नेजा मेला: क्या है और क्यों हो रहा है इसका विरोध, जानें कौन थे सैयद सालार मसूद गाजी?

नेजा मेला: क्या है और क्यों हो रहा है इसका विरोध, जानें कौन थे सैयद सालार मसूद गाजी?
अंतिम अपडेट: 19 घंटा पहले

उत्तर प्रदेश के संभल, बहराइच, और मुरादाबाद में 'नेजा मेला' को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रशासन ने पहले संभल में इस मेले पर रोक लगाई।

संभल: उत्तर प्रदेश के संभल, बहराइच, और मुरादाबाद में 'नेजा मेला' को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रशासन ने पहले संभल में इस मेले पर रोक लगाई, जिसके बाद अब बहराइच और मुरादाबाद में भी इसे प्रतिबंधित करने की मांग उठ रही है। यह मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित किया जाता है, लेकिन इस बार स्थानीय प्रशासन ने इसे अनुमति देने से इनकार कर दिया हैं।

संभल में 'नेजा मेला' पर प्रतिबंध

संभल के एसएसपी श्रीशचंद्र ने साफ शब्दों में कहा है, "भारत में लूटमार और कत्लेआम मचाने वाले विदेशी आक्रांता के नाम पर किसी भी तरह का मेला आयोजित नहीं किया जाएगा।" इसके साथ ही प्रशासन ने मेला कमेटी को आदेश दिया कि इस साल 'नेजा मेला' नहीं होगा। सैयद सालार मसूद गाजी को गाजी मियां के नाम से भी जाना जाता है। वे महमूद गजनवी के भांजे और सेनापति थे। महमूद गजनवी वही आक्रमणकारी था, जिसने सोमनाथ मंदिर सहित कई बड़े हिंदू मंदिरों को लूटा था।

कौन थे सैयद सालार मसूद गाजी?

सैयद सालार मसूद गाजी का जन्म 10 फरवरी 1014 को हुआ था और उनकी मृत्यु 15 जून 1034 को हुई। उन्हें भारत में गजनवी साम्राज्य के सैन्य अभियानों में भाग लेने के लिए जाना जाता है। उनके जीवन पर मुख्य जानकारी "मीरात-ए-मसूदी" (Mirat-i-Masudi) नामक पुस्तक से मिलती है, जो 1620 के दशक में अब्दुर्रहमान चिश्ती द्वारा लिखी गई थी।

इस पुस्तक में उन्हें धार्मिक व्यक्तित्व बताया गया है, लेकिन कई इतिहासकार इसे एक हजियाग्रंथ (संतों के जीवन पर आधारित) मानते हैं, जिस पर ऐतिहासिक दृष्टि से संदेह किया जाता है।

हिंदू संगठनों का विरोध

हिंदू संगठनों का कहना है कि सैयद सालार मसूद गाजी भारत पर आक्रमण करने वाले विदेशी आक्रांता थे। उनका मानना है कि:
उन्होंने भारत में कई बार आक्रमण किया।
सोमनाथ मंदिर को लूटा।
ऐसे व्यक्ति की याद में किसी मेले का आयोजन नहीं होना चाहिए।
हर साल होली के बाद सैयद सालार मसूद गाजी की याद में यह मेला आयोजित किया जाता था।
2024 में यह 18 मार्च को झंडा गाड़कर शुरू होने वाला था।
25, 26 और 27 मार्च को यह मेला आयोजित किया जाता। हालांकि, इस बार प्रशासन ने इसे पूरी तरह से रद्द कर दिया है। अब जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि लुटेरों के नाम पर कोई मेला नहीं होगा।

संभल के बाद अब बहराइच और मुरादाबाद में भी इस मेले पर प्रतिबंध लगाने की मांग जोर पकड़ रही है। हिंदू संगठनों का कहना है कि किसी भी विदेशी आक्रांता के नाम पर कोई आयोजन नहीं किया जाना चाहिए।

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