इस वर्ष देश की स्वतंत्रता को 77 वर्ष पूरे हो रहे हैं, जिसका मतलब है कि भारत इस बार 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। इस विशेष अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी जी की अपील पर 'हर घर तिरंगा' अभियान भी चल रहा है। लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो ध्वजारोहण और झंडा फहराने के बीच का अंतर नहीं समझते हैं। आइए जानते हैं इन दोनों के बीच क्या अंतर हैं।
लाइफस्टाइल न्यूज़: 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों की औपनिवेशिक शासन (गुलामी) से मुक्त हुआ था, तभी से हर साल इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस ऐतिहासिक दिन पर सबसे पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर ध्वजारोहण किया था। वहीं 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश के राष्ट्रपति द्वारा झंडा फहराया जाता है। ध्वजारोहण का कार्यक्रम लाल किले की प्राचीर पर होता है, जबकि झंडा फहराने का समारोह राज पथ पर आयोजित किया जाता है। यदि आप ध्वजारोहण और झंडा फहराने के बीच का अंतर नहीं समझते हैं, तो यहां हम इसे सरल भाषा में स्पष्ट करेंगे।
ध्वजारोहण और झंडा फहराने में अंतर
15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस के रूप में बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. इस दिन ध्वजारोहण का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इसे अंग्रेजी में Flag Hoisting कहा जाता है। जब तिरंगा ध्वज को लहराते हैं, तब उसे फहराना कहां जाता है, जिसे अंग्रेजी में Flag Unfurling कहते हैं। इसके अलावा इन दोनों कार्यों के स्थान में भी भिन्नता होती हैं।
बताया कि स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम लाल किले पर आयोजित होता है, जबकि गणतंत्र दिवस का आयोजन राजपथ पर होता है। इसके अतिरिक्त एक और महत्वपूर्ण अंतर है। बता दें कि लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं, जबकि राजपथ पर गणतंत्र दिवस के समारोह में राष्ट्रपति जी झंडा फहराते हैं।
15 अगस्त को करते हैं ध्वजारोहण
15 अगस्त 1947 को भारत से ब्रिटिश शासन का झंडा उतारकर देश का राष्ट्रीय ध्वज ऊपर फहराया गया था। इस अवसर पर जब राष्ट्रीय ध्वज को खंभे पर नीचे से ऊपर की ओर चढ़ाया जाता है, तो इसे ध्वजारोहण कहा जाता है। वहीं 26 जनवरी को यानी गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराया जाता है, जिसमें तिरंगा पहले से ही खंभे पर ऊपर स्थापित होता है। इस अवसर पर तिरंगे के साथ फूलों की पंखुड़ियों को भी जोड़ा जाता है, जिससे तिरंगा फहराने पर पुष्प वर्षा होती हैं।