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निर्गुंडी पौधा: गठिया, साइटिका और स्लिप डिस्क का प्राकृतिक इलाज, जानें उपयोग और फायदे

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आज के समय में जोड़ों का दर्द, साइटिका, स्लिप डिस्क और गठिया जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। बदलती जीवनशैली, लंबे समय तक बैठकर काम करना और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। इन सभी बीमारियों में दवा, थेरेपी और कई बार सर्जरी तक की जरूरत पड़ती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद में एक ऐसा छोटा सा पौधा है जो इन गंभीर समस्याओं में बहुत कारगर साबित हो सकता है? हम बात कर रहे हैं निर्गुंडी की।

यह दिखने में भले ही मामूली झाड़ी जैसा लगे, लेकिन इसके औषधीय गुण इतने प्रभावशाली हैं कि इसे आयुर्वेद में ‘वातहर’ यानि वात को नष्ट करने वाला पौधा कहा गया है। खास बात यह है कि यह पौधा भारत के लगभग हर हिस्से में आसानी से मिल जाता है।

क्या है निर्गुंडी?

निर्गुंडी (Vitex Negundo) एक झाड़ीदार औषधीय पौधा है जो भारत में प्राचीन समय से उपयोग में लाया जा रहा है। संस्कृत में इसे 'सिंदुवार', 'निरगुंडी' और 'सर्वज्वरहर' जैसे नामों से जाना जाता है। यह पौधा अधिकतर नमी वाले इलाकों में मिलता है और खास तौर पर खेतों के किनारे या खाली जमीन पर उग आता है।

गठिया और साइटिका में क्यों फायदेमंद है?

गठिया (Arthritis) में आराम: गठिया एक सूजनयुक्त रोग है जो खासकर जोड़ों को प्रभावित करता है। निर्गुंडी के पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन कम करने वाले) तत्व मौजूद होते हैं जो जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करते हैं। इसके लिए निर्गुंडी के पत्तों का चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, पत्तों को तेल में पकाकर प्रभावित हिस्से पर मालिश करने से भी काफी राहत मिलती है।

साइटिका (Sciatica) में राहत: सायटिका की समस्या में कमर से लेकर पैर तक की नसों में असहनीय दर्द होता है। यह दर्द बैठने, उठने या चलने में मुश्किल पैदा करता है। इस स्थिति में निर्गुंडी के पत्तों की भाप लेकर या उसके पेस्ट को गर्म कर दर्द वाली जगह पर लगाने से बहुत आराम मिलता है। यह प्रयोग रोजाना करें, फर्क कुछ ही दिनों में नजर आएगा।

स्लिप डिस्क में कैसे करता है काम?

स्लिप डिस्क यानी रीढ़ की हड्डी के बीच की नस खिसक जाना एक दर्दनाक समस्या है। इसमें पीठ के निचले हिस्से में तेज दर्द और चलने-फिरने में परेशानी होती है। निर्गुंडी के पत्तों से तैयार किया गया विशेष काढ़ा या हलवा इस दर्द को कम करने में कारगर होता है। एक आसान नुस्खा है — 250 ग्राम निर्गुंडी के पत्तों को 1.5 लीटर पानी में उबालें, जब पानी आधा रह जाए, तो उसमें गेहूं का आटा डालकर हलवा बनाएं और रोज सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। यह उपाय बिल्कुल प्राकृतिक है और शरीर में किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं करता।

अन्य लाभदायक गुण

त्वचा रोग में लाभ: निर्गुंडी के पत्तों से बना तेल स्किन एलर्जी, खुजली और इंफेक्शन में उपयोगी होता है। इसे नारियल या तिल के तेल में मिलाकर सीधे त्वचा पर लगाने से राहत मिलती है। यह त्वचा को पोषण देता है और रक्त को शुद्ध करता है।

बालों के लिए वरदान: अगर आपके बाल समय से पहले सफेद हो रहे हैं या डैंड्रफ की समस्या है, तो निर्गुंडी के पत्तों का तेल उपयोगी हो सकता है। इसे तिल के तेल में पकाकर सिर पर लगाएं। यह स्कैल्प को ठंडक देता है और बालों की जड़ों को मजबूत बनाता है।

सर्दी-जुकाम और सिरदर्द में राहत: निर्गुंडी का काढ़ा सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, बुखार और नजला में भी असरदार होता है। इसके लिए कुछ पत्तों को पानी में उबालकर उसमें अदरक, दालचीनी और लौंग डालकर काढ़ा तैयार करें। रोजाना इसका सेवन करने से इम्यूनिटी भी बढ़ती है।

बवासीर और पेट की समस्याएं: निर्गुंडी की जड़ का चूर्ण बवासीर में फायदेमंद होता है। इसके अलावा, यह पाचन क्रिया को बेहतर करता है और पेट के कीड़े खत्म करने में भी कारगर है।

कैसे करें उपयोग?

  • भाप के लिए: निर्गुंडी के पत्तों को पानी में उबालकर उसका भाप सेक करें।
  • तेल के रूप में: पत्तों को तिल या नारियल के तेल में पकाकर प्रयोग करें।
  • काढ़ा: पत्तों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं, इसमें लौंग या अदरक मिला सकते हैं।
  • हलवा: उबले हुए निर्गुंडी पानी में आटा डालकर हलवा बनाएं और सुबह खाली पेट सेवन करें।
  • पेस्ट: ताजे पत्तों का पेस्ट बनाकर गर्म करें और प्रभावित हिस्से पर लगाएं।

सावधानी जरूरी है

हालांकि निर्गुंडी एक प्राकृतिक और आयुर्वेदिक औषधि है, लेकिन इसका उपयोग करते समय कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है। अगर किसी व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, वह गर्भवती महिला है या उसे शरीर में पित्त बढ़ने की शिकायत रहती है, तो ऐसे में बिना डॉक्टर की सलाह के इसका सेवन या बाहरी उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि कुछ मामलों में यह औषधि शरीर में गर्मी बढ़ा सकती है या पहले से मौजूद बीमारी को प्रभावित कर सकती है। इसलिए सुरक्षित और सही उपयोग के लिए विशेषज्ञ की राय लेना जरूरी है।

आयुर्वेद में बताया गया यह छोटा सा पौधा 'निर्गुंडी' आज की कई बड़ी बीमारियों में रामबाण का काम कर सकता है। इसका नियमित, संयमित और सही तरीके से प्रयोग आपको बिना दवाइयों के गठिया, स्लिप डिस्क और साइटिका जैसी समस्याओं से राहत दिला सकता है। अगर आप प्राकृतिक और साइड इफेक्ट-फ्री इलाज की तलाश में हैं, तो निर्गुंडी जरूर आजमाएं।

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