तरारी से पूर्व विधायक सुनील पांडेय ने आज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण कर ली। उन्हें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पार्टी में शामिल कराया। पिछली बार एनडीए में यह सीट भाजपा के कोटे में थी। ऐसे में अब कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा तरारी सीट से सुनील पांडेय को टिकट दे सकती हैं।
पटना: बिहार में चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच रणनीतियां तेज हो गई हैं। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है और चारों सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए भोजपुर जिले के तरारी विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार पांडेय, जिन्हें सुनील पांडेय के नाम से भी जाना जाता है, को भाजपा की सदस्यता दिलाई गई।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पांडेय को पार्टी में शामिल करके एक बड़ा संदेश दिया है। यह कदम इस बात का प्रमाण है कि भाजपा उपचुनावों में जीत हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पार्टी ने अपने चुनावी अभियान में पूरी ताकत लगा दी है और अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय बनाया है। अब यह देखा जाना बाकी है कि भाजपा के इस कदम का उपचुनावों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
सुनील पांडेय दबंग नेताओ में हैं शामिल
पूर्व सांसद सुनील पांडेय ने रविवार को भव्य समारोह के बीच भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इस अवसर पर भाजपा के अनेक वरिष्ठ नेता, पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी मौजूद थे। आपको बता दें कि 2020 के चुनाव में तरारी से सुनील पांडेय निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि भाजपा के कौशल विद्यार्थी को करारी हार का सामना करना पड़ा था।
सुनील पांडेय का बिहार की राजनीति में एक विशेष स्थान है और वे बिहार के दबंग नेताओं में गिने जाते हैं। हालाँकि वे मूलतः रोहतास जिले के निवासी हैं, लेकिन उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत भोजपुर के पीरो विधानसभा क्षेत्र से की थी। उन्होंने मात्र 34 वर्ष की आयु में वर्ष 2000 में पीरो सीट से अपने पहले चुनाव में जीत हासिल की थी।
चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं सुनील पांडेय
सुनील पांडेय जिनका राजनीतिक करियर चार बार विधानसभा चुनाव जीतने से सजा है, अब भाजपा के टिकट पर तरारी विधानसभा उपचुनाव में उतरने जा रहे हैं। पांडेय ने पहली बार वर्ष 2000 में समता पार्टी के टिकट पर पीरो से चुनाव जीता था। इसके बाद फरवरी 2005 और फिर अक्टूबर 2005 में हुए उपचुनाव में भी उन्होंने इसी सीट पर जीत हासिल की।
सुनील पांडेय ने साल 2010 में जदयू के टिकट पर तरारी से चुनाव जीता था। 2015 में उनकी पत्नी गीता पांडेय, एलजेपी के टिकट पर तरारी से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। सुनील पांडेय के भारतीय जनता पार्टी में आने से तरारी विधानसभा उपचुनाव में मुकाबला और भी रोमांचक होने वाला हैं।