लोकसभा चुनाव 2024 में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कई धुरंधरों ने अपनी विचारधारा को एकदम से बदल दिया। कई उम्मीदवारों में पुरानी पार्टी को त्याग कर नए दल के साथ अपनी किस्मत बदलने की कोशिश कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश: पूर्वांचल में राजनीतिक पार्टियां मैदान में उतर गई है। सभी पार्टियां जोर शोर के साथ चुनाव का प्रचार करने में जुटी हुई है. मैदान में उतरे उम्मीदवार पर पार्टियों के लिए लोकसभा चुनाव को जीतना ही अंतिम लक्ष्य बना हुआ है। पार्टी के कई 'धुरंधरों' ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए अपनी विचारधारा को ही बदल दिया है। इन उम्मीदवारों ने पुरानी पार्टी को 'गुडबाय' बोल कर नई पार्टी के साथ अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश में हैं। यूपी आठ संसदीय सीटों पर दस उम्मीदवारों ने पहले दूसरी पार्टियों की नीतियों के आधार पर वोट मांगे थे और मतदाताओं ने भी उन्हीं नीतियों और विश्वसनीयता के आधार पर उन्हें वोट दिया था. लेकिन इस बार के चुनाव में चेहरे तो वही हैं, लेकिन उनके रास्ते और पार्टी अलग हैं।
वाराणसी लोकसभा सीट
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार राय ने वाराणसी लोकसभा सीट से एक बार फिर कांग्रेस की सीट से ताल ठोक रहे हैं। उन्होंने कई बार अपनी पार्टी की अदला-बदली की है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की छात्र शाखा के सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। वर्ष 1996 से 2007 के मध्य लगातार तीन बार भाजपा से कोलासला सीट पर विधायक चुने गए थे। उसके बाद वर्ष 2009 में उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। उस दौरान वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़े लेकिन हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2012 में कांग्रेस में शामिल हो गए और पिंडरा से चुनाव लड़कर विजय हासिल की। 2014 और 2019 में वाराणसी लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा और अब एक बार फिर सेकांग्रेस पार्टी से ही अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
जौनपुर लोकसभा सीट
भारतीय जनता पार्टी के कृपाशंकर सिंह जौनपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। वह साल 2004 में महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार में राज्य मंत्री के पद पर थे। लंबे समय तक महाराष्ट्र कांग्रेस के साथ रहने के बाद वर्ष 2021 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। समाजवादी पार्टी की सीट से बाबू सिंह कुशवाहा अपना दबदबा बना रहे हैं। वह पहले बहुजन समाज पार्टी के नेता रह चुके हैं। वह यूपी विधान परिषद के सदस्य और दो बार कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने अलग से जन अधिकार पार्टी भी बनाई थी। वह कुछ समय के लिए भाजपा में शामिल हुए लेकिन पार्टी में असंतोष की भावना उत्पन्न होने पर त्यागपत्र दे दिया।
मछलीशहर संसदीय सीट
भारतीय जनता पार्टी ने मछलीशहर सीट से सांसद बीपी सरोज को एक बार फिर से चुनाव मैदान में उतारा है। वह 2019 में बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई थी और मात्र 181 वोट से जीत कर सांसद बनी थी। उनकी गिनती महाराष्ट्र के बड़े-बड़े उद्योगपतियों में की जाती है। उन्होंने 2009 में महाराष्ट्र में बसपा के प्रदेश सचिव के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। 2014 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन भाजपा के रामचरित्र निषाद ने उन्हें हरा दिया।
घोसी संसदीय सीट
बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व सांसद बालकृष्ण कुमार चौहान को पार्टी की टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है। बालकृष्ण 1999 में बसपा की टिकट से घोसी के सांसद चुने गए थे। लेकिन 2004 और 2012 में समाजवादी पार्टी मेें शामिल हो गए. बालकृष्ण छह साल के सफर के बाद एक बार फिर से बसपा का ही दामन थाम लिया। वर्ष 2019 में कांग्रेस में शामिल होकर चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा था।
गाजीपुर लोकसभा सीट
समाजवादी पार्टी ने अफजाल अंसारी को टिकट देकर अपना उम्मीदवार घोषित किया है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) से की थी। साल 1985 में पहली बार विधायक बने थे। उसके बाद 2002 तक मोहम्मदाबाद से पांच बार विधायक चुने गए। 2004 मेें सपा से लोकसभा चुनाव लड़कर भारतीय जनता पार्टी के मनोज कुमार सिन्हा को हराया था। 2009 में बसपा को छोड़कर कौमी एकता दल का निर्माण किया। अंसारी 2019 में बसपा में फिर से शामिल होने के बाद गाजीपुर से चुनाव लड़ा और सांसद निर्वाचित हुए।
चंदौली लोकसभा सीट
समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री वीरेंद्र कुमार सिंह को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। 1996 में चिरईगांव सीट पर कांग्रेस के विधायक चुने गए थे। इसी सीट पर बसपा से 2003 के उपचुनाव में भी जीत हासिल की थी। बाद में उन्होंने सपा का हाथ थाम लिया। 2012 में एक बार फिर वह कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन चुनाव के बाद कांग्रेस को त्याग दिया। 2017 में बसपा में शामिल हुई, लेकिन कुछ महीने रहने के बाद ही वह दोबारा सपा में शामिल हो गए। पिछले नगर निकाय चुनाव में सपा ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी सौंपी थी।
भदोही संसदीय सीट
ललितेश कुमार त्रिपाठी तृणमूल से भदोही सीट पर प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी के परिवार से हैं। उन्होंने कांग्रेस छोड़कर तृणमूल का हाथ थामा हैं। ललितेश कांग्रेस सीट से मीरजापुर में मड़िहान से विधायक भी रह चुके है। एक समय बनारस के औरंगाबाद हाउस पर यूपी, बिहार और दिल्ली तक के नेताओं की बहुत ज्यादा भीड़ लगी रहती थी।
बलिया लोकसभा सीट
भारतीय जनता पार्टी ने नीरज कुमार शेखर को बलिया से प्रत्याशी घोषित करके उनपर भरोसा जताया है। यहां से चंद्रशेखर आठ बार सांसद रह चुके है। पिता के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में नीरज ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़कर विजय हासिल की थी। 2009 में वह दोबारा सपा से सांसद चुने गए थे, लेकिन 2014 के चुनाव में भाजपा के भरत कुमार सिंह ने उन्हें मात दी थी। नीरज 2019 में सपा को त्यागकर भाजपा में शामिल हो गए।