कोहिनूर हीरा: इतिहास, विवाद, और रोचक तथ्य
कोहिनूर हीरा, जिसे "रोशनी का पर्वत" कहा जाता है, दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और विवादित हीरों में से एक है। यह हीरा कभी भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के गोलकुंडा खदानों से निकला था। कोहिनूर का वज़न अब लगभग 105.6 कैरेट (21.6 ग्राम) है, लेकिन इसके पहले स्वरूप में यह 793 कैरेट का था। समय के साथ इसे कई बार तराशा गया, जिससे इसका आकार छोटा हो गया।
कोहिनूर हीरा का इतिहास:
प्राचीन काल: माना जाता है कि कोहिनूर को 13वीं सदी में गोलकुंडा की खदानों से निकाला गया था। यह शुरुआत में काकतीय राजवंश के अधिकार में था, जिन्होंने इसे अपनी देवी के मुकुट में स्थापित किया था।
दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य: 14वीं सदी में अलाउद्दीन खिलजी ने इस हीरे पर कब्जा किया, और इसके बाद यह मुगल सम्राटों के पास चला गया। इसे मुगल सम्राट शाहजहां के प्रसिद्ध "मयूर सिंहासन" (पीकॉक थ्रोन) में भी स्थापित किया गया था।
नादिर शाह: 1739 में, फारसी आक्रमणकारी नादिर शाह ने दिल्ली पर हमला किया और कोहिनूर सहित कई अन्य बेशकीमती वस्तुएं लूट लीं। माना जाता है कि इसी दौरान हीरे का नाम "कोहिनूर" पड़ा, जिसका अर्थ है "रोशनी का पर्वत"।
अफगानिस्तान और पंजाब: नादिर शाह की मृत्यु के बाद यह हीरा अफगानिस्तान के शाहों के पास रहा, और फिर महाराजा रणजीत सिंह के हाथों में पंजाब पहुंचा।
ब्रिटिश शासन के अधीन:
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी: 1849 में, पंजाब के ब्रिटिश अधिग्रहण के बाद, महाराजा रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी से कोहिनूर को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने ले लिया। इसके बाद इसे ब्रिटेन भेजा गया और महारानी विक्टोरिया को भेंट किया गया।
ब्रिटिश राजघराना: कोहिनूर हीरा अब ब्रिटिश शाही परिवार के ताज का हिस्सा है। यह महारानी विक्टोरिया के बाद कई शाही महिलाओं द्वारा पहना गया, और अब इसे ब्रिटेन के क्राउन ज्वेल्स में संग्रहीत किया गया है। वर्तमान में इसे लंदन के टॉवर में प्रदर्शित किया गया है।
विवाद और दावा:
कोहिनूर हीरा कई वर्षों से विवादों में घिरा हुआ है। भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और ईरान जैसे कई देश इस हीरे पर दावा करते हैं और इसे वापस पाने की मांग कर चुके हैं। भारत का कहना है कि कोहिनूर उनके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा है और इसे अंग्रेजों द्वारा जबरदस्ती ले जाया गया था। हालांकि, ब्रिटिश सरकार ने अब तक इसे वापस लौटाने से इनकार किया है।
रोचक तथ्य
सबसे बड़ा हीरा: कोहिनूर कभी दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था, लेकिन इसे कई बार तराशा गया, जिससे इसका आकार छोटा हो गया।
शापित हीरा: एक लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, कोहिनूर हीरा केवल महिलाओं के लिए भाग्यशाली होता है। इसे धारण करने वाले पुरुषों को दुर्भाग्य और मृत्यु का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि ब्रिटिश शाही पुरुषों ने कभी इसे नहीं पहना।
पंजाब की धरोहर: महाराजा रणजीत सिंह ने कोहिनूर को अपनी सबसे कीमती धरोहरों में से एक माना और इसे अपने राज्य की प्रतिष्ठा का प्रतीक माना।
ताज का हिस्सा: कोहिनूर ब्रिटिश शाही परिवार की कई ताजों में से एक में लगा है, जिसे विशेष अवसरों पर प्रदर्शित किया जाता है।
संसदीय चर्चाएँ: 2016 में, भारत सरकार ने ब्रिटिश सरकार से कोहिनूर की वापसी के लिए औपचारिक अपील की, लेकिन ब्रिटिश पक्ष ने इसे कानूनी तौर पर अपना दावा बताया।
कोहिनूर हीरा भारत के समृद्ध इतिहास और उसके सांस्कृतिक धरोहर का एक प्रतीक है, जो सत्ता और समृद्धि का प्रतीक रहा है। हालांकि अब यह ब्रिटिश शाही परिवार का हिस्सा है, फिर भी इसका विवादित इतिहास और उस पर किए गए दावे इसे आज भी चर्चा में बनाए हुए हैं।