एक घने जंगल में कई चंदन के पेड़ थे, जिनकी सुगंध दूर-दूर तक फैली रहती थी। उन्हीं में से एक विशाल चंदन के पेड़ पर एक आलसी और घमंडी अजगर रहता था। वह अक्सर पेड़ से लिपटकर सोता और उस महक का आनंद लेता।
समझदार चिड़िया और उसके बच्चे
इसी पेड़ की ऊँची डालियों में एक समझदार चिड़िया ने अपना घोंसला बना रखा था। उसके दो छोटे बच्चे थे, जिन्हें वह रोज़ाना दाना खिलाती और उड़ना सिखाती थी। एक दिन, जब चिड़िया अपने बच्चों को खाना खिला रही थी, उनके मीठे चहचहाने से अजगर की नींद खुल गई। अजगर झुंझलाते हुए बोला, "अरे, इन बच्चों को चुप कराओ! चैन से सोने भी नहीं देते।"
चिड़िया मुस्कुराते हुए बोली, "अजगर भाई, दिन मेहनत करने के लिए और रात सोने के लिए होती है। आप भी कुछ काम कर लिया करें।" अजगर हँसते हुए बोला, "हम अजगर मेहनत नहीं करते। हम बस इंतजार करते हैं, कोई शिकार पास आ जाए तो आराम से उसे खा लें और फिर कई दिन तक सोते रहें।" चिड़िया को उसकी बातों से हल्का सा डर लगा।
उसने सतर्क होकर पूछा, "तो कहीं तुम मेरे बच्चों को खाने के बारे में तो नहीं सोच रहे?" अजगर ने ठहाका लगाते हुए कहा, "छोटी चिड़िया! तुम्हारे नन्हे बच्चों से मेरा पेट थोड़ी भरेगा? मैं ऐसे छोटे जीवों का शिकार नहीं करता।"
अजगर की भूख और बच्चों की सतर्कता
समय बीतता गया। कई दिनों तक अजगर को कोई शिकार नहीं मिला। उसकी भूख बढ़ती जा रही थी और अब उसे वही छोटे चिड़िया के बच्चे अपने भोजन जैसे दिखने लगे। एक दिन, जैसे ही चिड़िया दाना लाने के लिए निकली, अजगर ने बच्चों पर हमला करने का फैसला किया। वह धीरे-धीरे डाल की ओर बढ़ा, लेकिन बच्चों को अपनी माँ से पहले ही यह सीख मिल चुकी थी कि भूखा अजगर कभी भी हमला कर सकता है।
जैसे ही अजगर उनकी ओर लपका, दोनों बच्चे सतर्क होकर तुरंत उड़ गए और पास के दूसरे पेड़ की डाल पर जा बैठे। अजगर ने संतुलन खो दिया और धड़ाम से ज़मीन पर गिर गया। इस गिरावट से उसे गहरी चोट लग गई और वह हिलने-डुलने में असमर्थ हो गया। संयोगवश, चिड़िया का घोंसला भी गिरकर बिखर गया। जब चिड़िया दाना लेकर लौटी, तो घोंसला टूटा देख उसका दिल बैठ गया। उसे लगा कि अजगर ने उसके बच्चों को खा लिया होगा।
क्रोध में आकर वह अजगर की पीठ पर तेजी से चोंच मारने लगी। तभी उसके बच्चों की आवाज सुनाई दी। चिड़िया खुशी से चहक उठी और उड़कर उनके पास चली गई। मगर अब उनका घोंसला टूट चुका था।
पछतावा और सबक
अजगर को होश आया और वह पछताने लगा। उसने विनती की, "बहन, मुझे माफ कर दो। भूख ने मेरा विवेक छीन लिया था। अब मैं वादा करता हूँ कि तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा। कृपया लौट आओ।" चिड़िया ने कठोर स्वर में कहा, "विश्वास एक बार टूट जाए तो दोबारा नहीं जुड़ता। मैं अब इस पेड़ पर नहीं रह सकती। अगर तुम रात में हमला कर देते तो मेरे मासूम बच्चे नहीं बच पाते।"
इसके बाद चिड़िया ने नदी के दूसरे किनारे पर एक ऊँचे पेड़ पर अपना नया घोंसला बना लिया, जहाँ अजगर कभी नहीं पहुँच सकता था। अंततः भूख और चोटों के कारण अजगर की मृत्यु हो गई। उसके मरते ही शिकारी वहाँ आ गए और चंदन के सारे पेड़ काट ले गए।
शिक्षा
जो दूसरों का अहित सोचते हैं, अंततः उनका स्वयं ही पतन हो जाता है।