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महाकुंभ 2025: 27 जनवरी को आयोजित होगी धर्म संसद, सनातन बोर्ड गठन पर होगी महत्वपूर्ण चर्चा

महाकुंभ 2025: 27 जनवरी को आयोजित होगी धर्म संसद, सनातन बोर्ड गठन पर होगी महत्वपूर्ण चर्चा
अंतिम अपडेट: 05-12-2024

अगले साल होने वाले महाकुंभ मेले में धर्म संसद का आयोजन 27 जनवरी को किया जाएगा। इस ऐतिहासिक सभा में सनातन बोर्ड के गठन पर चर्चा की जाएगी। यह फैसला अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने हाल ही में किया। पहले इस धर्म संसद का आयोजन 26 जनवरी को निर्धारित किया गया था, लेकिन अब इसे एक दिन बढ़ाकर 27 जनवरी किया गया है। महंत रवींद्र पुरी ने इस बदलाव की जानकारी दी और कहा कि धर्म संसद में सनातन बोर्ड के गठन के लिए एक व्यापक चर्चा की जाएगी।

महाकुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी 2025 से होगी और यह 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। इस दौरान लाखों श्रद्धालु और संतजन संगम में स्नान करने के लिए पहुंचेंगे। ऐसे में धर्म संसद का आयोजन मेले की एक महत्वपूर्ण घटना होगी, जिसमें सनातन धर्म के उत्थान और उसकी व्यवस्था को लेकर महत्वपूर्ण फैसले लिए जाएंगे।

सनातन बोर्ड गठन पर गहरी चर्चा

सनातन बोर्ड की स्थापना की मांग लंबे समय से उठ रही है। इस संबंध में कई धर्मगुरु और संत समाज ने अपनी चिंताओं और विचारों का इज़हार किया था। हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक धर्म संसद में कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर समेत कई प्रमुख संतों ने सनातन बोर्ड के गठन का समर्थन किया था। अब यह मुद्दा महाकुंभ में आयोजित धर्म संसद में फिर से उठेगा और इस पर एक बड़ा फैसला लिया जाएगा।

महंत रवींद्र पुरी ने स्पष्ट किया कि सनातन बोर्ड के गठन पर विचार करते समय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बोर्ड के बायलॉज, कार्यप्रणाली और उसके अध्यक्ष की नियुक्ति सभी 13 अखाड़ों के प्रमुख संतों द्वारा तय की जाए। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि सनातन बोर्ड का अध्यक्ष भी अखाड़े से ही हो, और बोर्ड के सभी पदाधिकारी तेरह अखाड़ों के संत होंगे।"

धर्म संसद के आयोजन की अहमियत

धर्म संसद का आयोजन महाकुंभ के पवित्र स्थल काली सड़क स्थित पंडाल में होगा, जहां देशभर से संत, महात्मा, और विद्वान एकत्र होंगे। इस सभा में सनातन बोर्ड के गठन की प्रक्रिया और उसके नियमों पर गंभीर विचार-विमर्श होगा। इसके अलावा, यह भी तय किया जाएगा कि बोर्ड के संचालन में संतों और महात्माओं का क्या रोल होगा, और उनके लिए क्या व्यवस्थाएं की जाएंगी।

महंत रवींद्र पुरी ने आगे कहा कि इस मामले में जल्दबाजी नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा, "संतों की चिंताओं को समझते हुए, हमने यह निर्णय लिया है कि सनातन बोर्ड के गठन पर विस्तार से विचार किया जाएगा। सभी संतो से बातचीत के बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।"

आगे की रणनीति और विचार-विमर्श

महाकुंभ में आयोजित होने वाली धर्म संसद की सफलता के लिए अखाड़ा परिषद ने पहले ही तैयारी शुरू कर दी है। महंत दुर्गादास, अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता ने भी इस बैठक के महत्व को रेखांकित किया और बताया कि इसमें सनातन धर्म को लेकर गहरी चर्चाएं होंगी। उन्होंने कहा, "यह एक ऐतिहासिक मौका होगा, जब हम सभी मिलकर सनातन धर्म के भविष्य के लिए ठोस कदम उठाएंगे।"

महंत रवींद्र पुरी ने संतों से अपील की कि वे इस धर्म संसद में सक्रिय रूप से भाग लें और सनातन बोर्ड के गठन को लेकर अपने सुझाव रखें। उन्होंने कहा, "यह धर्म संसद सिर्फ एक बैठक नहीं होगी, बल्कि यह हमारे धर्म और परंपराओं को सही दिशा में आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा।"

महाकुंभ और धर्म संसद का महत्व

महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए आते हैं, और यह एक समय होता है जब धर्मगुरु और संत समाज भी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं। सनातन बोर्ड का गठन इस धर्म संसद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा, और यह निर्णय सनातन धर्म को और मजबूत बनाने के लिए अहम साबित हो सकता हैं।

संक्षेप में, महाकुंभ मेले के बीच 27 जनवरी को आयोजित होने वाली धर्म संसद में सनातन बोर्ड के गठन पर चर्चा होगी, और यह धर्म समाज के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ हो सकता हैं।

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