Manipur: मणिपुर में अफस्पा के खिलाफ प्रदर्शन, कर्फ्यू के बावजूद सामाजिक संगठनों ने निकाला जुलूस

Manipur: मणिपुर में अफस्पा के खिलाफ प्रदर्शन, कर्फ्यू के बावजूद सामाजिक संगठनों ने निकाला जुलूस
Last Updated: 19 नवंबर 2024

मणिपुर में अफस्पा के विरोध में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने कर्फ्यू के बावजूद क्वाकीथेल इलाके से रैली शुरू की। पुलिस ने रैली को रोका, लेकिन इससे पहले यह 3.5 किमी की दूरी तय कर चुकी थी।

Manipur: मणिपुर में बढ़ते तनाव के बीच मंगलवार को नागरिक समाज संगठनों ने अफस्पा (सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम) के विरोध में रैली निकाली। पश्चिम इंफाल में कर्फ्यू के बावजूद यह रैली आयोजित की गई, जिसमें मणिपुर यूनाइटेड क्लब ऑर्गनाइजेशन, पोईरेई लीमारोल मैइरा पैबी अपुनबा मणिपुर और अन्य स्थानीय संगठनों के सदस्य शामिल हुए। रैली की शुरुआत क्वाकीथेल इलाके से हुई थी, और प्रदर्शनकारी लगभग 3.5 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके थे, जब पुलिस ने उन्हें केइशामपट जंक्शन पर रोक लिया। प्रदर्शनकारियों ने अफस्पा के खिलाफ और छह थाना क्षेत्रों में इस कानून के पुनः लागू होने का विरोध किया।

उधर, चूराचांदपुर में कुकी संगठन के सदस्यों ने भी राज्य में फैली हिंसा के दौरान मारे गए अपने लोगों की याद में नकली ताबूत लेकर जुलूस निकाला। इस जुलूस का उद्देश्य मारे गए व्यक्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित करना था और अफस्पा के खिलाफ विरोध को जोर देना था।

अफस्पा का पुनः लागू होना

केंद्र सरकार ने मणिपुर के छह थाना क्षेत्रों में अफस्पा को फिर से लागू कर दिया है। इन क्षेत्रों में, सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार मिलते हैं, जिससे वे बिना किसी कानूनी रोक-टोक के कार्रवाई कर सकते हैं। इन छह क्षेत्रों में इंफाल पश्चिम जिले के सेकमई और लमसांग, इंफाल पूर्व जिले के लमसाई, जिरीबाम जिले का जिरिबाम, कांगपोकपी जिले का लेइमाखोंग और बिष्णुपुर जिले का मोइरंग शामिल हैं। इन क्षेत्रों में हाल ही में हिंसा की घटनाएँ हुई हैं, जिससे सरकार ने अफस्पा लागू करने का निर्णय लिया।

मणिपुर में अफस्पा का विरोध

मणिपुर सरकार ने पहले अक्तूबर में राज्य के अधिकांश हिस्सों में अफस्पा लागू किया था, लेकिन तब 19 थाना क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया था, जिनमें ये छह क्षेत्र भी शामिल थे। गृह मंत्रालय की नई अधिसूचना के तहत, इन क्षेत्रों को फिर से अफस्पा के तहत रखा गया है। स्थानीय संगठनों का कहना है कि इस कदम से राज्य में और तनाव बढ़ेगा, और उन्हें यह कानून नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन प्रतीत होता है।

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