महाराष्ट्र की 38 मुस्लिम बहुल सीटों में भाजपा ने 14 सीटों पर जीत दर्ज की, जो कांग्रेस की तुलना में कहीं बेहतर रहा। कांग्रेस सिर्फ 5 सीटों पर सिमट गई, जबकि AIMIM को केवल 1 सीट पर ही सफलता मिली।
Maharashtra Election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में मुस्लिम बहुल सीटों पर भाजपा की पकड़ मजबूत हुई है। इस बार 38 सीटों पर मुस्लिम आबादी 20% से अधिक थी, जो इस चुनाव में अहम राजनीतिक मुद्दा बनी। भाजपा ने इन सीटों में से 14 पर जीत दर्ज की, जो 2019 के मुकाबले 3 अधिक हैं। महायुति गठबंधन ने कुल 22 सीटों पर कब्जा किया, जबकि महा विकास आघाड़ी (MVA) को केवल 13 सीटों पर संतोष करना पड़ा।
भाजपा का दबदबा
भाजपा ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अपने चुनावी अभियान को रणनीतिक तरीके से चलाया और 14 सीटों पर जीत हासिल की। इनमें से कुछ प्रमुख सीटें अंधेरी वेस्ट, भिवंडी वेस्ट, नागपुर सेंट्रल, और सोलापुर सेंट्रल थीं, जो पार्टी की बढ़ती ताकत को दर्शाती हैं। महायुति के अन्य सहयोगी दलों, शिवसेना (शिंदे गुट) और अजीत पवार के नेतृत्व वाली NCP ने भी 8 सीटें जीतीं।
कांग्रेस का निराशाजनक प्रदर्शन
कांग्रेस के लिए इस चुनाव में काफी गिरावट देखी गई। 2019 में इन 38 सीटों पर पार्टी ने 11 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार यह संख्या घटकर केवल 5 रह गई। कांग्रेस के प्रमुख मुस्लिम नेताओं जैसे नवाब मलिक और जीशान सिद्दीकी को अपनी-अपनी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।
AIMIM का कमजोर प्रदर्शन
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के लिए यह चुनाव निराशाजनक रहा। पार्टी ने 2019 में 2 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार सिर्फ मालेगांव सेंट्रल सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी। AIMIM के प्रमुख नेता इम्तियाज जलील भी अपने क्षेत्र से हार गए, जिससे पार्टी को अपनी रणनीति में बदलाव की आवश्यकता महसूस हो रही है।
महाराष्ट्र विधानसभा में मुस्लिम समुदाय के 13 विधायक चुने गए हैं, जो ऐतिहासिक दृष्टि से स्थिरता का संकेत देते हैं। इन विधायकों में कांग्रेस, NCP, शिवसेना और AIMIM के प्रतिनिधि शामिल हैं।
भविष्य की चुनौती: कांग्रेस और AIMIM
कांग्रेस और AIMIM के लिए मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में गिरता प्रदर्शन आगे की बड़ी चुनौती हो सकता है। कांग्रेस के लिए खासतौर पर इन क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करना और AIMIM को अपनी रणनीति में बदलाव करने की आवश्यकता है।
महाराष्ट्र में भाजपा की बढ़त
भारतीय जनता पार्टी ने मुस्लिम बहुल सीटों पर अपनी रणनीति को प्रभावी रूप से लागू किया, जिसके परिणामस्वरूप उसे अहम सीटों पर विजय मिली। यह भाजपा की संगठन क्षमता और गठबंधन सहयोगियों के साथ तालमेल का नतीजा है, जो उसे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी मजबूती से स्थापित करने में सफल रहा।