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जापान की 'रेलगन' तकनीक, हाइपरसोनिक मिसाइलों के खिलाफ बना रक्षा का नया कवच

जापान की 'रेलगन' तकनीक, हाइपरसोनिक मिसाइलों के खिलाफ बना रक्षा का नया कवच
अंतिम अपडेट: 9 घंटा पहले

जापान ने हाल ही में अपनी नौसेना के परीक्षण पोत JS Asuka पर विद्युतचुंबकीय रेलगन (Electromagnetic Railgun) का सफल समुद्री परीक्षण किया है। यह परीक्षण न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सामरिक स्थिति को भी प्रभावित कर सकता है।​

Japan Railgun: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार जापान अपनी रक्षा नीति में एक बड़े और आक्रामक तकनीकी परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है। हाल ही में जापान ने अपनी नौसेना के परीक्षण पोत JS Asuka पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन (Electromagnetic Railgun) का सफल समुद्री परीक्षण किया है। यह परीक्षण सिर्फ तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है।

रेलगन एक उन्नत इलेक्ट्रोमैग्नेटिक हथियार प्रणाली है, जो पारंपरिक तोपों के विपरीत बारूद या विस्फोटकों का उपयोग नहीं करती। इसकी बजाय यह विद्युतचुंबकीय शक्ति के ज़रिए प्रोजेक्टाइल को 2,500 मीटर/सेकंड (यानी लगभग 5,600 मील/घंटा) की स्पीड से दागती है। यह गति ध्वनि की रफ्तार से 6.5 गुना तेज है।

प्रोजेक्टाइल का वजन करीब 320 ग्राम होता है और यह इतनी तीव्र गति से दागा जाता है कि हाइपरसोनिक मिसाइलों, तेज रफ्तार ड्रोन और जेट विमानों को भी सटीकता से निशाना बनाया जा सकता है। रेलगन की कुल लंबाई 20 फीट और वजन लगभग 8 टन है।

क्या है रेलगन?

रेलगन एक अत्याधुनिक हथियार प्रणाली है जो पारंपरिक तोपों की तरह विस्फोटक का उपयोग नहीं करती, बल्कि विद्युतचुंबकीय बल के माध्यम से प्रोजेक्टाइल को अत्यधिक उच्च गति से दागती है। इस प्रणाली में 40 मिमी के स्टील प्रोजेक्टाइल को लगभग 2,500 मीटर/सेकंड (≈ 5,600 मील/घंटा) की गति से दागा जाता है, जो ध्वनि की गति से 6.5 गुना तेज है। इसकी लंबाई 20 फीट और वजन लगभग 8 टन है।​

JS Asuka पर परीक्षण

JS Asuka, जापान मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF) का एक परीक्षण पोत है, जिसे विशेष रूप से नई प्रणालियों और क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस पोत पर रेलगन का परीक्षण अक्टूबर 2023 में सफलतापूर्वक किया गया, जिसमें प्रोजेक्टाइल को समुद्र में विभिन्न कोणों से दागा गया। यह परीक्षण दुनिया में पहली बार किसी देश द्वारा समुद्री पोत से रेलगन के परीक्षण के रूप में दर्ज किया गया है। ​

रेलगन की उच्च गति और सटीकता इसे हाइपरसोनिक मिसाइलों और तेज गति से उड़ने वाले लड़ाकू विमानों को निशाना बनाने में सक्षम बनाती है। इसके अलावा, यह प्रणाली विस्फोटक प्रोपेलेंट की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे युद्धपोतों की सुरक्षा बढ़ती है और संचालन लागत कम होती है। जापान की यह तकनीक चीन और उत्तर कोरिया की हाइपरसोनिक मिसाइल क्षमताओं के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती है।​

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

अमेरिका ने भी रेलगन परियोजना पर काम शुरू किया था, लेकिन 2021 में इसे उच्च लागत और सीमित रुचि के कारण बंद कर दिया गया। चीन भी इस तकनीक पर काम कर रहा है, लेकिन अभी तक उसे इसमें सफलता नहीं मिली है। जापान की यह सफलता उसे वैश्विक सैन्य तकनीक की दौड़ में एक निर्णायक बढ़त दे सकती है।​

जापान की योजना है कि इस रेलगन तकनीक को भविष्य में अपने 13DDX विध्वंसक पोतों पर तैनात किया जाए। इसके अलावा, जापान ने फ्रांस और जर्मनी के साथ मिलकर रेलगन तकनीक पर सहयोग करने का समझौता किया है, जिससे इस उन्नत क्षमता की त्वरित तैनाती सुनिश्चित की जा सके। ​

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