भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाओस में 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के दौरान 10 सूत्री योजना का उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय भागीदारों के साथ संपर्क और सहयोग को मजबूत करना है। इस योजना में विशेष रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापार, और आपसी संपर्क को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया हैं।
लाओस: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 21वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-आसियान व्यापक साझेदारी को मजबूत करने के लिए 10 सूत्री योजना की घोषणा की। उन्होंने इस योजना को एशिया के भविष्य को दिशा देने के लिए महत्वपूर्ण बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आसियान क्षेत्र के साथ भारत के संबंध ऐतिहासिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पिछले दशक में भारत-आसियान व्यापार दोगुना होकर 130 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है, जो दोनों पक्षों के बीच मजबूत आर्थिक संबंधों को दर्शाता हैं।
इस 10 सूत्री योजना का उद्देश्य भारत और आसियान देशों के बीच कनेक्टिविटी, व्यापार, निवेश, सुरक्षा, और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करना है। मोदी ने क्षेत्रीय सहयोग को और गहरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और शांति बनी रहे। साथ ही, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आसियान भारत की "एक्ट ईस्ट" नीति का केंद्र है, और यह साझेदारी न केवल आर्थिक, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं।
भारत-आसियान साझेदारी होगी और मजबूत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान देशों के नेताओं को संबोधित करते हुए कहा, "मेरा मानना है कि 21वीं सदी - एशियाई सदी - भारत और आसियान देशों की सदी है।" आसियान में मलेशिया, थाईलैंड, ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, वियतनाम, लाओस और सिंगापुर जैसे देश शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत की एक्ट ईस्ट नीति अपनी 10वीं वर्षगांठ मना रही है, जिसने भारत और आसियान देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को नई ऊर्जा, दिशा और गति दी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान-भारत शिखर सम्मेलन को बेहद उत्पादक करार देते हुए एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, "भारत-आसियान शिखर सम्मेलन बेहद प्रोडक्टिव रहा। हमने इस बात पर चर्चा की कि भारत और आसियान के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और कैसे मजबूत किया जाए। हम व्यापार संबंधों, सांस्कृतिक संबंधों, प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी और अन्य क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने के लिए तत्पर हैं।" इस शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने भारत और आसियान के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक, और प्रौद्योगिकी संबंधों को और मजबूत करने पर जोर दिया।
भारत-आसियान शिखर समिट में मोदी की 10 प्रमुख बातें
* वर्ष 2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में मनाना – इसके लिए भारत 5 मिलियन डॉलर की सहायता के साथ संयुक्त गतिविधियों का आयोजन करेगा।
* युवा शिखर सम्मेलन, स्टार्ट-अप महोत्सव, हैकाथॉन, संगीत महोत्सव, आसियान-भारत थिंक टैंक नेटवर्क और दिल्ली वार्ता – एक्ट ईस्ट नीति के एक दशक का जश्न मनाने के लिए जन-केंद्रित गतिविधियों का आयोजन।
* आसियान-भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास निधि के तहत महिला वैज्ञानिक सम्मेलन – इस सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा ताकि महिला वैज्ञानिकों के सहयोग और विकास को बढ़ावा मिल सके।
* नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रवृत्तियों की संख्या दोगुनी करना – इसके साथ ही, भारत के कृषि विश्वविद्यालयों में आसियान छात्रों के लिए नई छात्रवृत्तियों का प्रावधान किया जाएगा।
* आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते की समीक्षा – साल 2025 तक इस व्यापार समझौते को पुनः मूल्यांकित किया जाएगा।
* आपदा प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए 5 मिलियन डॉलर की सहायता – आपदा प्रबंधन के लिए संसाधन और सहायता प्रदान करना।
* स्वास्थ्य प्रतिरोधक क्षमता के निर्माण के लिए स्वास्थ्य मंत्रियों का नया ट्रैक – आसियान और भारत के बीच स्वास्थ्य संबंधी सहयोग को और मजबूत किया जाएगा।
* आसियान-भारत साइबर नीति की एक नियमित प्रणाली – डिजिटल और साइबर लचीलापन मजबूत करने के लिए एक संवाद और नीति प्रणाली की शुरुआत।
* ग्रीन हाइड्रोजन पर वर्कशॉप का आयोजन – स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन।
* जलवायु सुधार के लिए 'मां के लिए पेड़ लगाओ अभियान' – आसियान नेताओं को इस अभियान में भाग लेने का निमंत्रण दिया गया।