नई दिल्ली: हर साल 27 जुलाई को भारत एक ऐसे सच्चे राष्ट्रभक्त और प्रेरणादायक वैज्ञानिक को याद करता है, जिन्होंने विज्ञान, शिक्षा और राष्ट्र निर्माण में अपना जीवन समर्पित कर दिया। हम बात कर रहे हैं भारत के पूर्व राष्ट्रपति और “मिसाइल मैन” के नाम से प्रसिद्ध डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की, जिनकी पुण्यतिथि आज पूरे देश में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई जा रही है।
सादगी से शुरू हुआ एक महान सफर
डॉ. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के एक छोटे से कस्बे रामेश्वरम में हुआ था। साधारण परिवार में पले-बढ़े कलाम ने बचपन से ही पढ़ाई को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया। उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और अपने करियर की शुरुआत DRDO से की। बाद में ISRO में उन्होंने उपग्रह प्रक्षेपण और मिसाइल तकनीक में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई।
राष्ट्रपति बनने के बाद भी लोगों से जुड़ाव बना रहा
डॉ. कलाम ने 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में सेवा दी। हालांकि वे एक वैज्ञानिक थे, लेकिन उनके व्यक्तित्व में जो सादगी, विनम्रता और करुणा थी, उसने उन्हें "जनता का राष्ट्रपति" बना दिया। बच्चों और युवाओं से उनका विशेष लगाव था, और वे हमेशा उन्हें बड़ा सोचने और देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करते थे।
27 जुलाई 2015: एक युग का अंत, लेकिन सोच अमर रही
27 जुलाई 2015 को, जब वे शिलांग स्थित IIM में छात्रों को संबोधित कर रहे थे, तब व्याख्यान के दौरान उन्हें हार्ट अटैक आया और वहीं उनका निधन हो गया। उनकी अचानक गई मौत ने पूरे देश को गहरा दुख पहुंचाया, लेकिन उनकी विचारधारा, मूल्य और दृष्टिकोण आज भी करोड़ों लोगों की सोच का हिस्सा हैं।
इस दिन को याद करना क्यों है ज़रूरी?
डॉ. कलाम की पुण्यतिथि सिर्फ एक श्रद्धांजलि का दिन नहीं है, बल्कि यह मौका है उनके बताए रास्तों पर चलने की प्रेरणा लेने का। उन्होंने हमेशा इस बात पर ज़ोर दिया कि देश का भविष्य युवा तय करेंगे, और इसके लिए जरूरी है शिक्षा, वैज्ञानिक सोच और नैतिक मूल्यों को अपनाना।
देशभर के स्कूल, कॉलेज, और संस्थान इस दिन को अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं — प्रेरणात्मक भाषण, निबंध प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामाजिक सेवा के ज़रिए।
छात्र और संस्थान कैसे कर रहे हैं कलाम को याद
- पोस्टर और चित्रकला प्रतियोगिताएं: जिसमें उनकी उपलब्धियां और सोच को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है।
- निबंध और भाषण प्रतियोगिताएं: उनके जीवन, विचारों और योगदान पर आधारित।
- किताबें और भाषणों की प्रस्तुति: खासकर ‘विंग्स ऑफ फायर’ और ‘इग्नाइटेड माइंड्स’ जैसी किताबों को पढ़ना और साझा करना।
- पेड़ लगाना और विज्ञान आधारित क्विज़: जो उनके पर्यावरण प्रेम और विज्ञान के प्रति रुचि को दर्शाते हैं।
- सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि पोस्ट और कोट्स शेयर करना: ताकि युवा पीढ़ी तक उनकी सोच पहुंचे।
डॉ. कलाम के वो विचार जो आज भी दिलों को छूते हैं
“सपने वो नहीं जो आप नींद में देखते हैं, सपने वो हैं जो आपको नींद नहीं आने देते।”
“अगर सूरज की तरह चमकना है, तो पहले सूरज की तरह जलना होगा।”
“असफलता की कहानियां पढ़ो, उनसे सफलता के रास्ते ज़्यादा मिलते हैं।”
इन बातों में छुपा आत्मबल आज भी युवाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
कलाम का सपना: एक ज्ञान आधारित, सशक्त भारत
डॉ. कलाम का सपना था कि भारत एक ज्ञान-संपन्न और आत्मनिर्भर राष्ट्र बने। वे मानते थे कि अगर देश का हर युवा विज्ञान, सेवा और नैतिकता को अपना मार्ग बनाए, तो भारत एक वैश्विक शक्ति बन सकता है।