पंजाब पुलिस ने भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के अध्यक्ष जगजीत सिंह डल्लेवाल को गिरफ्तार कर लिया है। वह आज से खनोरी बॉर्डर पर आमरण अनशन करने वाले थे। किसानों ने फरवरी महीने से शुरू किए गए धरने को आज से और तेज करने का आह्वान किया था, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत अन्य कई मांगों को लेकर आंदोलन को और तेज करने की योजना बनाई गई थी।
चंडीगढ़: पंजाब पुलिस ने भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल को डिटेन कर लिया है। उन्हें आज सुबह साढ़े तीन बजे खनोरी बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया, जहां वह आज से आमरण अनशन पर बैठने वाले थे। भारतीय किसान यूनियन तोतेवाल के प्रदेश प्रधान सुख गिल ने इस गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि करीब 200 पुलिसकर्मियों ने रात 3:30 बजे डल्लेवाल को हिरासत में लिया।
शुरुआत में यह खबर आई थी कि उन्हें अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है, लेकिन अब यह जानकारी मिल रही है कि डल्लेवाल को लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में दाखिल किया गया है। यह गिरफ्तारी उस समय हुई है जब किसान अपनी मांगों को लेकर और भी ज्यादा संघर्ष करने की तैयारी में थे।
आज से अनशन पर बैठने वाले थे जगजीत डल्लेवाल
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत कई अन्य मांगों को लेकर फरवरी महीने से धरने पर बैठे भारतीय किसान यूनियन सिद्धपुर और किसान मजदूर संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने आज से संघर्ष को और तेज करने का आह्वान किया था। इसके तहत, भारतीय किसान यूनियन सिद्धपुर के प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल को खनोरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठने का था।
डल्लेवाल ने यह घोषणा भी की थी कि यदि इस दौरान उन्हें कुछ भी हुआ तो उनका अनशन नहीं रुकेगा, और उनकी जगह कोई अन्य नेता मरण व्रत पर बैठ जाएगा। उन्होंने आज अनशन शुरू करने से पहले अपनी सारी संपत्ति और ज़मीन अपनी वारिसों के नाम कर दी, यह कदम उन्होंने अपने संघर्ष के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और दृढ़ निश्चय को दर्शाते हुए उठाया।
उनकी यह घोषणा और अनशन का निर्णय पंजाब के किसानों के आंदोलन को एक नया मोड़ देने वाला था, लेकिन पंजाब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तारी से रोकने की कोशिश करते हुए हिरासत में ले लिया।
13 फरवरी से जारी है किसानों का आंदोलन
किसान आंदोलन में जारी तंगी और निराशा के बीच, भारतीय किसान यूनियन सिद्धपुर के प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 13 फरवरी से हरियाणा की शंभू और खनौरी सीमा पर आंदोलन को तेज किया था। उनका कहना था कि केंद्र सरकार उनकी प्रमुख मांगों के प्रति गंभीरता नहीं दिखा रही है।
कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल के साथ फरवरी में हुई छह दौर की बैठकों के बावजूद, किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया। उस समय लोकसभा चुनाव के चलते वार्ताएं स्थगित कर दी गईं। हालांकि, नई सरकार के गठन के बाद भी इस मुद्दे पर कोई बातचीत शुरू नहीं हो पाई है, जिससे किसान नेताओं में निराशा का माहौल है।
डल्लेवाल और उनके साथियों का कहना है कि केंद्र सरकार को अपनी नीतियों पर फिर से विचार करना होगा, ताकि किसानों की समस्याओं का समाधान हो सके और आंदोलन को विराम मिल सके।
SC ने गठित की कृषि विशेषज्ञों की कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कृषि विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस नवाब सिंह कर रहे हैं। इस कमेटी को किसान संगठनों के साथ बातचीत करने और शंभू बॉर्डर से नेशनल हाईवे का रास्ता खोलने का जिम्मा सौंपा गया था। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को किसानों की समस्याओं पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए थे।
हालांकि, इस प्रक्रिया के बीच, 26 नवंबर को भारतीय किसान यूनियन सिद्धपुर के प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल ने आमरण अनशन की घोषणा कर दी। उन्होंने यह कदम तब उठाया जब उनकी और अन्य किसान संगठनों की मांगों पर कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया।
इसी दौरान, शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे एक अन्य किसान संगठन ने 6 दिसंबर से दिल्ली कूच का ऐलान किया है, जिससे यह साफ हो गया है कि किसानों का आंदोलन अब और भी तेज होने वाला है। किसानों की समस्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जबकि किसान नेताओं का संघर्ष जारी है।