रणजीत चौटाला, जो हरियाणा सरकार में मंत्री थे, को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया है क्योंकि उन्होंने विधायक के रूप में अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। हालांकि, उन्होंने पहले इस्तीफे की घोषणा की थी, लेकिन आधिकारिक तौर पर अपना त्यागपत्र नहीं सौंपा। अब सरकार ने उनकी सभी सुविधाओं को वापस लेने का निर्णय लिया हैं।
चंडीगढ़: हरियाणा की कार्यवाहक सरकार में मंत्री रणजीत सिंह चौटाला की मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई है। रणजीत सिंह ने लगभग छह महीने पहले निर्दलीय विधायक पद से इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी की थी, लेकिन वह मंत्री पद पर बने रहने के लिए 23 सितंबर तक दोबारा विधायक नहीं बन सके। हरियाणा की संवैधानिक व्यवस्था के तहत मंत्री पद पर बने रहने के लिए किसी को विधायक होना अनिवार्य है, और इसी नियम के कारण उन्हें मंत्रिमंडल से हटना पड़ा।
हालांकि, 5 सितंबर को रणजीत सिंह ने भाजपा का टिकट न मिलने के बाद रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की थी और मंत्री पद से इस्तीफा देने की बात भी कही थी, लेकिन उन्होंने आधिकारिक रूप से अपना इस्तीफा नहीं सौंपा। अब, उनके मंत्री पद से हटने के बाद चुनावी मैदान में निर्दलीय के रूप में उतरने का फैसला किया है, जो आगामी चुनावों के समीकरणों को और रोचक बना सकता हैं।
पूरा हो चूका है रणजीत चौटाला का कार्यकाल
हरियाणा सरकार में ऊर्जा और जेल विभाग के कार्यवाहक मंत्री रणजीत सिंह चौटाला का कार्यकाल 23 सितंबर 2024 को समाप्त हो गया, क्योंकि नियमों के अनुसार बिना विधायक बने कोई व्यक्ति अधिकतम छह महीने तक मंत्री पद पर रह सकता है। यह अवधि सोमवार को खत्म हो गई। बुधवार को प्रदेश सरकार की मंत्रिमंडल ब्रांच ने चौटाला के कार्यकाल की समाप्ति को लेकर आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधित शाखाओं, जैसे राजनीतिक, सरकारी वाहन, लेखा और तीनों स्थापना ब्रांचों को सूचित कर दिया है। इसका मतलब है कि उनकी मंत्री के रूप में दी जा रही सुविधाएं और अधिकार वापस लिए जाएंगे। रणजीत चौटाला अब रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
रणजीत सिंह चौटाला की मंत्री पद से हुई छुट्टी
रणजीत सिंह चौटाला की मंत्री पद से छुट्टी हो गई है क्योंकि उन्होंने निर्धारित समय सीमा तक विधायक बनने की शर्त पूरी नहीं की थी। हालांकि, उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस्तीफे की घोषणा की थी, लेकिन विधिवत इस्तीफा नहीं दिया। अगर उन्होंने इस्तीफा दिया होता, तो मुख्यमंत्री नायब सैनी उसे राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के पास स्वीकृति के लिए भेजते और इसके बाद मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया जाता।
इससे स्पष्ट है कि रणजीत सिंह चौटाला ने मंत्री पद से आधिकारिक तौर पर इस्तीफा नहीं दिया। 12 सितंबर को 14वीं विधानसभा के भंग होने के बाद, मुख्यमंत्री नायब सैनी और उनकी मंत्रिपरिषद कार्यवाहक सरकार के रूप में कार्य कर रहे हैं। अब रणजीत सिंह को मंत्री के रूप में मिल रही सभी सुविधाएं तुरंत प्रभाव से वापस ली जाएंगी।