ब्रिटेन ने भारत से लूटी 5611 लाख करोड़ की संपत्ति! 10% रईस अंग्रेजों को मिला लाभ, जानिए पूरा रहस्य

ब्रिटेन ने भारत से लूटी 5611 लाख करोड़ की संपत्ति! 10% रईस अंग्रेजों को मिला लाभ, जानिए पूरा रहस्य
Last Updated: 4 घंटा पहले

ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन की आज की अमीरी भारत से लूटी गई संपत्ति का परिणाम है। यह संपत्ति ब्रिटेन के 10% अमीरों में बांटी गई, जबकि भारत में अकाल और गरीबी थी।

Britain: अंग्रेजों ने औपनिवेशिक काल में भारत को जमकर लूटा। 1765 से 1900 तक ब्रिटेन ने भारत से 64.82 ट्रिलियन डॉलर यानी 5611 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति छीनी। यह खुलासा ऑक्सफैम इंटरनेशनल की एक नई रिपोर्ट में हुआ है, जिसे दावोस में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की सालाना बैठक में प्रस्तुत किया गया।

संपत्ति का बंटवारा और असमानता

ऑक्सफैम इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, इस लूट की गई संपत्ति का बड़ा हिस्सा केवल 10% रईस अंग्रेजों में बांटा गया। 33.8 ट्रिलियन डॉलर की राशि इस वर्ग के पास पहुंची, जबकि 32% धनराशि ब्रिटेन के मध्यम वर्ग को भी लाभान्वित कर गई। इस संपत्ति की विशालता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर इसे 50 ब्रिटिश पाउंड के नोटों में बदला जाए और लंदन शहर की जमीन पर बिछाया जाए, तो लंदन को चार बार ढका जा सकता है।

औद्योगिक उत्पादन पर विपरीत प्रभाव

अंग्रेजों की इस लूट का भारत के औद्योगिक उत्पादन पर गहरा असर पड़ा। रिपोर्ट में बताया गया कि 1750 में वैश्विक औद्योगिक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 25% थी, जो 1900 तक गिरकर केवल 2% रह गई। यह गिरावट कठोर ब्रिटिश नीतियों की वजह से हुई, जिनके तहत भारतीय कपड़ों और उत्पादन पर प्रतिबंध लगाया गया।

क्रूर शासन और मौतों का आंकड़ा

अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत को अकाल, बीमारी और गरीबी का सामना करना पड़ा। 1891 से 1920 के बीच औपनिवेशिक नीतियों की वजह से 5.9 करोड़ मौतें हुईं। 1943 में बंगाल में आए भीषण अकाल में 30 लाख लोगों की जानें गईं। यह घटना ब्रिटिश शासन की क्रूरता की सबसे भयानक तस्वीर पेश करती है।

वैश्विक असमानता का खुलासा

रिपोर्ट में वैश्विक असमानता के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। ग्लोबल साउथ के मजदूरों को ग्लोबल नॉर्थ की तुलना में समान काम के लिए 87-95% तक कम मजदूरी दी जाती है।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों को उपनिवेशवाद की देन बताते हुए कहा गया कि यह कंपनियां ग्लोबल सप्लाई चेन पर नियंत्रण रखती हैं और विकासशील देशों में सस्ती मजदूरी पर शोषण करती हैं।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रभाव

ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत और अन्य विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का आर्थिक शोषण अभी भी जारी है। ये कंपनियां अपना अधिकतर लाभ ग्लोबल नॉर्थ देशों में स्थानांतरित करती हैं, जिससे असमानता और भी बढ़ती है।

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