लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक अजीबोगरीब मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिसे पांच साल पहले मृत घोषित कर दिया गया था। यह व्यक्ति, अरविंद चौहान, एक निवेश कंपनी के बंद होने के बाद अपने देनदारों से बचने के लिए लखनऊ भाग गया था और यहां ऑटो रिक्शा चलाकर अपना जीवन यापन कर रहा था।
पुलिस ने अरविंद चौहान को लखनऊ के मड़ियांव इलाके में स्थित आईआईएम के पास से गिरफ्तार किया। बताया जा रहा है कि अरविंद 2019 से फरार था और उसने खुद को मृत घोषित करवा लिया था। हालांकि, असल में वह अपनी पत्नी और बच्चों से व्हाट्सएप के जरिए संपर्क में था, जबकि वह लखनऊ में अपनी पहचान छुपाकर ऑटो चला रहा था।
कंपनी के बंद होने के बाद हुआ फरार
अरविंद चौहान ने 2006 में आजमगढ़ जिले के जहानागंज थाना क्षेत्र में स्थित एलकेमिस्ट लिमिटेड नामक एक निजी कंपनी में मार्केटिंग एजेंट के तौर पर काम करना शुरू किया था। यह कंपनी लोगों से निवेश के नाम पर पैसे इकट्ठा करती थी, लेकिन 2017 में अचानक बंद हो गई। इसके बाद अरविंद पर अपने रिश्तेदारों और जनता के करोड़ों रुपये लौटाने का दबाव बढ़ने लगा, जिससे वह घबराया हुआ था।
इन दबावों से बचने के लिए अरविंद ने 19 जुलाई 2019 को अपना मोबाइल फोन घर पर छोड़कर लखनऊ भागने की योजना बनाई। लखनऊ पहुंचकर उसने मड़ियांव इलाके में एक कमरा किराए पर लिया और ऑटो रिक्शा चलाने लगा। इस दौरान वह अपनी पत्नी और बच्चों से व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से संपर्क बनाए रखता था, जिससे उसके परिवार को उसकी गुमशुदगी का अहसास नहीं हुआ।
पत्नी ने हत्या का मामला दर्ज कराया था
अरविंद के लापता होने के बाद उसकी पत्नी सुनीता चौहान ने 30 जुलाई 2019 को जीयनपुर थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद, उसकी पत्नी ने न्यायालय के माध्यम से अरविंद की हत्या का मामला दर्ज कराया, जिसमें वासुदेव और घरबरन चौहान को आरोपी बनाया गया था।
हालांकि, इस मामले की जांच के दौरान पुलिस को एक अहम सुराग मिला जब उन्होंने अरविंद और उसकी पत्नी के बीच व्हाट्सएप चैट्स की जानकारी हासिल की। इस चैट से खुलासा हुआ कि अरविंद जीवित है और लखनऊ में ऑटो चला रहा है। इसके बाद पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की और उसे आखिरकार लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया।
वित्तीय धोखाधड़ी का मामला, आगे की जांच जारी
अरविंद की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने बताया कि यह मामला वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है, क्योंकि अरविंद और उसकी कंपनी ने निवेश के नाम पर लोगों से बड़े पैमाने पर पैसे इकट्ठा किए थे और बाद में उन्हें लौटाने में नाकाम रहे थे। पुलिस अब इस मामले की विस्तृत जांच कर रही है और यह जानने की कोशिश कर रही है कि इस धोखाधड़ी में और कौन लोग शामिल हैं।
इस घटना ने यह सवाल भी उठाया है कि कैसे कोई व्यक्ति पांच साल तक अपनी पहचान छुपाकर अपनी जिंदगी जी सकता है और उसकी गुमशुदगी के बावजूद कोई सुराग नहीं मिल पाता। पुलिस अब अरविंद से पूछताछ कर रही है, ताकि इस मामले में और जानकारी मिल सके और उसके साथी अपराधियों की पहचान की जा सके।