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संविधान की 75वीं वर्षगांठ! 13-14 दिसंबर को लोकसभा में होगी ऐतिहासिक चर्चा, पीएम मोदी का विशेष संबोधन

संविधान की 75वीं वर्षगांठ! 13-14 दिसंबर को लोकसभा में होगी ऐतिहासिक चर्चा, पीएम मोदी का विशेष संबोधन
अंतिम अपडेट: 12-12-2024

संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में 13 और 14 दिसंबर को विशेष चर्चा आयोजित की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को इस दो दिवसीय बहस का समापन करते हुए जवाब देंगे।

Lok Sabha Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर 13 और 14 दिसंबर को लोकसभा में विशेष चर्चा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को इस दो दिवसीय चर्चा का जवाब देंगे। इसके अलावा, राज्यसभा में यह चर्चा 16 और 17 दिसंबर को आयोजित की जाएगी। संविधान पर यह बहस भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने और संविधान की प्रासंगिकता को रेखांकित करने का प्रयास है।

विपक्ष और सरकार के बीच बनी सहमति

यह निर्णय विपक्ष और सरकार के बीच सर्वदलीय बैठक के बाद लिया गया। लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बहस की शुरुआत करेंगे, जबकि राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह यह जिम्मेदारी संभालेंगे। चर्चा के समापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों सदनों में संविधान पर केंद्रित इस बहस का उत्तर देंगे। इस सहमति के तहत भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार और विपक्ष ने शीतकालीन सत्र के दौरान संविधान पर चर्चा के लिए तारीखें तय कीं।

सर्वदलीय बैठक में प्रस्ताव पर बनी सहमति

संसद में गतिरोध समाप्त करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में संविधान पर चर्चा का प्रस्ताव रखा गया, जिसे सभी दलों ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। इसके आधार पर चर्चा की तिथियां तय की गईं। यह चर्चा संसद के दोनों सदनों में संविधान की ऐतिहासिक यात्रा और इसके महत्व पर प्रकाश डालेगी।

संविधान की 75वीं वर्षगांठ

26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को औपचारिक रूप से अंगीकार किया गया था, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह दिन भारतीय गणराज्य और लोकतंत्र के निर्माण में मील का पत्थर है। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 26 नवंबर को "संविधान दिवस" घोषित किया। इस वर्ष संविधान की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।

लोकतंत्र और संविधान की प्रासंगिकता पर जोर

संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर संसद में यह चर्चा संविधान के महत्व और इसकी प्रासंगिकता को रेखांकित करने का अवसर है। इससे न केवल भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को और गहराई मिलेगी, बल्कि यह सभी राजनीतिक दलों को लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान की भावना को साझा करने का मंच भी प्रदान करेगा।

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