BSP: मायावती का कड़ा निर्णय; आनंद कुमार की नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से विदाई, रणधीर बेनीवाल को मिली बड़ी जिम्मेदारी

BSP: मायावती का कड़ा निर्णय; आनंद कुमार की नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से विदाई, रणधीर बेनीवाल को मिली बड़ी जिम्मेदारी
अंतिम अपडेट: 14 घंटा पहले

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने एक और बड़ा राजनीतिक फैसला लेते हुए अपने भाई आनंद कुमार को बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया हैं।

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने एक और बड़ा राजनीतिक फैसला लेते हुए अपने भाई आनंद कुमार को बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया है। मायावती ने इस निर्णय की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से साझा की। उन्होंने कहा कि आनंद कुमार ने पार्टी और मूवमेंट के हित को ध्यान में रखते हुए एक पद पर बने रहने की इच्छा जाहिर की थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया। अब वे बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहेंगे और सीधे मायावती के निर्देशानुसार अपनी जिम्मेदारियां निभाएंगे।

रणधीर बेनीवाल और रामजी गौतम को मिली अहम जिम्मेदारी

आनंद कुमार की जगह अब सहारनपुर के रणधीर बेनीवाल को बसपा का नया नेशनल कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही रामजी गौतम भी इस पद पर बरकरार रहेंगे। मायावती के अनुसार, ये दोनों नेता अब देशभर में पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए कार्य करेंगे और विभिन्न राज्यों में पार्टी की रणनीतियों को लागू करेंगे।

इससे पहले, मायावती ने 12 फरवरी को अपने भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को बसपा से निष्कासित कर दिया था। मायावती ने उन पर पार्टी में गुटबाजी करने और अनुशासनहीनता का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि अशोक सिद्धार्थ को कई बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज किया।

आकाश आनंद को भी पार्टी पदों से हटाया गया

2 मार्च को मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से मुक्त कर दिया। उन्होंने कहा कि आकाश आनंद पार्टी के मूल सिद्धांतों से भटक रहे थे और उन पर उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ का गलत प्रभाव था। मायावती ने साफ कहा कि उनके जीते जी कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा और पार्टी की अगली पीढ़ी के नेतृत्व का फैसला वह स्वयं करेंगी।

बसपा में हाल के दिनों में लिए गए ये फैसले इशारा करते हैं कि मायावती अब पार्टी में अनुशासनहीनता और गुटबाजी को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगी। उन्होंने नेतृत्व पर अपनी पूरी पकड़ बनाए रखते हुए पार्टी में केवल उन्हीं नेताओं को आगे बढ़ाने का फैसला किया है, जो बसपा के मूल विचारधारा के प्रति निष्ठावान हैं।

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