भारतीय दुग्ध उद्योग को वैश्विक मंच पर एक नया मुकाम दिलाने वाले वरगेज़ कुरियन का नाम इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। उन्हें "दूध का सम्राट" और "आनंद मॉडल" का जनक कहा जाता है। उनके योगदान के कारण ही भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन पाया। उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो न सिर्फ उद्यमिता और इनोवेशन की मिसाल है, बल्कि एक ऐसे नेतृत्व का उदाहरण भी है जिसने देश की आर्थिक स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वरगेज़ कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 को केरल के मलयाली परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई केरल में की और फिर आगे की शिक्षा के लिए वह मुंबई विश्वविद्यालय के वेटरनरी कॉलेज गए। उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्हें कच्छ जिले में स्थित एक डेयरी में कार्य करने का अवसर मिला। यहां उन्होंने भारतीय दुग्ध उद्योग के कायापलट का सपना देखा और उसे वास्तविकता में बदलने की दिशा में काम किया।
आनंद मॉडल और श्वेत क्रांति
बाद में श्वेत क्रांति के रूप में देशभर में फैल गया। यह मॉडल भारतीय गांवों में दुग्ध उत्पादकों को एकजुट करने और उन्हें सहकारी संगठनों के माध्यम से दूध उत्पादन और वितरण के व्यापार में भागीदार बनाने का था। इससे किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य मिलने लगा और साथ ही मध्यवर्ती व्यापारियों से मुक्ति मिली।
1950 के दशक में, जब भारत में दूध उत्पादन की कमी थी, तब भारतीय सरकार ने "ऑपरेशन फ्लड" की शुरुआत की, और इसका नेतृत्व वरगेज़ कुरियन ने किया। यह कार्यक्रम भारतीय दुग्ध उत्पादन को एक नया दिशा देने में मददगार साबित हुआ। इस अभियान के तहत, कुरियन ने दूध उत्पादकों को संगठित किया और उनके उत्पाद को राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध कराया। इससे भारतीय दुग्ध उद्योग की पैमाना और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि हुई और भारत ने विश्व स्तर पर प्रमुख दूध उत्पादक देश के रूप में अपनी पहचान बनाई।
दूध उद्योग में नवाचार और नेतृत्व
कुरियन का नेतृत्व न केवल प्रशासनिक था, बल्कि उन्होंने तकनीकी नवाचारों को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने दूध के संरक्षण और प्रसंस्करण में न केवल आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया, बल्कि किसानों को उनकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया। उन्होंने भारत में अमूल ब्रांड की स्थापना की, जो अब न केवल देशभर में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। अमूल ने भारतीय उपभोक्ताओं को दूध, मक्खन, घी, और अन्य डेयरी उत्पादों का विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता वाला विकल्प दिया।
कुरियन का दृष्टिकोण था कि "दूध का उत्पादक किसान होना चाहिए, न कि व्यापारी," और यही विचार उनके पूरे कार्यकाल में उनके साथ रहा। उन्होंने भारतीय किसानों को व्यापार के इस महत्वपूर्ण हिस्से से जोड़ने के लिए कई कदम उठाए और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद की।
पुरस्कार और सम्मान
वरगेज़ कुरियन की मेहनत और कड़ी इच्छाशक्ति को न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में सराहा गया। उन्हें 1963 में पद्मश्री, 1966 में पद्मभूषण और 1989 में पद्मविभूषण जैसे सर्वोच्च सम्मान मिले। इसके अलावा, उन्हें "फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन" द्वारा भी विशेष पुरस्कारों से नवाजा गया। उनके नेतृत्व में "आनंद" ब्रांड ने न केवल भारत में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई।
कुरियन के योगदान को न केवल भारत में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी एक मिसाल के रूप में देखा जाता है। वह न केवल एक सफल उद्यमी थे, बल्कि उन्होंने समाज की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित किया। उनका मानना था कि यदि किसी क्षेत्र में बदलाव लाना है, तो उसे नीचे से ऊपर तक किया जाना चाहिए, और उन्होंने इस सिद्धांत को सिद्ध भी किया।
वरगेज़ कुरियन का जीवन भारतीय उद्यमिता, नेतृत्व और सामाजिक सुधार का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने भारतीय दुग्ध उद्योग को न केवल सशक्त किया, बल्कि एक मजबूत और आत्मनिर्भर देश की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा और भारतीय कृषि और दुग्ध उद्योग में उनकी भूमिका को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। वरगेज़ कुरियन की दूरदर्शिता, नेतृत्व और उनके द्वारा किए गए कार्यों को भारतीय इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा।