अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश से NASA ने भारतीय मूल की अफसर नीला राजेंद्र को नौकरी से हटा दिया, डाइवर्सिटी प्रोग्राम्स खत्म करने के फैसले के चलते उन्हें बाहर किया गया।
Neela-Rajendra: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक आदेश के कारण NASA में भारतीय मूल की शीर्ष अधिकारी नीला राजेंद्र को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। ट्रंप के डाइवर्सिटी प्रोग्राम्स को समाप्त करने के आदेश के बाद, NASA को नीला को बर्खास्त करने का कदम उठाना पड़ा।
डाइवर्सिटी प्रोग्राम पर ट्रंप का सख्त रुख
ट्रंप के प्रशासन ने अमेरिकी समाज में नस्लीय भेदभाव को बढ़ावा देने के आरोप में डाइवर्सिटी प्रोग्राम्स को बंद करने का आदेश दिया था। इसके चलते, सभी सरकारी एजेंसियों को इन प्रोग्राम्स के तहत नियुक्त कर्मचारियों को हटाने का आदेश मिला था। ट्रंप का मानना था कि डाइवर्सिटी प्रोग्राम्स अमेरिका को नस्ल, लिंग और रंग के आधार पर बांटते हैं और इससे भेदभाव बढ़ता है।
नीला राजेंद्र का NASA में योगदान
नीला राजेंद्र NASA में डाइवर्सिटी, इक्विटी और इंक्लूजन (DEI) की अध्यक्ष थीं। उनके नेतृत्व में, NASA ने कर्मचारियों के बीच समानता और समावेशन के लिए कई पहल की थीं। हालांकि, ट्रंप के आदेश के बाद NASA ने DEI को समाप्त कर दिया और नीला का पद बदलकर उन्हें "Head of Office of Team Excellence and Employee Success" के रूप में नियुक्त किया गया। लेकिन, यह नाममात्र का बदलाव था, और वह DEI प्रमुख के रूप में ही काम करती रही थीं।
NASA का निर्णय और नीला की बर्खास्तगी
NASA ने नीला राजेंद्र को उनकी नौकरी बचाने के लिए पद बदलने का प्रयास किया, लेकिन ट्रंप के आदेश के बाद वे उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने के लिए मजबूर हो गए। NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (JPL) की निदेशक लॉरी लेशिन ने कर्मचारियों को ईमेल के जरिए सूचित किया कि "नीला अब JPL का हिस्सा नहीं हैं। हम उनके योगदान के लिए हमेशा आभारी रहेंगे और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।"
ट्रंप के डाइवर्सिटी प्रोग्राम पर विचार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि डाइवर्सिटी प्रोग्राम्स न केवल विभाजन को बढ़ावा देते हैं, बल्कि यह सरकारी खर्च की भी बर्बादी है। उनका कहना है कि इस तरह के प्रोग्राम्स से समाज में भेदभाव की भावना बढ़ती है और इससे एकजुटता की भावना कम होती है। ट्रंप ने इसलिए डाइवर्सिटी प्रोग्राम्स को खत्म करने का आदेश दिया, जो कई सरकारी विभागों के लिए चुनौती बन गया है।