं

चौथ माता का मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है, जो अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को 700 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर की सुंदरता के अलावा, इसके चारों ओर का प्राकृतिक सौंदर्य भी बहुत आकर्षक है। यहाँ करवा चौथ, भाद्रपद चौथ, माघ चौथ और लक्खी मेला जैसे खास आयोजनों का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेने आते हैं। इसके अतिरिक्त, नवरात्र के दौरान भी यहाँ विशेष धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जो भक्तों की आस्था को और भी बढ़ाते हैं।

चौथ माता मंदिर की स्थापना का इतिहास

कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महाराजा भीमसिंह चौहान ने सन 1451 में करवाया था। इसके बाद 1452 में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। इसके अलावा, 1463 में मंदिर के मार्ग पर बिजल की छतरी और तालाब का निर्माण भी किया गया था। यह मंदिर राजपूताना शैली का एक अद्वितीय उदाहरण है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान के बूंदी राजघराने में चौथ माता को कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है।

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