हरियाणा सरकार पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, "कर्मचारी के इलाज का खर्च क्यों नहीं दिया?", जानिए पूरा मामला 

हरियाणा सरकार पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी,
Last Updated: 13 घंटा पहले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई। रोहतक अदालत के जज के रीडर की पत्नी के इलाज का भुगतान न करने पर कोर्ट ने अमानवीय व्यवहार पर सवाल उठाए।

Haryana: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जताई है। यह मामला रोहतक की अदालत में जज के रीडर की पत्नी के इलाज के भुगतान से संबंधित है। जज के रीडर ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी, जिसमें उसने सरकार से पत्नी के इलाज का भुगतान करने की मांग की थी।

हरियाणा सरकार का जवाब

सरकार ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए बताया कि सिंगल बेंच ने गैर-मंजूर अस्पताल से ओपीडी इलाज के लिए भुगतान का आदेश दिया था, जबकि राज्य सरकार की नीति के तहत ओपीडी इलाज का भुगतान नहीं किया जा सकता है। सरकार ने कहा कि यह इलाज भर्ती होने के बाद के इलाज का हिस्सा है, और इसी आधार पर उसकी प्रतिपूर्ति की मांग की गई है।

कर्मचारी का विरोध: इलाज की जरूरत पर जोर

कर्मचारी मनोज जैन ने सरकार की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उसकी पत्नी को किडनी से जुड़ी समस्या थी, जिसे आम बीमारी नहीं माना जा सकता। उसने विभिन्न हाईकोर्ट के फैसले पेश किए, जिनमें ओपीडी इलाज के लिए भुगतान के निर्देश दिए गए थे।

हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी: राज्य का अमानवीय रवैया

हाईकोर्ट ने इस मामले पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि संविधान में राज्य को कल्याणकारी राज्य कहा गया है और उसे अपने कर्मचारियों के प्रति उदार होना चाहिए। लेकिन इस मामले में सरकार का रवैया अमानवीय था। हाईकोर्ट ने अब इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

बिजली कनेक्शन पर कोर्ट ने किया यह सवाल

साथ ही, हाईकोर्ट ने एक अन्य याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सवाल उठाया कि क्या वह राज्य के नीतिगत निर्णयों में हस्तक्षेप कर सकती है। यह मामला पंजाब और हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को सिंचाई के लिए ट्यूबवेल चलाने के लिए बिजली पर 100 प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने से संबंधित था। याचिकाकर्ता हरि चंद ने इस सब्सिडी को चुनौती दी थी, और कहा कि यह धनी किसानों को भी लाभ पहुंचाती है, जो अनुचित है। उन्होंने इस सब्सिडी को आवश्यकता के आधार पर देने की मांग की है।

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