Railway News: रानीखेत एक्सप्रेस समेत तीन ट्रेनों का स्वरूप बदलेगा, रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ाई जाएगी

Railway News: रानीखेत एक्सप्रेस समेत तीन ट्रेनों का स्वरूप बदलेगा, रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ाई जाएगी
Last Updated: 02 अक्टूबर 2024

रेलवे ने यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए रानीखेत एक्सप्रेस, संपर्क क्रांति और नैनी-दून एक्सप्रेस में एलएचबी कोच लगाने का निर्णय लिया है। इन एलएचबी कोच के जुड़ने से इन ट्रेनों की रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटा से बढ़कर 160 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाएगी। एलएचबी कोच जर्मन तकनीक से निर्मित होते हैं, जो इन्हें अधिक सुरक्षित और आरामदायक बनाते हैं।

हल्द्वानी: रेलवे विभाग यात्रियों के सफर को और अधिक सुगम और सुविधाजनक बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसी क्रम में अब रानीखेत एक्सप्रेस, संपर्क क्रांति और नैनी-दून एक्सप्रेस में एलएचबी (लिंक हाफमैन बुश) कोच लगाने की योजना बनाई जा रही है। जैसे ही ये एलएचबी कोच लगेंगे, ट्रेनों की गति 110 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़कर 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुँच जाएगी।

वास्तव में, एलएचबी कोच जर्मन तकनीक का परिणाम हैं, जिन्हें अधिकतर तेज गति वाली ट्रेनों में उपयोग किया जाता है। इससे ट्रेनें और भी तेज़ी से अपनी यात्रा कर सकती हैं। इसके अलावा, इन कोचों में अधिक स्थान होने के कारण यात्री आराम से बैठने और लेटने का आनंद ले सकते हैं। दुर्घटनाओं की संभावनाएँ भी कम हो जाती हैं, क्योंकि ये कोच पटरी से आसानी से नहीं उतरते।

काठगोदाम से दिल्ली जाने वाली ट्रेनों में लगेगा नया एलएचबी कोच

काठगोदाम से दिल्ली और अन्य शहरों के लिए संचालित रानीखेत एक्सप्रेस, संपर्क क्रांति और नैनी-दून एक्सप्रेस अब भी पुराने आइसीएफ कोच (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) के साथ चल रही हैं। जबकि अन्य ट्रेनों में पहले ही एलएचबी कोच लगाए जा चुके हैं। पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल ने इन तीनों ट्रेनों में एनएचबी कोच लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जैसे ही एलएचबी कोच लगाए जाएंगे, पुराने रंग के कोच कभी नजर नहीं आएंगे। क्योंकि एलएचबी कोच का रंग लाल होगा।

एलएचबी कोच की विशेषताएं

एलएचबी कोच (लिंक हाफमैन बुश) भारतीय रेलवे में पहली बार वर्ष 1999 में शामिल किए गए। ये कोच यात्रियों के लिए अत्यधिक आरामदायक होते हैं। दुर्घटना की किसी भी स्थिति में, ये कोच कम क्षतिग्रस्त होते हैं, जिससे यात्रियों के सुरक्षित रहने की संभावना बढ़ जाती है।

राजधानी और शताब्दी जैसी प्रमुख ट्रेनों में एलएचबी कोच का ही उपयोग किया जा रहा है। इनमें स्लीपर और एसी के सभी श्रेणी के कोच में बर्थ की क्षमता अधिक होती है, जिसके कारण अधिकतम 22 कोच ही जोड़े जा सकते हैं। इसकी अधिकतम गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा है।

आइसीएफ कोच क्या है?

 विशेषताएँ और सुविधाएँ आइसीएफ कोच का उपयोग भारतीय रेलवे में व्यापक रूप से किया जाता है। इन कोचों में यात्रा के दौरान कंपन की समस्या अधिक होती है, जिससे यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, जब ट्रेन की गति बढ़ती है, तो अंदर शोर भी काफी अधिक होता है। इन कोचों में बर्थ की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है, लेकिन एक ट्रेन में अधिकतम 24 कोच जोड़े जा सकते हैं।

इनमें से लगभग 3 कोच अनरिजर्व्ड होते हैं, जिससे यात्रियों को बिना रिजर्वेशन के भी यात्रा करने का विकल्प मिलता है। आईसीएफ कोच की अधिकतम गति 110 किमी प्रति घंटा होती है, जो इसे तेज यात्रा के लिए सक्षम बनाती है।

काठगोदाम कुमाऊं का सबसे अधिक कमाई करने वाला रेलवे स्टेशन

काठगोदाम रेलवे स्टेशन कुमाऊं का अंतिम रेलवे स्टेशन है और यह अपनी कमाई के मामले में नए रिकॉर्ड बना रहा है। इस स्टेशन की वार्षिक आय लगभग 44 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जिसके चलते इसे एनएसजी थ्री श्रेणी में रखा गया है। रेलवे बोर्ड ने वर्ष 2023-24 के आंकलन के आधार पर विभिन्न स्टेशनों की श्रेणी निर्धारित की है। इज्जतनगर मंडल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार काठगोदाम रेलवे स्टेशन की सालाना आय 44 करोड़ रुपये तक पहुँच गई है।

वहीं, हल्द्वानी और लालकुआं की आय 16 करोड़, काशीपुर की 10 करोड़, तथा रुद्रपुर स्टेशन की 15 करोड़ रुपये हो गई है। पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल के जनसंपर्क अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बताया कि रेलवे निरंतर आधुनिककरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है।यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रयास जारी हैं। काठगोदाम से संचालित तीन ट्रेनों में एलएचबी कोच लगाए जाने की योजना भी बनाई जा रही है।

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