ईरान और सऊदी अरब के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में तनावपूर्ण रहे हैं, विशेषकर दोनों देशों की प्रतिस्पर्धा और क्षेत्रीय राजनीति के चलते। दोनों ही पश्चिम एशिया की प्रमुख शक्तियां हैं, और इनके बीच की प्रतिस्पर्धा कई बार क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर चुकी हैं।
तेहरान: ईरान और सऊदी अरब के बीच संबंधों को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची और सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल सऊद के बीच होने वाली अहम मुलाकात का इंतजार किया जा रहा है। यह बैठक सऊदी अरब में आयोजित की जाएगी और इसमें खासतौर पर लेबनान की स्थिति पर चर्चा की जाने की संभावना हैं।
ईरान और सऊदी अरब, दोनों ही क्षेत्रीय शक्तियां हैं, और उनकी मुलाकात पर वैश्विक ध्यान केंद्रित है। दोनों देशों के बीच सहयोग और संवाद से उम्मीद की जा रही है कि लेबनान को बढ़ते तनाव और संकट से बचाने में मदद मिलेगी, जिससे उसे दूसरा गाजा बनने से रोका जा सके।
सऊदी और ईरान के विदेश मंत्रियों की मुलाकात
गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची लेबनान और सीरिया के दौरे के बाद सऊदी अरब पहुंच रहे हैं। लेबनान, जहां वर्तमान में इजरायल के हमलों से व्यापक तबाही हो रही है, ईरान और सऊदी अरब के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण रहा है। सऊदी अरब की चिंता यह है कि ईरान और हिजबुल्लाह का प्रभाव लेबनान में कम हो, खासकर जब से ईरान ने पिछले वर्षों में हिजबुल्लाह को निरंतर समर्थन दिया है। दोनों पक्षों के बीच इस विवाद का हल निकालना आसान नहीं होगा, क्योंकि यह मुद्दा न केवल क्षेत्रीय शक्ति संतुलन से जुड़ा है, बल्कि दोनों देशों के लिए रणनीतिक महत्व भी रखता हैं।
यह मुलाकात इस संदर्भ में महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि यह संभावित रूप से लेबनान के भविष्य और क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। ईरान और सऊदी अरब के बीच संवाद से उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच सहयोग की दिशा में कोई प्रगति हो सकेगी।
ईरान और सऊदी के बेहतर होंगे संबंध
सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल ईरान के साथ संबंध सुधारने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। सऊदी अरब की चिंता है कि लेबनान में हिजबुल्लाह बेहतर सरकार के गठन में रुकावट डाल रहा है, और उसे इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन का समर्थन नहीं मिलने से निराशा हो रही है। सऊदी राजनयिकों ने हमास नेता बेसन नैम की टिप्पणी की ओर भी इशारा किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि हमें एक संप्रभु फिलिस्तीनी देश बनाने का मौका मिलता है, तो हम उसका हिस्सा बनेंगे।
इस बातचीत का अधिकतर हिस्सा इस बात पर केंद्रित होगा कि लेबनान पर इजरायल के हमले का प्रभाव कैसे कम किया जाए। ईरान को यह तय करना है कि वह इस संकट को कूटनीतिक तरीके से सुलझाना चाहता है या हिजबुल्लाह को सैन्य समर्थन जारी रखते हुए स्थिति को संभालने की कोशिश करेगा। इस संदर्भ में दोनों देशों की वार्ता पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें होंगी।