हरियाणा चुनावों के नजदीक आते ही डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम ने 20 दिन के लिए अस्थायी पैरोल की मांग की है। इससे पहले भी राम रहीम को पैरोल दिया जा चुका है, जिससे वह कुछ समय के लिए जेल से बाहर आया था। उसकी पैरोल मांग पर सरकार का निर्णय चुनावों के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि उसके अनुयायी संख्या में अधिक हैं और उनका वोटिंग व्यवहार चुनाव परिणामों पर असर डाल सकता हैं।
रोहतक: गुरमीत राम रहीम सिंह का 20 दिन की अस्थायी पैरोल का अनुरोध, हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले, कई राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राम रहीम को 20 साल की सजा काटने के दौरान इस प्रकार की पैरोल मांगी जाना, विशेष रूप से उसके अनुयायियों के प्रभाव को देखते हुए, चुनाव परिणामों पर असर डाल सकता है। इससे पहले, राम रहीम को 13 अगस्त को 21 दिन की पैरोल दी गई थी, जिसके दौरान उसने जेल से बाहर रहकर अपने अनुयायियों से संपर्क किया। अब जब फिर से उसकी पैरोल की मांग आई है, तो यह निश्चित रूप से राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया हैं।
राम रहीम की पैरोल से विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा असर
गुरमीत राम रहीम के लाखों समर्थक होने के कारण उनकी अस्थायी पैरोल का चुनावी माहौल पर बड़ा असर पड़ सकता है। हरियाणा विधानसभा चुनाव 5 अक्टूबर को होने वाले हैं और यदि राम रहीम जेल से बाहर आते हैं, तो यह उनके समर्थकों को सक्रिय कर सकता है, जो चुनाव में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक के रूप में कार्य कर सकते हैं।
राम रहीम का प्रभावी समर्थन वोटों को प्रभावित कर सकता है, जिससे राजनीतिक दलों की रणनीतियाँ बदल सकती हैं। 8 अक्टूबर को जब मतों की गणना होगी, तब यह स्पष्ट होगा कि उनकी पैरोल का क्या असर पड़ा है। यह स्थिति न केवल राजनीतिक दलों के लिए, बल्कि आम मतदाताओं के लिए भी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि यह सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को प्रभावित कर सकती है। चुनावी रणनीतियों को ध्यान में रखते हुए, राम रहीम की रिहाई पर कई दलों की नजरें होंगी।
राम रहीम कोर्ट ने सुनाई थी 20 साल की सजा
गुरमीत राम रहीम सिंह, जो वर्तमान में हरियाणा के रोहतक जिले की सुनरिया जेल में 20 साल की सजा काट रहे हैं, ने 2017 में अपनी दो महिला शिष्याओं के साथ दुष्कर्म के मामले में सजा प्राप्त की थी। इसके अलावा, उन्हें 2019 में एक पत्रकार की हत्या के मामले में भी दोषी करार दिया गया था। हालांकि, हाल ही में, हाई कोर्ट ने 2002 में डेरा सच्चा सौदा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या के मामले में राम रहीम और चार अन्य आरोपियों को बरी कर दिया, यह बताते हुए कि मामले की जांच "खराब और अस्पष्ट" तरीके से की गई थी। इसके अलावा, एक अन्य मामले में, सीबीआई की विशेष अदालत ने राम रहीम को सह-अभियुक्तों के साथ आपराधिक साजिश रचने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।