Laapataa Ladies: लापता लेडीज' Oscar 2025 के लिए हुई नॉमिनेट, इंडियन रेलवे ने बधाई देते हुए मनाया जश्न

Laapataa Ladies: लापता लेडीज' Oscar 2025 के लिए हुई नॉमिनेट, इंडियन रेलवे ने बधाई देते हुए मनाया जश्न
Last Updated: 7 घंटा पहले

 

फिल्म लापता लेडीज, जो साल 2023 में रिलीज हुई थी, ने भारतीय ऑडियंस के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की। इस फिल्म का बजट 4 से 5 करोड़ रुपये था, जबकि इसने बॉक्स ऑफिस पर लगभग 24 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया। अब इस फिल्म को ऑस्कर 2025 में शामिल किया गया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। इस सफलता के मौके पर इंडियन रेलवे ने भी जश्न मनाया।

Oscar 2025: किरण राव के निर्देशन में बनी कम बजट की फिल्म 'लापता लेडीज' ने अपनी गुणवत्ता और कहानी के चलते ऑस्कर 2025 में जगह बनाने में सफलता हासिल की है। इस फिल्म ने चार अन्य फिल्मों को पछाड़ते हुए यह सम्मान प्राप्त किया है, जो इसकी प्रशंसा और महत्व को दर्शाता है।

फिल्म के निर्माता आमिर खान और किरण राव ने इस बड़ी उपलब्धि पर अपनी खुशी व्यक्त की है, और इसे भारतीय सिनेमा के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण माना जा रहा है।

भारतीय रेलवे ने हाल ही में फिल्म 'लापता लेडीज' के ऑस्कर 2025 में शामिल होने पर पूरी टीम को बधाई दी है। उन्होंने इस उपलब्धि को फिल्म की टीम के लिए गर्व का पल करार दिया है।

इंडियन रेलवे ने दी बधाई

सोमवार को 'लापता लेडीज' की टीम को फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा ऑस्कर 2025 के लिए भारत की आधिकारिक एंट्री के रूप में चुने जाने पर बधाई दी गई। इस फिल्म में नितांशी गोयल, स्पर्श श्रीवास्तव, और प्रतिभा रांता ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं।

अब, इस सफलता के जश्न में इंडियन रेलवे भी शामिल हो गया है। रेलवे ने फिल्म की पूरी टीम को बधाई दी है और उनकी इस उपलब्धि को भारतीय सिनेमा के लिए गर्व का पल बताया है।

रेलवे ने पोस्ट के जरिए शेयर की ख़ुशी

मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे ने 'लापता लेडीज' की पूरी टीम को बधाई देते हुए अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया है। उन्होंने लिखा, " सजनी रे... बहुत बहुत बधाई! इंडियन रेलवे इस शानदार फिल्म का हिस्सा बनने पर बहुत गर्व महसूस कर रहा है"

फिल्म 'लापता लेडीज' की कहानी

फिल्म 'लापता लेडीज' की कहानी छोटे से गांव की दो लड़कियों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो शादी के बाद ट्रेन के माध्यम से अपने-अपने ससुराल जाती हैं। फिल्म में जया, जो दीपक के घर पहुंच जाती है, और फूल कुमारी, जो अपने नए घर का ना तो पता जानती है और ना ही अपने ससुराल का, का जीवन प्रस्तुत किया गया है।

फूल कुमारी अपनी स्थिति को समझते हुए भी हिम्मत नहीं हारती, जबकि दीपक अपनी पत्नी को ढूंढने में कोई कसर नहीं छोड़ता। कहानी इसी संघर्ष और खोज में आगे बढ़ती है, जहां प्यार, उम्मीद और आत्मविश्वास की महत्वपूर्ण बातें सामने आती हैं।

इस फिल्म का बजट चार से पांच करोड़ रुपये था, और इसने बॉक्स ऑफिस पर लगभग 24 करोड़ रुपये का संग्रह किया।

 

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