बांग्लादेश छोड़ने के बाद से शेख हसीना 5 अगस्त से भारत में हैं। उनकी स्थिति अभी भी अनिश्चित बनी हुई है। वह ब्रिटेन या किसी अन्य यूरोपीय देश में शरण प्राप्त करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन अभी तक किसी भी देश ने उनके लिए मंजूरी नहीं दी है।
Bangladesh: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भी न तो हिंसा की घटनाएं रुक रही हैं और न ही पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की समस्याएं कम हो रही हैं। उनकी पार्टी, अवामी लीग, के कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की खबरें लगातार आ रही हैं। शेख हसीना के खिलाफ भी कई मुकदमे दायर किए गए हैं। इसी बीच, यह सूचना सामने आई है कि अंतरिम सरकार के गृह विभाग ने शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान सांसदों को जारी किए गए सभी राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिए हैं, जिसमें शेख हसीना का पासपोर्ट भी शामिल है।
भारत आई थी शेख हसीना
बांग्लादेश छोड़ने के बाद से, शेख हसीना 5 अगस्त से भारत में निवास कर रही हैं। उनकी स्थिति अभी भी अनिश्चित बनी हुई है, क्योंकि वह ब्रिटेन या किसी अन्य यूरोपीय देश में शरण का प्रयास कर रही हैं, लेकिन अब तक किसी भी देश ने उन्हें मंजूरी नहीं दी है।
रिपोर्टों के अनुसार, शेख हसीना का भारत में लंबे समय तक रहना संभावित राजनैतिक जटिलताएं उत्पन्न कर सकता है, खासकर जब बांग्लादेश ने उनके प्रत्यर्पण के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्लादेश ने अभी तक औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध नहीं किया है। यदि ऐसा अनुरोध किया जाता है, तो भारत उसे स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है।
शेख हसीना पर लगा आरोप
बीएनपी नेता ने की प्रत्यर्पण की मांग दरअसल, ढाका में एक भाषण के दौरान बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की थी। भारत को सीधे संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "हमारा आपसे अनुरोध है कि आप उसे कानूनी तरीके से बांग्लादेश सरकार के हवाले कर दें। इस देश के लोगों ने उसके खिलाफ मुकदमे का फैसला कर लिया है, उसे न्याय का सामना करने दिया जाए।" रिपोर्टों के अनुसार, मिर्जा फखरुल ने शेख हसीना पर आरोप लगाया कि वहबांग्लादेश में चल रही क्रांति को कमजोर करने के लिए भारत में रहकर साजिशें की जा रही हैं।
भारत - बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि
सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश की इस मांग को भारत प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 8 का हवाला देते हुए खारिज कर सकता है। अनुच्छेद 8 में स्पष्ट कहा गया है कि यदि प्रत्यर्पण की मांग 'अच्छी मंशा से या न्याय के हित में' नहीं है, तो उसे अस्वीकार किया जा सकता है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का दावा है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ किए गए अपराध प्रत्यर्पण के योग्य हैं, इसलिए उन्हें भारत से बांग्लादेश वापस भेजा जाना चाहिए।
शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ने के बाद खालिदा जिया को हाउस अरेस्ट से रिहा किया गया था। भारत और बांग्लादेश ने 2013 में एक प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के देशों से भागकर आए लोगों, यानी भगौड़ों को प्रत्यर्पित करते हैं। हालांकि, यह द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि राजनीति से संबंधित व्यक्तियों पर तब तक लागू नहीं होती जब तक कि भगौड़े व्यक्ति पर हत्या जैसे गंभीर आरोप न लगे हों।