रूस और अमेरिका के बीच दिन प्रतिदिन रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं। रूस के डिप्टी फॉरेन मिनिस्टर ने बुधवार को ऐलान किया है कि वो अब से न्यू START ट्रीटी के तहत अपने नए परमाणु हथियारों की टेस्टिंग की जानकारी अमेरिका को नहीं देगा।
डिप्टी फॉरेन मिनिस्टर सर्गेई रयाबकोव ने वहां की न्यूज एजेंसी को बताया कि पिछले महीने न्यू START ट्रीटी से निकलने के बाद से हमने अमेरिका को अपने नए परमाणु परीक्षणों की जानकारी देना बंद कर दिया है। हम अमेरिका को कोई जानकारी नहीं देंगे चाहे वो कुछ भी कर लें।
तस्वीर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूस के पूर्व प्रधामंत्री दिमित्री मेदवेदेव की है।
यूक्रेन जंग के एक साल पर पुतिन ने किया था ट्रीटी खत्म करने का ऐलान
दरअसल, फरवरी में यूक्रेन जंग का एक साल पूरा होने पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने देश को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने अमेरिका के साथ अपने परमाणु समझौते को सस्पेंड करने का ऐलान किया था।
न्यू START ट्रीटी अमेरिका और रूस के बीच इकलौता परमाणु समझौता बचा था। जिसके तहत दोनों देश एक दूसरे के साथ अपने परमाणु हथियारों के परीक्षण की जानकारी को एक्सचेंज करते थे। ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि परमाणु हथियारों हासिल करने की रेस को काबू में रखने के लिए इनकी संख्या पर कैप रखी जा सके।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने पिछले महीने अमेरिका के साथ परमाणु संधि को सस्पेंड कर दिया था।
अमेरिका ने कहा हम भी नहीं देंगे परमाणु हथियारों की जानकारी
अमेरिका ने भी मंगलवार को परमाणु संधि को लेकर घोषणा की थी कि वो रूस के साथ अपने परमाणु हथियारों की जानकारी साझा नहीं करेंगे। अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा था कि रूस दोनों देशों के बीच हुई परमाणु संधी का ट्रीटी का ठीक से पालन नहीं कर रहा है। इसलिए हमने भी फैसला किया है कि हम भी उन्हें अमेरिका के परमाणु हथियारों की जानकारी नहीं देंगे।
न्यू स्टार्ट ट्रीटी क्या है,
5 फरवरी 2011 को रूस और अमेरिका के बीच न्यू स्टार्ट ट्रीटी को लागू की गई थी।
ट्रीटी का मकसद दोनों देशों में परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित करना था।
दोनों देशों ने तय किया था कि वो अपने पास 1550 से ज्यादा परमाणु हथियार और 700 से ज्यादा स्ट्रैटेजिक लॉन्चर नहीं रखेंगे।
इसकी अवधि दस साल यानी साल 2021 तक थी। बाद में इसे 5 साल बढ़ाकर 2026 तक कर दिया गया था।
क्या है इसके मायने?
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ से बातचीत में NATO के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोलेनबर्ग ने पुतिन के फैसले पर कहा- इससे तो एटमी हथियारों पर कंट्रोल का पूरा सिस्टम ही तबाह हो जाएगा। रूस को फैसले पर फिर विचार करना चाहिए।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक- इस फैसले में कुछ नया नहीं है, क्योंकि रूस पहले ही इस करार का पालन नहीं कर रहा था। हमने जनवरी में ही इस बारे में जानकारी दे दी थी। रूस ने अमेरिकी टीम को अपनी न्यूक्लियर साइट्स के इन्सपेक्शन से रोक दिया था।
वैसे, पुतिन ने एक रास्ता खुला रखा है। खुद पुतिन ने कहा- हम एटमी ट्रीटी को छोड़ नहीं रहे हैं, फिलहाल इसे सस्पेंड किया गया है। अभी इस बारे में विचार किया जाना है। नाटो, फ्रांस और ब्रिटेन के पास तो काफी बड़ा एटमी जखीरा है।