Jammu-Kashmir के किश्तवाड़ा में मचैल माता की वार्षिक तीर्थयात्रा आज यानि 25 जुलाई से शुरू हो रही है। यह यात्रा 43 दिवसीय होगी। वहीं प्रशासन द्वारा तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए पूरी तैयारी कर ली है। इसके साथ ही प्रशासन ने इस बार यात्रा में प्रतिभागियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और क्यूआर कोड आधारित विशेष तीर्थयात्री कार्ड की सुविधा की गई है।
Jammu: जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में श्री मचैल माता की वार्षिक तीर्थ यात्रा आज यानि 25 जुलाई गुरुवार को शुरू हो रही है। जो हर वर्ष की तरह यह यात्रा 43 दिवसीय होगी। इस दौरान वहां के डिप्टी कमिश्नर ने तीर्थ यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं और सुरक्षा का आश्वासन दिया।
किश्तवाड़ में तीर्थयात्रियों के लिए प्रशासन व्यवस्था अलर्ट में है। बताया कि मचैल-पद्दार सड़क मार्ग का चशोती तक निर्माण हो जाने से मंदिर की 7 घंटे लंबी कठिन यात्रा तीन घंटे कम हो गई है, जबकि यात्रियों के लिए उस मार्ग पर क्षमता बढ़ाकर प्रतिदिन 5000 तीर्थयात्री कर दी गई है।
तीर्थयात्रियों के लिए कार्ड सुविधा
अधिकारी द्वारा दिए गए आदेशानुसार आज से शुरू होने वाली वार्षिक मचैल माता यात्रा का मुख्य आकर्षण उनकी सुरक्षा के लिए उठाये गए कदम है। जिसमें प्रशासन ने यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और क्यूआर-कोड-आधारित विशेष तीर्थयात्री कार्ड की शुरुआत की है। वहीं, कड़ी सुरक्षा के इंतजाम को लेकर पुलिस प्रशासन भी सक्रीय नजर आ रहा है।
डिप्टी कमिश्नर ने दी जानकारी
बता दें कि मैचल माता यात्रा के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए किश्तवाड़ के डिप्टी कमिश्नर देवांश यादव ने कहा कि चशोती तक मचैल-पद्दार सड़क का निर्माण पूरा हो जाने से मंदिर तक की 7 घंटे की लंबी कठिन यात्रा अब 3 घंटे कम हो गई है, जबकि विभिन्न स्थानों पर यात्रियों की क्षमता बढ़ाकर 5000 तीर्थयात्री प्रतिदिन कर दी गई है।
बताया गया कि उस इलाके के कई क्षेत्रों में चट्टानी इलाकों के कारण चशोती तक सड़क मार्ग का निर्माण चुनौतीपूर्ण था। हालांकि, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के अधिकारियों के कठिन प्रयासों से यह संभव हो पाया है। इस सड़क के निर्माण से तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा का समय पहले से तीन घंटे कम हो गया है।
नीलम की खदानों के लिए प्रसिद्ध है मंदिर
मिली जानकारी के अनुसार, विख्यात मचैल माता मंदिर की बात करें तो तीर्थयात्री माता के दर्शन के लिए पहले पद्दार घाटी में 9,705 फुट ऊंचे मंदिर तक जाने के लिए 6-7 घंटे पैदल चलना पड़ता था। बता दें कि यह मंदिर नीलम की खदानों के लिए भी प्रसिद्ध माना जाता है। मचैल माता यात्रा का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है और यह देश भर के श्रद्धालुओं के लिए खास तीर्थस्थल है।
जानकारी के लिए बताया गया है कि यह वहीं स्थान है जहां आधार शिविर गुलाबगढ़ और मंदिर के रास्ते में अन्य कई स्थानों पर यात्रियों के ठहरने की क्षमता बढ़ाकर प्रतिदिन 5000 तीर्थयात्रियों को समायोजित किए जाने की घोषणा की गई है।
तीर्थयात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर की सुविधा
कमिश्नर ने आगे बताया कि आज यानि 25 जुलाई से शुरू होने वाली इस 43 दिवसीय तीर्थयात्रा के साथ ही वहां पर हेलीकॉप्टर सेवा भी शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान सड़क किनारे हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिनमें लंगर व्यवस्था, मोबाइल कनेक्टिविटी, बिजली, पेयजल, चिकित्सा सुविधा और यातायात प्रबंधनों का ध्यान रखा गया है और पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया है।