सिद्धारमैया के बाद अब मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार पर उठे सवाल, BJP के राज्यसभा सांसद ने लगाया जमीन घोटाले का आरोप, जानें क्या है मामला?

सिद्धारमैया के बाद अब मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार पर उठे सवाल, BJP के राज्यसभा सांसद ने लगाया जमीन घोटाले का आरोप, जानें क्या है मामला?
Last Updated: 27 अगस्त 2024

कर्नाटक में भूमि आवंटन को लेकर एक नया विवाद उत्पन्न हुआ है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मार्च 2024 में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट को कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड की भूमि आवंटित किए जाने पर सवाल उठाए हैं। यह विवाद 5 एकड़ भूमि को लेकर है, जो एयरोस्पेस पार्क में नागरिक सुविधाओं (civic amenities) की स्थापना के लिए आवंटित की गई है, जिसे अनुसूचित जाति कोटे के अंतर्गत दिया गया है।

New Delhi: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का परिवार इन दिनों विवादों में घिर गया है। बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने खड़गे के परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट पर सवाल उठाए हैं, जिसमें कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (KIADB) द्वारा जमीन के कथित आवंटन का मुद्दा शामिल है। सिरोया ने खड़गे परिवार से प्रश्न किया कि वे कब से जमीन के लिए पात्र एयरोस्पेस उद्यमी बन गए?

रिपोर्ट के अनुसार सिरोया ने अपने बयान में कहा कि, मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट, सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट, को बेंगलुरु के पास हाईटेक डिफेंस एयरोस्पेस पार्क में अनुसूचित जाति (एससी) कोटे के तहत नागरिक सुविधाओं के लिए कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (KIADB) द्वारा 5 एकड़ जमीन (कुल 45.94 एकड़ जमीन) आवंटित की गई है।

ट्रस्ट में घिरा खड़गे का परिवार

राज्यसभा सांसद सिरोया ने कहा कि ट्रस्ट के ट्रस्टियों में खुद खड़गे, उनकी पत्नी राधाबाई खड़गे, उनके दामाद और गुलबर्गा के सांसद राधाकृष्ण डोड्डामणि, उनके बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे, तथा एक अन्य बेटे राहुल खड़गे शामिल हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या यह मामला सत्ता के दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव से संबंधित है? इसके अलावा, उन्होंने पूछा कि उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने मार्च 2024 में इस आवंटन के लिए सहमति कैसे दी?

भूमि आवंटन के लिए खड़गे परिवार कब हुआ पात्र?

सिरोया ने सवाल किया, खड़गे परिवार KIADB भूमि का पात्र बनने के लिए कब एयरोस्पेस उद्यमी बन गया? यह कथित अवैध आवंटन का मामला एक आरटीआई कार्यकर्ता के माध्यम से राजभवन तक पहुंच चुका है। उन्होंने यह जानने की कोशिश की है कि क्या खड़गे परिवार को अंततः यह जमीन छोड़नी पड़ेगी, जैसे कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को मैसूरु में विवादास्पद MUDA प्लॉट्स को छोड़ने का सामना करना पड़ा। क्या इस भूमि आवंटन की जांच की जाएगी?

मंत्री ने कहा- 'किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है'

कर्नाटक के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को साइट आवंटन की पुष्टि करते हुए कहा है कि इस मामले में किसी भी प्रकार के नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि साइट को निर्धारित मूल्य पर और बिना किसी छूट के आवंटित किया गया है। सोमवार को जारी एक बयान में पाटिल ने कहा कि AICC के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे राहुल खड़गे की अध्यक्षता वाले सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को KIADB के मानदंडों के अनुसार एयरोस्पेस पार्क में एक CA (नागरिक सुविधाएं) प्लॉट निर्धारित मूल्य पर आवंटित किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आवंटन की प्रक्रिया में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है और यह आवंटन पूरी तरह से निर्धारित मूल्य पर किया गया है, जिसमें कोई छूट नहीं दी गई है।

 ट्रस्ट को कोई सब्सिडी नहीं मिली - प्रियांक खड़गे

इस विवाद पर प्रियांक खड़गे ने अपना मत व्यक्त किया है। उन्होंने लहर सिंह सिरोया पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। सबसे पहले, वह यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि आवंटित स्थल कोई औद्योगिक या वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए निर्मित औद्योगिक भूखंड नहीं है। यह शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। ट्रस्ट का उद्देश्य CA साइट पर मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करना है। क्या यह गलत है? KIADB ने CA साइट के लिए ट्रस्ट को कोई सब्सिडी नहीं दी है। एससी/एसटी संगठनों के लिए आवंटित नागरिक सुविधा प्लॉट पर कोई सब्सिडी या रियायती दरें नहीं हैं।

'ट्रस्ट के विषय में चिंता करें' - प्रियंका

प्रियांक ने आगे बताया कि ट्रस्टियों के पास उच्च गुणवत्ता और किफायती शिक्षा संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन का व्यापक अनुभव है। ट्रस्ट के अध्यक्ष ने कई वर्षों तक प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान में महत्वपूर्ण कार्य किया है। इसलिए, उनकी विज्ञान की समझ के बारे में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

जानें क्या था मामला?

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी के लिए भूमि के बदले प्लॉट आवंटन को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है। सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसूर जिले के केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी, जो उनके भाई ने तोहफे में दी थी। इस जमीन को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) ने विकास के लिए अधिग्रहित किया और इसके बदले पार्वती को 2021 में विजयनगर क्षेत्र में 38,283 वर्ग फीट का प्लॉट आवंटित किया गया। भाजपा ने आरोप लगाया है कि विजयनगर के प्लॉट का बाजार मूल्य केसारे में उनकी मूल जमीन की तुलना में बहुत अधिक है, जिससे घोटाले का संदेह उत्पन्न होता है। यह भी जानकारी मिली है कि पार्वती को यह जमीन पूर्ववर्ती BJP सत्ता के तहत आवंटित की गई थी।

इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि MUDA ने उनकी पत्नी से अवैध रूप से जमीन अधिग्रहित की है। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी मुआवजे की हकदार थीं, इसलिए उन्हें दूसरी जगह जमीन दी गई। यदि बीजेपी को लगता है कि उन्हें दी गई जमीन अधिक मूल्यवान है, तो वे उस जमीन को वापस ले सकते हैं और उन्हें उनका हक दे सकते हैं।

 

 

 

 

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