कटिहार नाव हादसा! गंगा में डूबी नाव, मछुआरों ने बचाई 35 जिंदगियां

कटिहार नाव हादसा! गंगा में डूबी नाव, मछुआरों ने बचाई 35 जिंदगियां
अंतिम अपडेट: 7 घंटा पहले

कटिहार की गंगा नदी में बड़ा हादसा टल गया। सोमवार सुबह 35 किसानों से भरी नाव पलट गई, लेकिन स्थानीय मछुआरों ने सभी को सुरक्षित बचा लिया। नाव पर 30 क्विंटल परवल था।

Katihar News: कटिहार जिले के अमदाबाद प्रखंड में सोमवार को गंगा नदी में एक बड़ी नाव दुर्घटना होते-होते बच गई। नाव पर सवार 35 किसानों की जान खतरे में थी, लेकिन स्थानीय मछुआरों की तत्परता से सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया। यदि समय पर मदद नहीं पहुंचती, तो 19 जनवरी को हुई दर्दनाक नाव दुर्घटना की पुनरावृत्ति हो सकती थी, जिसमें 9 लोगों की जान चली गई थी।

तेज हवा के कारण गंगा नदी में पलटी नाव

जानकारी के अनुसार, सोमवार सुबह करीब 10 बजे गदाई दियारा से मनिहारी बाजार जा रही किसानों से भरी नाव गंगा नदी में पलट गई। नाव पर 35 किसान सवार थे, जो अपनी फसल बेचने के लिए जा रहे थे। नाव पर 30 क्विंटल परवल भी लदा था। तेज हवा के कारण संतुलन बिगड़ा और नाव नदी में पलट गई, जिससे सभी किसान नदी में बहने लगे।

स्थानीय मछुआरों ने देवदूत बनकर बचाई जान

घटना स्थल से कुछ ही दूरी पर गोलाघाट के चार मछुआरे और अन्य नाविक मछली पकड़ने में लगे थे। उन्होंने जैसे ही नाव पलटने की आवाज सुनी, तुरंत अपनी नाव लेकर मौके पर पहुंचे और डूब रहे किसानों को बचाने में जुट गए। मछुआरों कुंदन कुमार, लालू कुमार, दशरथ कुमार और गोविंद कुमार ने बताया कि उन्होंने करीब 15 लोगों को अपनी नाव पर चढ़ा लिया, जबकि अन्य नाविकों ने बाकी लोगों को बचाया।

नाव में लोड था 30 क्विंटल परवल

डूबते समय किसानों ने नाव पर रखे परवल की टोकरियों को पकड़कर खुद को बचाने की कोशिश की। कुछ लोग पानी में बहने लगे थे, लेकिन मछुआरों की मुस्तैदी से सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया। किसानों ने बताया कि वे अपनी फसल को मनिहारी के बाजार में बेचने के लिए जा रहे थे, लेकिन अचानक यह हादसा हो गया।

19 जनवरी को हुआ था बड़ा हादसा

इससे पहले 19 जनवरी को अमदाबाद के मेघु टोला गंगा नदी में एक नाव दुर्घटना हुई थी। उस हादसे में 18 लोग सवार थे, जिनमें से 8 को स्थानीय लोगों ने बचा लिया था, लेकिन 9 लोगों की मौत हो गई थी। एक 11 वर्षीय लड़की स्वीटी कुमारी का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है। यदि इस बार भी समय पर बचाव कार्य नहीं होता, तो एक और बड़ी त्रासदी हो सकती थी।

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