सुरों की कोकिला के नाम से मशहूर गायिका लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को कौन नहीं जानता? आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके अद्भुत गीतों के कारण वह हमेशा फैंस के दिलों में बसी रहेंगी। लेकिन क्या आपको पता है कि एक बार उनकी पतली आवाज के कारण उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था?
लीजेंड्री सिंगर लता मंगेशकर अपनी जादुई आवाज़ से किसी भी गाने को हिट बना देती थी आज भले ही लता जी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके गाए नग्मों को फैंस आज भी सुनना पसंद करते हैं।। आज भले ही लता जी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके गाए नग्मों को फैंस आज भी सुनना पसंद करते हैं।
28 सितंबर को लता मंगेशकर की बर्थ एनिवर्सरी मनाई जाती है। इस खास अवसर पर हम आपके लिए गायिका से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा पेश कर रहे हैं, जिसके बारे में आपको शायद ही जानकारी होगी। एक बार मशहूर निर्देशक ने लता मंगेशकर को उनकी पतली आवाज़ के कारण रिजेक्ट कर दिया था।
लता की आवाज़ सितारे बनने की राह में रुकावट
लता मंगेशकर का फिल्म इंडस्ट्री में एक सिंगर के रूप में बहुत ही ऊँचा रुतबा रहा है। लेकिन यह सच किसी से भी छिपा नहीं है कि इस महान गायिका को भी कई संघर्षों का सामना करना पड़ा। आईएमडीबी की रिपोर्ट के अनुसार, यह कहानी ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार की फिल्म "शहीद" से संबंधित है, जिसका निर्देशन एस. मुखर्जी ने किया था।
उन्होंने इस फिल्म के एक गाने के लिए लता मंगेशकर का ऑडिशन लिया था। गायिका की आवाज सुनकर मुखर्जी साहब को कुछ खास पसंद नहीं आई और उन्होंने कहा कि उनकी आवाज बहुत पतली है, जो मेरी फिल्म के गीत के लिए उचित नहीं है। इस प्रकार, उन्होंने लता मंगेशकर को अस्वीकार कर दिया था।
लता की राह में दिलीप की सलाह
हालांकि, बाद में दिलीप कुमार ने खुद लता मंगेशकर की आवाज सुनी और उन्हें एक महत्वपूर्ण सलाह दी। चूंकि लता मराठी पृष्ठभूमि से थीं, उनकी आवाज में मराठी का लहजा था। इसलिए दिलीप साहब ने उन्हें उर्दू के शब्दों का ज्ञान प्राप्त करने की सलाह दी, ताकि उनकी गायकी में सुधार हो सके। इसके बाद लता ने कड़ी मेहनत के साथ उर्दू सीखी और जल्द ही वह हिंदी सिनेमा के इतिहास की सुरों की कोकिला बन गईं।
लता मंगेशकर: 50,000 से ज्यादा गीत
लता मंगेशकर को गायकी के क्षेत्र में इंडस्ट्री की सर्वश्रेष्ठ फीमेल प्लेबैक सिंगर माना जाता है। अपने शानदार करियर में उन्होंने 14 विभिन्न भाषाओं में लगभग 50,000 से अधिक गीत गाए हैं। उनकी मधुर आवाज़ ने उनके अधिकांश गानों को सदाबहार बना दिया है। यह सच में अद्भुत है कि लता मंगेशकर सिनेमा के काले-गोरे दौर से लेकर रंगीन स्क्रीन तक एक सिंगर के रूप में सक्रिय रहीं।