Delhi Election Result: BJP के 5 'छुपे रुस्तम' जिन्होंने बदल दिया दिल्ली चुनाव का नतीजा, जानिए कैसे बदली दिल्ली की सियासत 

Delhi Election Result: BJP के 5 'छुपे रुस्तम' जिन्होंने बदल दिया दिल्ली चुनाव का नतीजा, जानिए कैसे बदली दिल्ली की सियासत 
अंतिम अपडेट: 09-02-2025

दिल्ली चुनाव 2025 में भाजपा ने 27 साल बाद सत्ता हासिल की। पांच प्रमुख नेताओं ने रणनीति बनाकर AAP के वोट बैंक में सेंध लगाई और मोदी की गारंटियों को वोटरों तक पहुंचाया।

Delhi Election Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। भाजपा ने 48 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी (AAP) के लगातार चौथी बार सरकार बनाने के सपनों पर पानी फेर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और भाजपा की रणनीतिक तैयारियों ने इस जीत में अहम भूमिका निभाई।

तीन साल पहले बनाई गई थी चुनावी रणनीति

भाजपा ने दिल्ली चुनाव जीतने के लिए तीन साल पहले से ही रणनीति बनानी शुरू कर दी थी। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने दिल्ली पर फोकस बढ़ाया और जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ बनाने के लिए कई नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी। पार्टी की योजना थी कि AAP के वोट बैंक में सेंध लगाई जाए और मोदी की गारंटियों को घर-घर तक पहुंचाया जाए। इस मिशन में भाजपा के पांच बड़े नेताओं ने अहम भूमिका निभाई और पार्टी को 27 साल बाद सत्ता में वापसी दिलाई।

दिल्ली फतह में इन 5 नेताओं की अहम भूमिका

1. रमेश पोखरियाल निशंक: केजरीवाल के किले में सेंध

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को भाजपा ने दिल्ली की पांच महत्वपूर्ण सीटों की जिम्मेदारी सौंपी थी। इनमें नई दिल्ली, आरकेपुरम, कस्तूरबा नगर, मालवीय नगर और ग्रेटर कैलाश शामिल थीं। इनमें से नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल उम्मीदवार थे, लेकिन भाजपा की रणनीति के चलते केजरीवाल को हार का सामना करना पड़ा। इन पांचों सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की।

2. मोहन यादव: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का दिल्ली में कमाल

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को दिल्ली की 12 विधानसभाओं की जिम्मेदारी दी गई थी। इनमें से 11 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की, जबकि केवल सीलमपुर सीट पर हार का सामना करना पड़ा। जिन सीटों पर उन्हें जिम्मेदारी मिली थी, उनमें हरीनगर, मादीपुर, रोहिणी, मुस्तफाबाद, सीलमपुर, बादली, त्रिनगर, विकासपुरी, नागलोई जाट, उत्तम नगर, नजफगढ़ और मालवीय नगर शामिल थीं। मोहन यादव की मेहनत और चुनावी रणनीति से भाजपा को बड़ा फायदा हुआ।

3. सिद्धार्थनाथ सिंह: मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में कमाल

उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और इलाहाबाद के विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह को भाजपा ने नवीन शाहदरा क्षेत्र की पांच सीटों की जिम्मेदारी दी थी। वे चुनाव प्रचार में इतने व्यस्त थे कि कुंभ के अमृत स्नान में भी शामिल नहीं हो पाए। उनकी मेहनत के चलते भाजपा को मुस्लिम बहुल इलाकों में भी बढ़त मिली। हालांकि, उनकी देखरेख में भाजपा को केवल दो सीटों पर जीत मिली, लेकिन ये सीटें पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुईं।

4. मुख्तार अब्बास नकवी: जीत का मास्टर स्ट्रोक

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी चुनावी रणनीति की कोर टीम का हिस्सा रहे हैं। उन्हें कई महत्वपूर्ण सीटों पर प्रचार की जिम्मेदारी दी गई थी। उनके कार्यक्षेत्र में आने वाली 90% सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। उनके प्रभावी प्रचार अभियान ने भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

5. शाहनवाज हुसैन: पूर्वांचली वोटरों को किया प्रभावित

शाहनवाज हुसैन भाजपा के लोकप्रिय मुस्लिम नेता हैं, लेकिन दिल्ली चुनाव में उनकी भूमिका एक पूर्वांचली नेता के रूप में भी थी। उन्होंने मोतीनगर, मालवीय नगर, मुस्तफाबाद, बल्लीमारान और कृष्णानगर समेत सात विधानसभा सीटों पर प्रचार किया। उनका फोकस विशेष रूप से पूर्वांचली मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में लाने पर था, जिसका फायदा पार्टी को मिला।

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