Women's Day 2025: इस्लाम में महिलाओं की भूमिका को लेकर कई भ्रांतियां फैलाई गई हैं, लेकिन इतिहास में झांकने पर हमें ऐसी कई मिसालें मिलती हैं, जब मुस्लिम महिलाओं ने न केवल इस्लाम की रक्षा की, बल्कि इसे आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज हम तीन ऐसी महान मुस्लिम महिलाओं के बारे में जानेंगे, जिन्होंने इस्लामिक इतिहास को नई दिशा दी और कठिन परिस्थितियों में भी निडरता से अपने कर्तव्यों का पालन किया।
1. हजरत खदीजा: इस्लाम की पहली महिला अनुयायी और संरक्षक
इस्लाम के शुरुआती दौर में जब पैगंबर मोहम्मद साहब ने इस्लाम का प्रचार शुरू किया, तब पूरा अरब उनके खिलाफ खड़ा था। ऐसे में उनकी पत्नी हजरत खदीजा न केवल उनकी सबसे बड़ी समर्थक बनीं, बल्कि उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति और संसाधनों को इस्लाम के प्रसार के लिए समर्पित कर दिया। वह इस्लाम स्वीकार करने वाली पहली महिला थीं और उनके समर्थन ने इस्लाम को एक मजबूत नींव प्रदान की।
हजरत खदीजा एक प्रभावशाली व्यापारी थीं और उनकी ईमानदारी और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें मक्का में सम्मान दिलाया। जब पैगंबर मोहम्मद ने पहली बार इस्लाम का संदेश प्राप्त किया, तो वे सबसे पहले अपनी पत्नी के पास गए। हजरत खदीजा ने न केवल उनका विश्वास बढ़ाया, बल्कि इस्लाम की सच्चाई को भी स्वीकार किया। उनकी दृढ़ता और बलिदान ने इस्लाम को शुरुआती कठिनाइयों से उबारने में अहम भूमिका निभाई।
2. हजरत फातिमा: साहस और समर्पण की मिसाल
पैगंबर मोहम्मद की बेटी हजरत फातिमा न केवल अपने पिता की सच्ची अनुयायी थीं, बल्कि उन्होंने इस्लाम के मूल्यों को आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी परवरिश बेहद कठिन परिस्थितियों में हुई। उन्होंने अपनी आंखों के सामने अपने पिता पर होने वाले अत्याचार देखे, लेकिन कभी भी अपने संकल्प से पीछे नहीं हटीं।
हजरत फातिमा अपने पिता के साथ हर कठिन परिस्थिति में खड़ी रहीं। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को साहस और नेतृत्व का पाठ पढ़ाया और कठिनाइयों के बावजूद इस्लाम के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखी। उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 'जन्नत की बेटी' कहा जाता है।
3. हजरत जैनब: कर्बला की नायिका
इस्लाम के इतिहास में कर्बला की घटना एक ऐसा अध्याय है, जिसने इस्लाम की सच्चाई और न्याय के लिए किए गए संघर्ष को अमर बना दिया। इस घटना में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन और उनके साथियों को यजीद की सेना ने शहीद कर दिया था। लेकिन इस घटना को दुनिया तक पहुंचाने का श्रेय हजरत जैनब को जाता है।
हजरत जैनब ने अपने भाई इमाम हुसैन के साथ कर्बला की जंग में हिस्सा लिया और अपनी आंखों के सामने अपने परिवार के लोगों की शहादत देखी। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। जब उन्हें और अन्य महिलाओं को बंदी बनाकर दरबार में पेश किया गया, तो उन्होंने यजीद के खिलाफ बेखौफ होकर भाषण दिया और कर्बला की सच्चाई को दुनिया के सामने रखा। उनकी वीरता और साहस ने इस्लाम के मूल्यों को जीवित रखा और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा दी।
इन तीन मुस्लिम महिलाओं ने अपने समय में न केवल इस्लाम की रक्षा की, बल्कि इसके मूल्यों को भी स्थापित किया। हजरत खदीजा ने इस्लाम को आर्थिक और नैतिक समर्थन दिया, हजरत फातिमा ने अपने पिता के साथ खड़े होकर साहस का परिचय दिया, और हजरत जैनब ने अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाकर इस्लाम की सच्ची विरासत को संजोया।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हमें इन महान महिलाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करने चाहिए।