Amit Shah: अमित शाह ने कश्मीर को लेकर किया अहम बयान, अनुच्छेद 370 की दिलाई याद

Amit Shah: अमित शाह ने कश्मीर को लेकर किया अहम बयान, अनुच्छेद 370 की दिलाई याद
Last Updated: 2 दिन पहले

अमित शाह ने "जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख: सातत्य और संबद्धता का ऐतिहासिक वृत्तांत" किताब के विमोचन में कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहेगा। उन्होंने आर्टिकल 370 को खत्म करने के बाद आतंकवाद में कमी आने का दावा किया।

Amit Shah On Pok: दिल्ली में 'जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख: सातत्य और संबद्धता का ऐतिहासिक वृत्तांत' नामक किताब के विमोचन कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार (02 जनवरी, 2025) को हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने भारतीय राजनीति और सुरक्षा से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार रखे। उन्होंने आर्टिकल 370 के खिलाफ मोदी सरकार की कार्रवाई को रेखांकित किया और आतंकवाद के मुद्दे पर भी अपनी राय व्यक्त की। शाह ने इशारों-इशारों में यह भी कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी जल्द ही भारत का हिस्सा होगा।

भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक एकता पर बल

अमित शाह ने अपने बयान में कहा, "अंग्रेजों के समय लिखे गए इतिहास की व्याख्या ही गलत थी।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो अपनी संस्कृति से जुड़ा हुआ है, और दुनिया भर में ऐसा कोई दूसरा देश नहीं है। शाह ने यह स्पष्ट किया कि भारत को समझने के लिए देश को जोड़ने वाले तत्वों को समझना जरूरी है। उन्होंने कहा, "कश्मीर में जो कला, वाणिज्य और संस्कृति थी, वही धीरे-धीरे पूरे भारत में फैली।" उनका यह बयान कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए, यह संदेश देने की कोशिश थी कि कश्मीर का भारत से जुड़ा संबंध हमेशा से था, है और हमेशा रहेगा।

आर्टिकल 370 और आतंकवाद का कनेक्शन

गृह मंत्री ने आर्टिकल 370 के बारे में कहा, "370 ने कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद का बीज बोया था।" उनके अनुसार, मोदी सरकार ने इस अनुच्छेद को खत्म करके कश्मीर की सुरक्षा और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।

उन्होंने यह भी बताया कि 370 हटने के बाद से कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है और घाटी से आतंकवाद के इकोसिस्टम को नष्ट कर दिया गया है।

प्राचीन ग्रंथों का संदर्भ: शाह 

इस दौरान अमित शाह ने भारत के साथ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक एकीकरण को मजबूत करने के लिए 8,000 साल पुराने प्राचीन ग्रंथों का हवाला दिया। उनका यह बयान यह दर्शाता है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का भारत में समाहित होना केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक सत्य है।

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