हुमा कुरैशी की वेब सीरीज मिथ्या का दूसरा सीजन रिलीज़ हो चुका है। यदि आप इसे देखने की योजना बना रहे हैं, तो पहले इसका रिव्यू अवश्य पढ़ें।
Mithya 2 Review: यदि आप 'सिंघम अगेन' और 'भूल भुलैया' से निराश हुए हैं और ओटीटी पर कुछ बेहतरीन देखने की तलाश में हैं, तो आपको यहां भी निराशा ही हाथ लगेगी। जी 5 पर रिलीज हुई 'मिथ्या 2' भी 'सिंघम अगेन' और 'भूल भुलैया' की तरह इसी भ्रांति में जीती है कि अगर पहले भाग ने अच्छा प्रदर्शन किया था, तो दर्शक आगे के भाग में कुछ भी देख लेंगे। लेकिन सच्चाई कुछ और ही है।
कहानी
यह कहानी दो सौतेली बहनों की है जो एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। हुमा कुरैशी एक लेखिका हैं, जबकि अवंतिका दसानी एक व्यवसायी महिला। अवंतिका, हुमा के पीछे नवीन कस्तूरिया को लगा देती है, जो हुमा पर आरोप लगाता है कि उसने अपनी किताब में उसकी कहानी चुराई है। जब हुमा के पिता को इस बारे में पता चलता है, तो वे बहुत परेशान होते हैं। इसके बाद, दोनों बहनों के बीच कुछ बचकाने दांव-पेंच खेले जाते हैं, जो स्थिति को और हास्यप्रद बना देते हैं। इसी तरह, यह सब करते-करते छह एपिसोड समाप्त हो जाते हैं।
कैसी है सीरीज
यह सीरीज शायद आप पूरी तरह से देखने की हिम्मत न जुटा पाएंगे। इस सीरीज में दिलचस्पी उभरकर सामने नहीं आती। एक डेढ़ एपिसोड के बाद ही यह सीरीज बोरियत का एहसास कराने लगती है, कोई भी ट्विस्ट या टर्न आपको हैरान नहीं करता। 6 एपिसोड की यह सीरीज सहन करना कठिन हो जाता है, ऐसा लगता है जैसे दो बच्चे आपस में झगड़ रहे हों। कहानी को बहुत सीधे तरीके से प्रस्तुत किया गया है, कहीं भी आपको कोई शॉक नहीं मिलता, न ही यह सीरीज अपने नाम को सार्थक करती है। यदि आप इसे पूरा देखने में सफल हो जाते हैं, तो यह आपकी हिम्मत को ही दर्शाएगी।
एक्टिंग की समीक्षा
हुमा कुरैशी की एक्टिंग बस ठीक ठाक है, लेकिन उनका प्रभाव उतना नहीं है जितना कि उन्होंने 'महारानी' में छोड़ा था। यहां की स्क्रिप्ट काफी कमजोर है, जिसका असर उनकी एक्टिंग पर साफ दिखाई देता है। अवंतिका दसानी, भाग्यश्री की बेटी, इस प्रोजेक्ट में नई हैं और इस हिसाब से वे काफी प्रभावित करती हैं। अगर उन्हें और बेहतर मौके मिले, तो वे निश्चित रूप से आगे बढ़ सकती हैं। नवीन कस्तूरिया एक बेहतरीन अभिनेता हैं, लेकिन यहां उन्हें सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया गया। उनके किरदार को और गहराई से विकसित किया जाना चाहिए था। रजित कपूर ने अपने काम में कोई कमी नहीं छोड़ी, लेकिन खराब कहानी के सामने किसी भी अभिनेता की प्रतिभा फीकी पड़ जाती है।
डायरेक्शन
इस सीरीज का डायरेक्शन कपिल शर्मा ने किया है। हाँ, वही कपिल शर्मा लेकिन यह 'कॉमेडी नाइट्स' वाले कपिल नहीं हैं; ये एक अलग कपिल हैं, और उनके डायरेक्शन का स्तर बहुत खराब है। कहीं न कहीं वो दर्शकों को सही तरीके से जोड़ नहीं पा रहे हैं, और ऐसा लगता है कि कहानी में कोई रोमांच नहीं है। उन्हें इस कहानी पर और मेहनत करनी चाहिए थी। आज के समय में कंटेंट बहुत बदल गया है, और दर्शकों को कुछ ऐसा चाहिए जो उन्हें चौंकाए, लेकिन इस सीरीज की कमियाँ ही दर्शकों को हैरान कर देती हैं।
कुल मिलाकर, इस सीरीज में ऐसा कुछ भी नहीं है जो इसे देखने का मन बनाए।