पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस रविवार को शहीद दिवस रैली का आयोजन करेगी। इसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव और ममता बनर्जी एक साथ मंच पर आएंगे। जनता को नेताओं की इस जोड़ी से कुछ बड़ा एलान करने की उम्मीद हैं।
कोलकाता: पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो श्रीमति ममता बनर्जी रविवार (२१ जुलाई) को कोलकाता में आयोजित पार्टी की वार्षिक शहीद दिवस रैली को संबोधित करेंगी। लोकसभा व विधानसभा उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन करने के बाद यह पहली रैली होने जा रही है। बता दें ममता हर साल शहीद दिवस रैली के दौरान मंच से पार्टी की नई रणनीति की घोषणा करती हैं। साथ ही केंद्र सरकार और राज्य में विरोधी दलों पर जमकर हमला भी बोलती हैं।
रैली में अखिलेश यादव भी होंगे शामिल
सियासी गलियारों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सुप्रीमो श्रीमति ममता बनर्जी अबकी बार पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं को लोकसभा व विधानसभा उपचुनाव में मिली जबरदस्त जीत के बाद 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस प्रदर्शन को दोहराने का मंत्र देंगी। साथ ही राष्ट्रीय राजनीति को लेकर भी सभी की निगाहे उनके रूख पर होगी। जानकारी के मुताबिक रैली में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव भी शामिल होंगे।
जनता को इस सभा से बड़ी उम्मीद
अखिलेश यादव और ममता बनर्जी एक मंच पर आकर आईएनडीआईए गठबंधन की एकजुटता को सबके सामने पेश करेगी। बता दें अखिलेश और ममता के चुनावो में बेहद अच्छे संबंध हैं। उन्हें कई मौकों पर एक साथ एक दूसरे की पार्टी के लिए प्रचार करते हुए देखा गया हैं। जानकारी के मुताबिक हाल ही में संपन्न हुए लोस चुनाव में अखिलेश ने उत्तर प्रदेश की भदोही सीट तृणमूल प्रत्याशी के लिए छोड़ दी थी। सूत्रों के मुताबिक अखिलेश और ममता शहीद दिवस रैली के दौरान जनता के लिए बड़ी घोषणा कर सकते हैं। साथ ही अखिलेश मंच से आईएनडीआईए के लिए कोई बड़ा संदेश भी पेश कर सकते हैं।
टीएमसी का शहीद दिवस
जानकारी के मुताबिक ममता बनर्जी के नेतृत्व में 21 जुलाई, 1993 को कोलकाता में फोटो युक्त मतदाता पहचान पत्र बनवाने की मांग को लेकर राज्य में प्रदर्शन किया गया था। उस दौरान पुलिस फायरिंग में पार्टी के 14 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी। उन्हीं की याद में प्रत्येक वर्ष 21 जुलाई को शहीद दिवस रैली का आयोजन किया जाता हैं। बता दें उस समय बंगाल में माकपा के नेतृत्व वाली वाममोर्चा सरकार का राज चल रहा था।