राम मंदिर निर्माण में मजदूरों की कमी पर नृपेंद्र मिश्रा का बयान, जानिए वजह

राम मंदिर निर्माण में मजदूरों की कमी पर नृपेंद्र मिश्रा का बयान, जानिए वजह
Last Updated: 09 नवंबर 2024

अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के लिए आवश्यक संसाधनों और श्रमिकों की कमी के कारण निर्माण प्रक्रिया में कुछ देरी रही है। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने हाल ही में इस विषय में जानकारी दी, जिसमें उन्होंने बताया कि मंदिर की चारदीवारी के निर्माण के लिए कुल 8.5 लाख घन फुट पत्थर का उपयोग किया जाएगा।

अयोध्या राम मंदिर

अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के पूर्ण होने में अब तीन महीने की देरी होने की संभावना है, और यह अब सितंबर 2025 तक तैयार होने की उम्मीद है। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने शुक्रवार (8 नवंबर) को बताया कि पहले इस मंदिर का निर्माण जून 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन वर्तमान में 200 श्रमिकों की कमी के कारण इस कार्य में देरी हो रही है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि मंदिर की चारदीवारी के लिए आवश्यक 8.5 लाख घन फुट लाल बंसी पहाड़पुर पत्थर पहले ही अयोध्या पहुंच चुके हैं, लेकिन श्रमिकों की कमी के कारण निर्माण कार्य में रुकावटें उत्पन्न हो रही हैं।

नृपेंद्र मिश्रा का खुलासा: राम मंदिर की मूर्तियां दिसंबर 2024 तक पूरी होंगी

नृपेंद्र मिश्रा ने यह भी बताया कि मंदिर के निर्माण में उपयोग हो रहे पत्थरों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, पहले तल पर कुछ पत्थरों को कमजोर और पतला पाया गया है, जिनकी जगह अब मकराना के मजबूत पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, मंदिर की अन्य संरचनाओं जैसे सभागार, सीमा और परिक्रमा पथ की निर्माण प्रक्रिया भी लगातार जारी है। उन्होंने यह भी बताया कि मूर्तिकारों ने आश्वासन दिया है कि दिसंबर 2024 तक मंदिर की सभी मूर्तियां पूरी कर ली जाएंगी, और दिसंबर के अंत तक ये मूर्तियां अयोध्या पहुंच जाएंगी।

जयपुर में मूर्तियों का निर्माण कार्य जारी

जयपुर में राम दरबार और सात मंदिरों समेत अन्य मूर्तियों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इन मूर्तियों को दिसंबर महीने में अयोध्या लाया जाएगा, जहां यह तय किया जाएगा कि उन्हें मंदिर में किस स्थान पर स्थापित किया जाए। नृपेंद्र मिश्र ने जानकारी दी कि रामलला की दो मूर्तियों को पहले ही ट्रस्ट द्वारा स्वीकृत किया जा चुका है और उन्हें मंदिर के अंदर उचित स्थान प्रदान किया जाएगा। साथ ही, मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के दर्शन के बाद बाहर निकलने के रास्ते को और अधिक सुलभ बनाने के लिए भी चर्चा की जा रही है। क्योंकि जन्मभूमि पथ के सामने जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, तो उन्हें बाहर निकलने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

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