हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच खूनी संघर्ष, क्या है नेतन्याहू की विनाशकारी रणनीति का प्रमुख कारण?

हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच खूनी संघर्ष, क्या है नेतन्याहू की विनाशकारी रणनीति का प्रमुख कारण?
Last Updated: 5 घंटा पहले

7 अक्टूबर 2023 को, फिलस्तीनी आतंकी समूह हमास ने इजरायल पर हमला किया, जिसमें लगभग 1200 इजरायली नागरिकों की जान गई और 200 से अधिक लोग बंधक बनाए गए। इसके जवाब में, इजरायल ने गाजा पट्टी पर भीषण हमले किए, जिससे हमास की शक्ति कमजोर हो गई। यह घटना इजरायल-हमास संघर्ष की मौजूदा पृष्ठभूमि को दर्शाती हैं।

नई दिल्ली सात अक्टूबर 2023 को फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास ने इजरायल पर हमला किया। इस हमले में लगभग 1200 इजरायली नागरिकों की जान गई। आतंकवादियों ने 200 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया। इसके प्रतिक्रिया स्वरूप, इजरायल ने गाजा पट्टी में व्यापक तबाही मचाई। इजरायली हमलों ने हमास को कमजोर कर दिया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष की असली वजह क्या है? आइए जानें कि इजरायल ने हिजबुल्लाह पर आक्रमण क्यों शुरू किया और इस जंग के पीछे के कारण क्या हैं।

 इजरायल-हिजबुल्लाह दुश्मनी की जड़ें

इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच की दुश्मनी का इतिहास काफी पुराना है, और इस संगठन की नींव रखने वाला देश ईरान है, जो शिया बहुल देश है। हिजबुल्लाह भी एक शिया मुस्लिम संगठन है, और यह किसी से छिपा नहीं है कि ईरान और इजरायल के बीच अच्छे संबंध नहीं हैं। हाल ही में, सीरिया में इजरायली हवाई हमले में ईरानी राजदूत की मौत ने इस दुश्मनी को और बढ़ा दिया हैं।

ईरान का इजरायल पर ड्रोन और मिसाइल हमला

 ईरान के हमले के बावजूद इजरायल को नहीं हुआ कोई खास नुकसान इसके बाद ईरान ने लगभग 300 ड्रोन और क्रूज मिसाइलों के जरिए इजरायल पर हमला किया। हालांकि, इस हमले में इजरायल को कोई महत्वपूर्ण नुकसान नहीं हुआ। वैश्विक दबाव के चलते ईरान को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं। लेकिन जो कार्य ईरान स्वयं नहीं कर सकता, वह अपने छद्म समूहों के माध्यम से करवाता हैं।

हिजबुल्लाह पर इजरायल के हमलों के कारण

1. इजरायल ने हिजबुल्लाह से मांग की है कि वह सीमा से 10 किमी पीछे हटे। यह मांग 2006 के युद्ध के बाद की गई है। उस समय, हिजबुल्लाह को 29 किमी पीछे हटने के लिए कहा गया था, लेकिन उसने मना कर दिया। इजरायल का तर्क है कि हिजबुल्लाह की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों की रेंज 10 किमी तक है।

2. हिजबुल्लाह पर इजरायली हमले का एक मुख्य कारण बफर जोन भी है। इजरायल का लक्ष्य दक्षिणी लेबनान में स्थित इस बफर जोन पर नियंत्रण प्राप्त करना है। इजरायल यहां से हिजबुल्लाह के लड़ाकों को सीमा के भीतर धकेलने की कोशिश कर रहा हैं।

3. सात अक्तूबर को हमास के हमले के बाद से हिजबुल्लाह लगातार उत्तरी इजरायल को टारगेट बना रहा है। हिजबुल्लाह का दावा है कि उसने हमास के समर्थन में इजरायल के खिलाफ हमले आरंभ किए हैं। हमास के बाद, हिजबुल्लाह को इजरायल का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। उनके वर्तमान हमले इजरायल के लिए चिंता का विषय बन गए हैं।

4. पिछले एक साल में, अगर इजरायल को हमास के बाद सबसे ज्यादा नुकसान किसी ने पहुंचाया है, तो वह हिजबुल्लाह है। दोनों के बीच संघर्ष में अब तक 600 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश हिजबुल्लाह के लड़ाके हैं। इसके अलावा, 50 इजरायली सैनिक और 100 सामान्य नागरिक भी इस संघर्ष में शामिल हैं।

5. हिजबुल्लाह के कारण उत्तर इजरायल में लगभग 60,000 लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ा है। इजरायल का मानना है कि यदि हिजबुल्लाह की समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो उत्तरी सीमा पर मानवीय संकट और भी गंभीर हो सकता है। इस क्षेत्र में लोगों के लिए शांति से रहना कठिन होगा।

6. हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायली आक्रामकता के पीछे एक मुख्य कारण उसकी शक्ति है। दरअसल, हमास की तुलना में हिजबुल्लाह की ताकत कहीं अधिक है। उसे ईरान और रूस से आधुनिक हथियार भी प्राप्त होते हैं। इस समूह का दावा है कि इसमें लगभग एक लाख लड़ाके शामिल हैं।

7. इजरायल का दावा है कि हिजबुल्लाह के पास लगभग 150,000 रॉकेट और मिसाइलें हैं, जिनमें से कई गाइडेड हैं। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इनकी पहुंच पूरी इजरायल पर है। इजरायल के हमलों का गहन विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि इजरायली सेना का मुख्य लक्ष्य हिजबुल्लाह के हथियारों को नष्ट करना है। वे  मुख्य रूप से हथियारों के गोदामों को निशाना बना रही हैं।

8. इस साल जुलाई में हिजबुल्लाह के हमले में इजरायली कब्जे वाले गोलन हाइट्स में 12 बच्चों की मृत्यु हुई थी। इस हमले के जवाब में इजरायल ने कड़ी कार्रवाई करने का संकल्प लिया था। इस घटना के बाद, हिजबुल्लाह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की रणनीति तैयार की गई। इजरायल ने गोलन हाइट्स की योजना बनाने वाले हिजबुल्लाह के कमांडर को भी समाप्त कर दिया हैं।

9. हिजबुल्लाह ईरान के नेतृत्व वाले गठबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह संगठन निरंतर इजरायल को लक्ष्य बना रहा है। ईरान यमन में हूती विद्रोहियों का खुलकर समर्थन करता है। हमास के साथ संघर्ष के बीच, हूती विद्रोही कई मौकों पर यमन से इजरायल पर अपने मिसाइल हमले कर चुके हैं। इस स्थिति में, इजरायल ईरान समर्थित समूहों को निपटाने के लिए सक्रिय हो गया हैं।

हिजबुल्लाह का उदय

साल 1982 में इजरायल ने लेबनान पर आक्रमण किया। यह आक्रमण फिलिस्तीन मुक्ति संगठन द्वारा किए गए हमलों के प्रतिशोध में किया गया था। इजरायल ने बेरूत और दक्षिणी लेबनान के कई क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। इसी दौरान, सबरा और शतीला नरसंहार में लगभग तीन हजार फिलिस्तीनी शरणार्थियों और लेबानानी नागरिकों की जानें गईं। इस घटना के पश्चात, ईरान की सहायता से हिज़्बुल्लाह का गठन हुआ।

हिजबुल्लाह की ताकत

दक्षिणी लेबनान और बेका घाटी में हिजबुल्लाह का प्रमुख प्रभाव है। वर्तमान में, यह दुनिया के सबसे प्रभावशाली मिलिशियाओं में से एक माना जाता है। 1983 में, हिजबुल्लाह ने बेरूत में अमेरिकी और फ्रांसीसी सेना के 300 जवानों पर बम हमले कर उनकी जान ले ली थी। हिजबुल्लाह की शक्ति का एक बड़ा उदाहरण यह है कि वर्ष 2000 में इजरायली सेना को दक्षिणी लेबनान से पीछे हटना पड़ा।

हिजबुल्लाह की राजनीतिक शक्ति

लेबनान में हिजबुल्लाह केवल एक सैन्य संगठन है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक शक्ति भी है। 1992 में लेबनान के गृह युद्ध के समाप्त होने के बाद, हिजबुल्लाह ने पहली बार संसदीय चुनावों में आठ सीटों पर जीत हासिल की। 1993 में, हिजबुल्लाह ने उत्तरी इजरायल पर हमला किया, जिसके बाद इजरायल ने "ऑपरेशन अकाउंटेबिलिटी" शुरू किया। इस ऑपरेशन के दौरान 118 लेबनानी नागरिकों की जान गई। वर्तमान में, हिजबुल्लाह का लेबनान के एक बड़े हिस्से पर नियंत्रण हैं।

2006: हिजबुल्लाह-इजरायल संघर्ष की यादें

हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच अंतिम युद्ध 2006 में हुआ था। इस संघर्ष में 1100 लेबनानी नागरिकों की जान चली गई थी, जबकि 110 इजरायली सैनिक भी मारे गए थे। दरअसल, हिजबुल्लाह ने दो इजरायली सैनिकों को बंधक बना लिया था, जिसके उत्तर में इजरायल ने आक्रमण किया। यह युद्ध 34 दिनों तक चलता रहा, जिसमें इजरायल ने जमीनी कार्रवाई भी की।

इजरायल का लेबनान पर हमला

सोमवार को इजरायल ने लेबनान में एक भयावह हमला किया। इस हमले में लगभग 500 लेबनानी नागरिकों की जान चली गई। यह ध्यान देने योग्य है कि 2006 के इजराइल-हिज़्बुल्लाह युद्ध के बाद यह सबसे घातक हमला माना जा रहा है। इजरायल ने दक्षिणी और पूर्वी लेबनान के निवासियों को अपने घरों को छोड़ने की चेतावनी भी दी हैं।

दक्षिणी लेबनान को युद्ध क्षेत्र में बदलने की तैयारी

इजरायल ने बताया है कि वह पूरे दक्षिणी लेबनान को युद्ध क्षेत्र में बदलने की योजना बना रहा है, क्योंकि हिजबुल्लाह ने वहां हथियारों का बड़ा जखीरा जमा कर लिया है। इजरायल की इस आक्रामकता के कारण अब दुनिया में चिंता बढ़ गई है कि मौजूदा संघर्ष 2006 के युद्ध से भी अधिक भयानक हो सकता हैं।

 

 

 

Leave a comment