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BRI के नाम पर चीन ने फंसाए 75 देश, अब अरबों डॉलर की वसूली, जानिए पूरा मामला

चीन ने 75 गरीब देशों को कर्ज जाल में फंसाया। अब इन देशों पर अरबों डॉलर की कर्ज वसूली का दबाव है। BRI प्रोजेक्ट के तहत चीन गरीब देशों को अपने शिकंजे में कस रहा है।

China BRI Project: दुनिया के गरीब और विकासशील देशों पर चीन का कर्ज का जाल गहराता जा रहा है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने 75 सबसे गरीब देशों को अरबों डॉलर का कर्ज दे रखा है। अब इन देशों को इस साल चीन को 22 अरब डॉलर की कर्ज की किस्त चुकानी है। इससे इन देशों की अर्थव्यवस्था पर बड़ा दबाव बन गया है।

Lowy Institute की रिपोर्ट का खुलासा

ऑस्ट्रेलिया के Lowy Institute ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की जिसमें बताया गया कि चीन ने दुनिया के 75 गरीब देशों को करीब 35 अरब डॉलर का कर्ज दे रखा है। इन देशों पर इतना दबाव है कि उनकी स्वास्थ्य, शिक्षा और जलवायु जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर खर्च करना भी मुश्किल हो गया है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि चीन अब इन देशों के लिए मददगार बैंकर नहीं बल्कि कर्ज वसूलने वाला बन चुका है।

BRI के जरिए गरीब देशों को जाल में फंसा रहा है चीन

चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी BRI प्रोजेक्ट के तहत ये कर्ज दिए गए हैं। इस योजना के तहत चीन ने गरीब और विकासशील देशों में सड़क, पुल, हवाई अड्डा, अस्पताल और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर लोन दिए। चीन इन देशों को ऊंची ब्याज दर पर कर्ज देता है और फिर धीरे-धीरे उन्हें अपने कर्ज के जाल में फंसा लेता है। इसके बाद वह इन देशों पर अपनी रणनीतिक पकड़ मजबूत करता है।

कर्ज देने की होड़ में चीन बना सबसे बड़ा कर्जदाता

चीन ने 2016 तक दुनिया के सबसे बड़े कर्जदाता के रूप में अपनी जगह बना ली थी। उसका कुल कर्ज 50 अरब डॉलर के पार पहुंच चुका था। यह आंकड़ा पश्चिमी देशों के संयुक्त कर्ज से भी ज्यादा था। चीन ने कई देशों को कर्ज देकर उनके प्राकृतिक संसाधनों और रणनीतिक क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत की है।

लाओस समेत कई देश कर्ज के बोझ तले दबे

Lowy Institute की रिपोर्ट में लाओस का उदाहरण भी दिया गया है। लाओस ने घरेलू ऊर्जा सेक्टर में बड़े निवेश के लिए चीन से भारी कर्ज लिया। लेकिन अब वह इस कर्ज के बोझ तले दब चुका है। चीन ने कर्ज देना उस वक्त बंद कर दिया जब लाओस को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। ऐसे में लाओस जैसे देश गंभीर आर्थिक संकट में फंस गए हैं।

चीन पर घरेलू दबाव भी बढ़ा

भले ही चीन दुनिया भर में कर्ज बांट रहा है लेकिन अब उस पर भी अपने देश के अंदर कर्ज वसूलने का दबाव बढ़ने लगा है। पाकिस्तान, कजाकिस्तान, मंगोलिया और लाओस जैसे देशों को चीन ने भारी कर्ज दे रखा है। इसके अलावा अर्जेंटीना, ब्राजील और इंडोनेशिया जैसे खनिज संपन्न देशों पर भी चीन की नजर है।

कर्ज के पीछे चीन की रणनीतिक चाल

चीन ने सिर्फ आर्थिक फायदे के लिए ही नहीं बल्कि राजनीतिक फायदे के लिए भी कर्ज का इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन देशों ने ताइवान से रिश्ते खत्म कर चीन से राजनयिक संबंध बनाए, उन्हें चीन ने कर्ज देना शुरू कर दिया। जैसे होंडुरास, निकारागुआ, सोलोमन द्वीप, बुर्किना फासो और डोमिनिकन रिपब्लिक को ताइवान से रिश्ते खत्म करने के 18 महीने के भीतर ही चीन ने कर्ज दे दिया।

चीन पर कर्ज का असली आंकड़ा छुपाने का आरोप

Lowy Institute की रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपने कर्ज के आंकड़े छुपाता है। BRI प्रोजेक्ट पर बहुत कम डेटा उपलब्ध होता है। 2021 में एक अन्य रिपोर्ट AidData ने अनुमान लगाया था कि चीन ने करीब 385 अरब डॉलर का कर्ज दे रखा है।

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