लंदन पुलिस से डरती हैं महिलाएं रिपोर्ट तो यही कहती है, जाने लंदन पुलिस पर लगे गंभीर आरोप,

लंदन पुलिस से डरती हैं महिलाएं रिपोर्ट तो यही कहती है, जाने लंदन पुलिस पर लगे गंभीर आरोप,
Last Updated: 23 मार्च 2023

लंदन दुनियां का वो शहर जहाँ से शायद पुलिस व्यवस्था की शुरुआत हुई थी, लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस में 34,000 से भी ज्यादा अधिकारी हैं. लंदन पुलिस की अपनी ही एक शान थी पर अब इस पर ग्रहण लग चूका है, ब्रिटेन की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स पर नस्लभेद, और महिलाओं के प्रति दुर्भावना, होमोफोबिया जैसे गंभीर आरोप लग रहे हैं, लंदन पुलिस के लिए ये बहोत ही शर्मशार करने वाला और अपने गिरेबान में झाँक कर देखने वाला समय है।  एक युवती से बलात्कार और फिर उसकी हत्या के बाद आई स्वतंत्र समीक्षा आयोग की रिपोर्ट में ये दावे किए गए हैं.

ये रिपोर्ट मंगलवार को जारी हुई ,आयोग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लंदन पुलिस को "खुद को बदलना होगा" या टूटने का जोखिम उठाना होगा. इस रिपोर्ट को तैयार करने में आयोग की अगुवाई करने वाली लुइजे कैसी कहती हैं, "जनता होने के नाते खुद को पुलिस से सुरक्षित रखना और डरना हमारा काम नहीं है. आम जनता के तौर पर हमें सुरक्षित रखना पुलिस का काम है. पुलिस को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। लुइजे कैसी, पीड़ितों के अधिकार और समाज कल्याण की एक्सपर्ट हैं. उनके मुताबिक, बहुत ज्यादा लंदनवासी पुलिसिंग पर भरोसा खो चुके हैं।

इस रिपोर्ट के बाद मेट्रोपॉलिटन पुलिस में बड़े और व्यापक सुधार करने का दबाव बन रहा है. बीते कुछ सालों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब महिलाओं और अल्पसंख्यकों के प्रति पुलिस का बेहद खराब रवैया सामने आया. अक्टूबर 2022 में भी आयोग की एक रिपोर्ट आई थी. जिसमे कहा गया था कि पुलिस,अपने अधिकारियों को अच्छी तरह ट्रेनिंग देने में नाकाम रही है

इसी रिपोर्ट में यह कहा गया था की घरेलू हिंसा और नस्लभेदी का आरोप झेलने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करने के बजाए लंदन पुलिस ने उन्हें सर्विस में बनाए रखा. रिव्यू में ये भी कहा गया कि मेट्रोपॉलिटन पुलिस में खुद पर लगे आरोपों को नकारने की संस्कृति पसार चुकी है. पुलिस हमें सब मालूम है जैसी मानसिकता में जीती है. यह काफी चिंताजनक है।

लंदन पुलिस पर लगे हैं बहुत  ही संगीन आरोप।

 मार्च 2021 में लंदन में एक युवती की हत्या हुई. मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव की जॉब करने वाली सारा, साउथ लंदन में अपने दोस्त के घर से पैदल ही लौट रही थी. तभी रास्ते में एक पुलिस अधिकारी ने उसे अगवा किया और शहर से बाहर एक ग्रामीण इलाके में ले जाकर उससे बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर शव को वहीं दफना दिया. जांच में सीसीटीवी कैमरों के फुटेज से मामले की परतें एक के बाद एक खुलने लगीं. इस वारदात के बाद लोगों का गुस्सा भड़क उठा. देश भर में जगह जगह प्रदर्शन होने लगे. कई और भी महिलाएं  सामने आईं जिन्होंने पुलिस अधिकारियों पर इससे मिलते जुलते गंभीर आरोप लगाए

 

बहुत ही संगीन आरोप और सजा।  

इसके कुछ ही महीने बाद दिसंबर 2021 में दो पुलिस अधिकारियों को दो ब्लैक महिलाओं की आपत्तिजनक तस्वीरें लेने और शेयर करने के लिए जेल की सजा हुई. और  एक पुलिस अधिकारी को एक दो या चार नहीं बल्कि 48 बलात्कारों का दोषी करार दिया गया. उस पुलिस अधिकारी पर 17 साल तक कई महिलाओं से बलात्कार करने के आरोप सिद्ध हुए.

 इतना ही नहीं, मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अधिकारियों पर समलैंगिकों और अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत भरा रुख अपनाने के आरोप भी लगते रहे हैं. ये भी आरोप है की एक मामले में जांच अधिकारी ने चार समलैंगिक युवाओं की हत्या करने वाले सीरियल किलर को  जांच में जानबूझकर ढील दी.

 

363 पेज की विस्तृत रिपोर्ट और पुलिस की मुश्किलें।  

आयोग की 363 पेज की विस्तृत रिपोर्ट में कहा गया है कि फंडिंग में कटौती, स्थानीय पुलिस स्टेशनों को बंद करने के फैसले और असरदार तरीके से कम्युनिटी पुलिसिंग को खत्म करने से भी हालात खराब हुए हैं. रिपोर्ट का एक अंश कहता है कि मेट्रोपॉलिटन पुलिस में कोई तालमेल नहीं दिखाई पड़ता है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि किस तरह ट्रेनिंग, पैसे और सुविधाओं की कमी से पुलिसिंग का काम प्रभावित हुआ है.

 

फोरेंसिक जांच के साधन और छमता की कमी।

इस जांच में ऐसे भी मामले सामने आए जब पुलिस के पास फोरेंसिक सबूत जुटाने  साधन और क्षमता दोनों ही नहीं देखे गए. रेप जैसे कई मामलों में कामचलाऊ तरीके से सबूत जमा किए गए. और बाद में ऐसे सबूत खराब हो गए जिन्हे कोर्ट में  पेश नहीं किया गया. यह सब वाकई में हैरान करने वाला था।  कोई भी लंदनवाशी इस तरह के पुलिस के काम से बहुत ज्यादा आहत हुए है,

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