बिहार में बाढ़ ने गंभीर तबाही मचा दी है। कई जिलों में अनेकों घर पानी में समा गए हैं, जिससे लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कुछ इलाकों में रेलवे ट्रैक पर भी पानी चढ़ गया है, जिसके चलते कई ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं। कोसी और बागमती नदी के जलस्तर में वृद्धि ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। बाढ़ से फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है, जिससे किसानों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा हैं।
पटना: बिहार में भारी बारिश के बाद लगभग सभी नदियों में उफान आ गया है। नेपाल में भी भारी वर्षा के चलते आज (29 सितंबर 2024) सुबह पांच बजे कोसी बराज, वीरपुर से 6,61,295 क्यूसेक जलस्राव हुआ है, जो कि 1968 के बाद का सर्वाधिक स्तर है। इस स्थिति को देखते हुए, तटबंधों की सुरक्षा के लिए जल संसाधन विभाग की टीमें दिन-रात सक्रिय हैं। वे तटबंधों की स्थिति की निगरानी कर रही हैं और जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रही हैं। बाढ़ की स्थिति को लेकर प्रशासन और राहत एजेंसियां भी चौकस हैं, ताकि प्रभावित लोगों को समय पर सहायता प्रदान की जा सके।
अररिया में बाढ़ से स्थिति भयावह
पलासी प्रखंड में बकरा नदी पर मनरेगा से बना बांध देर रात कुछ हिस्सों में टूट गया है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है। ककोड़वा में 10-15 फीट और डेहटी मीरभाग में लगभग 60 फीट बांध टूटने के कारण दक्षिण डेहटी और भिखा पंचायत में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। दक्षिण डेहटी पंचायत इस बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। वहीं, बकरा, नूना, परमान और कनकई नदियों में पानी घटने की रफ्तार बेहद सुस्त है। बाढ़ प्रभावित सिकटी, पलासी, जोकीहाट, कुर्साकांटा और फारबिसगंज प्रखंड क्षेत्रों में स्थिति अभी भी यथावत बनी हुई है, और दो दर्जन से अधिक पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हैं।
बाढ़ नियंत्रण विभाग के सहायक अभियंता कमल कुमार ने बताया कि नदी का पानी घट-बढ़ रहा है। पलासी में बकरा नदी पर मनरेगा से बना बांध दो जगहों पर टूट गया है, लेकिन फिलहाल मरम्मत कार्य शुरू नहीं हो सका है क्योंकि वहां तक जाने का रास्ता नहीं है। इस स्थिति में, घरों और आंगनों में पानी आने से लोग ऊंचे स्थलों या अपने स्वजन के पास शरण ले रहे हैं।
बांका में धान की फसल हुई प्रभावित
बांका जिला के शंभूगंज प्रखंड में रामचुआ नहर बारिश के पानी के दबाव में टूटने से लगभग 50 एकड़ खेत में लगे धान फसल प्रभावित होने की संभावना है। किसानों ने खेतों से पानी निकालने में जुटे हैं, क्योंकि यदि पानी समय पर नहीं निकाला गया, तो धान फसल को गंभीर क्षति हो सकती है। रामचुआ नहर बदुआ नदी से जुड़ी हुई है, जिससे रामचुआ और छत्रहार पंचायतों के गोयड़ा, बालाची, सहरोय सहित अन्य गांवों के किसानों के खेत भी प्रभावित होने का अनुमान है। किसान रविंद्र सिंह ने बताया कि लगातार तीन दिनों की बारिश के कारण पानी के दबाव से नहर एक जगह टूट गई है, जिसके चलते नहर से पानी खेतों की ओर बह रहा है। इस स्थिति को देखते हुए, किसान जल्द से जल्द पानी को खेतों से निकालने के प्रयास कर रहे हैं, ताकि फसलों को बचाया जा सके।
बाढ़ से कोसी व कमला बलान का जलस्तर बढ़ा
रभंगा में कोसी और कमला बलान नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण कुशेश्वरस्थान पूर्वी, किरतपुर, घनश्यामपुर, और गौड़ाबौराम प्रखंडों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कुशेश्वरस्थान पूर्वी में फसल अभी सुरक्षित है, लेकिन जलस्तर में वृद्धि जारी रहने पर फसल डूबने का खतरा है। किरतपुर प्रखंड के चार पंचायतों के लगभग एक दर्जन गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। गौड़ाबौराम प्रखंड में रहिटोल जाने वाली सड़क पर कमला नदी का पानी चढ़ गया है, जिससे रहिटोल के चतरा गांव के करीब पांच सौ घरों के लोगों का आवागमन बाधित हो गया है। इन लोगों को अब नावों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। घनश्यामपुर में कमला नदी के जलस्तर में वृद्धि से बाउर, नवटोलिया, बैजनाथपुर, कनकी मुसहरी, कैथाही, पुनर्वास टोला, लगमा मुसहरी और जमरी डीह टोल आदि गांवों की सभी सड़कें पानी में डूब गई हैं।
जोगबनी स्टेशन पर पानी भरने से कई ट्रेने रद्द
नेपाल के भूभाग में हुई भारी बारिश का असर अब भारत के जोगबनी रेलवे स्टेशन पर भी देखने को मिल रहा है। जोगबनी के टिकुलिया बस्ती में पानी शनिवार की देर संध्या से प्रवेश करने लगा है, जिससे रेलवे ट्रैक पर पानी जमा हो गया है। इसके चलते जोगबनी से खुलने वाली सभी ट्रेनों को अगले आदेश तक रद्द कर दिया गया है।
इस स्थिति के कारण सभी ट्रेनों का परिचालन रविवार सुबह से फारबिसगंज से शुरू किया गया है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि जोगबनी भारत के अंतिम रेलवे स्टेशन के रूप में कार्य करता है, जहां से कटिहार के लिए सीधी रेल सेवा उपलब्ध है। रेलवे विभाग इस समस्या को जल्द से जल्द हल करने के लिए प्रयासरत है, ताकि यात्रियों को सुविधा मिल सके।