जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला 3 मार्च को विधानसभा सत्र में इतिहास रचेंगे। वह आजादी के बाद पहले मुख्यमंत्री होंगे जो बजट पेश करेंगे, वादों और वित्तीय सुधारों का दबाव होगा।
J&K Budget 2025: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला आगामी 3 मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा बजट सत्र में इतिहास रचने जा रहे हैं। वह आजादी के बाद पहले मुख्यमंत्री होंगे जो जम्मू-कश्मीर का बजट पेश करेंगे। हालांकि, इस ऐतिहासिक अवसर के साथ उन्हें कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना होगा।
चुनौतियां
चुनावी वादों और वित्तीय सुधारों का दबाव मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सामने दो मुख्य चुनौती हैं – चुनावी वादों को पूरा करने का दबाव और राज्य की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए वित्तीय संसाधनों को बढ़ाने की आवश्यकता। विधानसभा चुनावों के दौरान नेकां ने कई बड़े वादे किए थे, जिनमें पात्र परिवारों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, कमजोर महिलाओं को 5000 रुपये मासिक सहायता, और हर परिवार को 12 मुफ्त एलपीजी सिलेंडर देने का वादा शामिल है।
उपराज्यपाल और केंद्र से तालमेल की आवश्यकता
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को बजट प्रस्तुत करने से पहले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और केंद्र सरकार से तालमेल बनाए रखना होगा। उपराज्यपाल के पास वित्तीय मामलों में अंतिम अधिकार हैं, इसलिए किसी नई योजना या कर को लागू करने के लिए उनके अनुमोदन के साथ-साथ गृह मंत्रालय की मंजूरी भी आवश्यक होगी। इस बजट में जल शुल्क, स्वच्छता शुल्क और संपत्ति कर जैसे विकल्पों की संभावना पर विचार हो सकता है, लेकिन इसके साथ राजनीतिक विचार भी जुड़े होंगे।
वित्तीय संसाधनों को बढ़ाने के प्रयास
उमर अब्दुल्ला को राज्य के संसाधनों को बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे, जिनमें जल शुल्क और स्वच्छता शुल्क में वृद्धि और संपत्ति कर जैसे उपायों पर विचार हो सकता है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने केंद्र से 20,000 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की मांग की है, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूती मिलेगी।
विधानसभा चुनाव के वादे
रोजगार सृजन और विकास चुनाव के दौरान किए गए वादों के तहत मुख्यमंत्री को तीन लाख नई सरकारी नौकरियां प्रदान करने, कृषि, बागवानी, पर्यटन और उद्योग के क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी भी सौपी गई है। इसके अलावा, 80,000 दैनिक वेतनभोगी और संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की चुनौती भी उनके सामने होगी।
विशेष केंद्रीय सहायता की मांग
मुख्यमंत्री ने वित्तमंत्री से जम्मू-कश्मीर के लिए छह हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त केंद्रीय सहायता की मांग की है। उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि जम्मू और कश्मीर को विशेष सहायता योजना के तहत पूंजी निवेश के लिए वित्त पोषित किया जाए, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति और बेहतर हो सके।
पिछला बजट और नई दिशा
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2018 में विधानसभा बजट पेश किया गया था। तब से यह बजट संसद में ही पेश किया जाता रहा है। इस बजट का आकार वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 1,18,728 करोड़ रुपये तक बढ़ चुका है, जो 2018 के बजट से कहीं अधिक है। जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद अक्टूबर 2024 में नई विधानसभा का गठन हुआ है और अब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इस बजट सत्र के माध्यम से राज्य को नई दिशा देने की कोशिश करेंगे।