"जैसा कार्य वैसा बल" यह एक पुरानी और बहुत ही महत्वपूर्ण कहावत है जो हमें यह सिखाती है कि हमारी ताकत और ऊर्जा का दिशा उसी कार्य में लगानी चाहिए, जिस कार्य से हम समाज और अपने जीवन को सही दिशा दे सकें। यह कहावत हमें यह समझाने की कोशिश करती है कि केवल शारीरिक ताकत ही नहीं, बल्कि मानसिक और नैतिक बल भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस कहावत का गहरा अर्थ है कि हम जो कार्य करते हैं, वही हमारे बल और शक्ति को आकार देता हैं।
नर्मदा के किनारे विक्रम की शक्ति का सही उपयोग
कमलपुर, नर्मदा नदी के किनारे बसा एक छोटा सा गांव था, जहाँ हर कोई विक्रम की ताकत से परिचित था। विक्रम, एक शक्तिशाली युवक, जिसे देखकर लोग डरते थे। उसका शरीर ऐसा था कि उसकी ताकत का कोई मुकाबला नहीं कर सकता था, लेकिन उसका दिल सख्त और दयाहीन था। वह अपनी शक्ति का उपयोग हमेशा दूसरों को नुकसान पहुँचाने में करता था, और यही कारण था कि गांववाले उससे नफरत करते थे।
विक्रम के अत्याचार और बल का कोई भी विरोध नहीं कर पाता था। उसका यही अहंकार और शक्ति का घमंड उसकी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका था। लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ, जिसने विक्रम की सोच को बदल दिया और उसकी शक्ति को एक नई दिशा दी।
गांव में एक साधु बाबा आए, जिन्होंने विक्रम के बारे में सुना था। साधु को यह जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि इतने बलशाली होते हुए विक्रम अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करता है। उन्होंने निर्णय लिया कि वह विक्रम से मिलकर उसे सिखाएंगे कि असली ताकत क्या होती है।
साधु बाबा विक्रम के घर पहुंचे और उसकी तारीफ करने लगे। विक्रम ने सहज ही पूछा, "आप मेरे बारे में क्या सुनकर आए हैं?"
साधु ने जवाब दिया, "मैंने सुना है कि तुम बहुत बलशाली हो।"
विक्रम ने गर्व से कहा, "हां, सही सुना है।"
साधु मुस्कराए और बोले, "मैं चाहता हूं कि तुम्हारी ताकत और बढ़े, और तुम्हारी ख्याति दूर-दूर तक फैले।"
विक्रम ने तुरंत पूछा, "इसके लिए मुझे क्या करना होगा?"
साधु ने उसे एक काम दिया, "पास के कुएं से एक बाल्टी में पानी भरकर लाओ।"
विक्रम बिना देर किए कुएं की ओर बढ़ा और एक भारी बाल्टी में पानी भरकर लाया।
अब साधु ने उसे एक सवाल पूछा, "बताओ, खाली बाल्टी को कुएं में डालने और पानी से भरी बाल्टी को ऊपर खींचने में ज्यादा बल किसमें लगा?"
विक्रम ने जवाब दिया, "पानी से भरी बाल्टी को ऊपर खींचने में ज्यादा बल लगता है।"
साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक यही तुम्हें समझना चाहिए। खाली बाल्टी को नीचे गिराना बहुत आसान है, यह किसी की बुराई करने जैसा है, लेकिन पानी से भरी बाल्टी को ऊपर खींचना कठिन है, और यह किसी की भलाई करने जैसा है। अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारी शक्ति बढ़े, तो तुम्हें बुराई छोड़कर अच्छाई के कार्यों में अपनी ताकत लगानी होगी।"
विक्रम ने गहरी सोच में डूबकर इसे सुना और साधु से वादा किया, "अब मैं अपनी ताकत सिर्फ अच्छे कामों में लगाऊंगा।"
साधु ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा, "याद रखना, जैसा कार्य करोगे, वैसा ही बल और सम्मान मिलेगा।"
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि
बुराई करना आसान है, लेकिन भलाई करना सच्ची ताकत और सम्मान का कारण बनता है। जैसे कार्य करेंगे, वैसा ही बल और मान-सम्मान मिलेगा। विक्रम की तरह हम भी अगर अपनी ताकत को सही दिशा में लगाएं, तो हमारी ज़िंदगी का उद्देश्य सही तरीके से पूरा होगा।