Maharashtra: संभाजीनगर में हिंदू संगठनों का आक्रोश, औरंगजेब की कब्र हटाने की उठी मांग

Maharashtra: संभाजीनगर में हिंदू संगठनों का आक्रोश, औरंगजेब की कब्र हटाने की उठी मांग
अंतिम अपडेट: 5 घंटा पहले

विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने चेतावनी दी कि अगर सरकार औरंगजेब का मकबरा नहीं हटाती तो अयोध्या जैसी कारसेवा होगी। सुरक्षा को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

Aurangzeb Makbara Row: महाराष्ट्र के संभाजीनगर में स्थित मुगल शासक औरंगजेब के मकबरे को हटाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों ने मकबरा हटाने की मांग तेज कर दी है। संगठनों का कहना है कि यदि सरकार इसे नहीं हटाती तो वे अयोध्या की तर्ज पर ‘कारसेवा’ करेंगे।

मकबरे की सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन ने संभाजीनगर में भारी पुलिस बल तैनात किया है। इस मुद्दे को लेकर हिंदू संगठनों द्वारा जिलाधिकारियों और तहसीलदारों के दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

टी राजा सिंह का बयान

तेलंगाना के भाजपा विधायक टी राजा सिंह ने पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "महाराष्ट्र के हिंदू चाहते हैं कि औरंगजेब की कब्र को मिटा दिया जाए। अब मेरा एक ही संकल्प है – भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना और औरंगजेब की कब्र को हटाना।"

उन्होंने कहा कि औरंगजेब एक क्रूर शासक था, जिसने लाखों हिंदुओं की हत्या करवाई और हजारों मंदिरों को ध्वस्त किया। इसलिए उसकी कब्र को बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है।

बजरंग दल का विरोध

बजरंग दल के संभाजीनगर प्रमुख नितिन महाजन ने कहा कि औरंगजेब ने काशी और मथुरा के मंदिरों सहित कई धार्मिक स्थलों को नष्ट किया था। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार कब्र नहीं हटाती, तो वे बाबरी मस्जिद की तर्ज पर इसे स्वयं हटा देंगे।

अबू आजमी के बयान से बढ़ा विवाद

महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अबू आजमी ने हाल ही में औरंगजेब को ‘कुशल शासक’ बताया था, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया। उन्होंने दावा किया था कि औरंगजेब ने न केवल मंदिर बल्कि मस्जिदें भी तुड़वाई थीं। उनके बयान पर जबरदस्त विरोध हुआ, जिसके बाद उन्होंने अपने बयान को वापस ले लिया।

सुप्रिया सुले की प्रतिक्रिया

एनसीपी (शरद पवार गुट) की सांसद सुप्रिया सुले ने इस मामले पर कहा कि यह किसी राजनीतिक दल का नहीं, बल्कि इतिहास से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से आग्रह किया कि इस मामले में इतिहासकारों की राय लेकर ही कोई निर्णय लिया जाना चाहिए।

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